वन विभाग में लकड़ी माफिया सक्रिय, फलदार पेड़ों की कटाई के लिए देना होगा 10,000 रुपये!
दैनिक मीडिया ऑडीटर । अवैध आरा मशीनों के संचालन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी अवैध तरीके से संचालित आरा मशीनों को नहीं बंद करा रहे हैं अगर अवैध तरीके से संचालित आरा मशीनों को बंद करा दिया जाए तो करोड़ों की काली कमाई में बाधा उत्पन्न होगी जिससे वन विभाग के अधिकारी अवैध आरा मशीनों पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। जिले के विभिन्न क्षेत्र में सात दर्जन से अधिक अवैध तरीके से आरा मशीनों का संचालन तीन दशक से प्रतिदिन विभागीय संरक्षण में हो रहा है इनके स्टॉक रजिस्टर में जितनी लकड़ियां रहती है उतनी कई महीनो तक बची रहती है इसके बाद भी आरा मशीन 24 घंटे अवैध तरीके से संचालित होते रहते है और मोटी कमाई का कुछ अंश वन विभाग को संरक्षण बतौर दिया जाता है । जिसके बाद इन आरा मशीनों के संचालन के लिए हरे फलदार पेड़ की लकड़ियों को लकड़ी माफिया द्वारा बेखौफ तरीके से काटकर आरा मशीनों में प्रतिदिन पहुंचाया जाता है ना तो पेड़ के कटान का परमिट लिया जाता है और ना ही लकड़ी को इधर-उधर ले जाने के लिए ट्रांजिट परमिट लिया जाता है नियमों की बात करें तो हरे पेड़ के कटान का परमिट मिल ही नहीं सकता है। लेकिन फिर भी बेखौफ तरीके से जिले में पांच दर्जन से अधिक लकड़ी माफिया सैकड़ो मजदूरों के साथ प्रतिदिन विभिन्न क्षेत्रों में हरे पेड़ों के कटान में लगे रहते हैं।
लकड़ी माफियाओं की सक्रियता
इतनी बड़ी संख्या में लकड़ी माफिया मजदूरों के साथ पेट्रोलिंग आरा मशीन लेकर हरे फलदार पेड़ को काटने में लगे होने के बावजूद वन विभाग के अधिकारी कार्यवाही के नाम पर केवल औपचारिकता निभाते रह जाते है और सब कुछ खुलेआम अवैध तरीके से हो रहा है कई दर्जन चिन्हित वाहन हरे पेड़ की लड़कियों को प्रतिदिन ढोने में लगे हैं सब कुछ खुलेआम होने के बाद विभाग से लेकर पुलिस को कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है जिससे साठगांठ से इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रति आरा मशीन की अवैध कीमत ले रहे जिम्मेदार
सूत्रों की माने तो आरा मशीन के अवैध संचालन में 8000 महीने से 12000 महीने वन विभाग के अधिकारी खुलेआम प्रति आरा मशीन से वसूली कर रहे हैं यदि आंकड़ों पर गौर करें तो डेढ़ करोड़ रुपए सालाना से अधिक की वसूली के चलते अवैध आरा मशीनों को नहीं बंद कराया जा रहा है जिससे हरे पेड़ के सामने गंभीर संकट उत्पन्न है एक तरफ मोहन सरकार बृहद पौधारोपण करने पर जोर दे रही है साथ ही पौधारोपण पर करोड़ों रुपए से अधिक की रकम प्रत्येक वर्ष खर्च की जा रही है दूसरी तरफ हरे पेड़ को कटवा करके वन विभाग के अधिकारी मालामाल हो रहे हैं अवैध आरा मशीनों के संचालन की सच्चाई जानने के लिए रीवा शहर के कई आरा मशीन के संचालकों से पूछ ताछ की गई तो पता चला की लकड़ी परिवहन पर रोक लगी है साहब को बताने के बाद हम लोग गाँव से लकड़ी काट कर ले आते है और महीने के पैसे ईमानदारी से पहुँचाते है ।
आरा मशीनों में पेड़ों का विशाल भंडारण
अवैध आरा मशीन की हकीकत देखी गई तो मालूम चला कि आरा मशीन में अवैध तरीके से हरे पेड़ की लकड़ी का विशाल भंडारण है और बेखौफ तरीके से आरा मशीन का संचालन हो रहा है तमाम आरा मशीन ऐसी है छोटी मशीन का लाइसेंस लेकर बड़ी मशीन लगाकर संचालन कर रहे है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगाने का निर्देश कई वर्षों पहले दिया था लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन वन विभाग के अधिकारी तक नहीं करा सके हैं 3 दर्जन लकड़ी माफिया बीते दो दशक से विभाग के गोद मे खेल रहे हैं मामले को लेकर शासन स्तर से यदि उच्च स्तरीय जांच हुई तो लकड़ी माफिया से वन विभाग के साठगांठ वाले खेल का खुलासा होना तय है।
वर्जन
ऐसी कोई शिकायत या जानकारी वनमण्डल कार्यालय के संज्ञान में अभी तक नहीं आई है। अगर किसी भी वनकर्मी के विरुद्ध कोई ठोस जानकारी एवं साक्ष्य प्राप्त होते हैं, तो अविलंब उनके विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी।
अनुपम शर्मा डीएफओ रीवा