गेहूं की फसल पकने को तैयार, पराली जलाने पर किसानों को लगेगा भारी जुर्माना
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मध्य प्रदेश में गेहूं की फसल पकने को तैयार है, लेकिन कटाई के बाद बचने वाली पराली किसानों के लिए बड़ी समस्या बन सकती है। न तो इसे जलाया जा सकता है और न ही लंबे समय तक रखा जा सकता है। अब प्रशासन इस मुद्दे पर सख्त हो गया है और पराली जलाने पर किसानों को सीधे जुर्माना भरना पड़ेगा। सीहोर जिले से सैटेलाइट के जरिए हर खेत की निगरानी की जा रही है, जिससे यह पता लगाया जाएगा कि कहां पराली जलाई जा रही है।
यह पहली बार है जब प्रशासन पराली जलाने के मुद्दे पर इतनी कड़ी कार्रवाई करता नजर आ रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह पर्यावरण संरक्षण और भूमि की उर्वरता बनाए रखना है।
पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध, फिर भी जारी है समस्या
सरकार ने पहले ही पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद, हर साल बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाई जाती है, जिससे वायु प्रदूषण फैलता है और खेतों की उर्वरता भी प्रभावित होती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों के तहत फसल कटाई के बाद पराली जलाने को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसी भी खेत में पराली जलाने की घटना सामने आती है, तो संबंधित किसान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पराली जलाने पर किसानों को लगेगा भारी जुर्माना
पराली जलाने वाले किसानों से अलग-अलग तरीके से जुर्माना वसूला जाएगा। जुर्माने की दरें इस प्रकार होंगी:
- 2 एकड़ तक के खेत में पराली जलाने पर ₹2500 का जुर्माना लगेगा।
- 2 से 5 एकड़ तक के खेत में पराली जलाने पर ₹5000 का जुर्माना लगेगा।
- 5 एकड़ से अधिक के खेत में पराली जलाने पर ₹15,000 का जुर्माना लगेगा।
सरकार का कहना है कि यह जुर्माना पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए लगाया जा रहा है।
किसानों पर निगरानी रखने के लिए बनाई गई विशेष व्यवस्था
पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए एक विशेष निगरानी तंत्र विकसित किया गया है।
- कृषि विभाग के उप निदेशक (Deputy Director Agriculture) पराली जलाने के मामलों में जुर्माना वसूलने के लिए जिम्मेदार होंगे।
- जो किसान पराली जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा।
- क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी (Agriculture Extension Officer) को जिम्मेदारी दी गई है कि वे पराली जलाने वाले किसानों की पहचान करें।
- वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी (Senior Agriculture Development Officer) इन मामलों की निगरानी करेंगे और रिपोर्ट तैयार कर कृषि उप संचालक को सौंपेंगे।
- हल्का पटवारी और पंचायत सचिव भी कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इस कार्रवाई में सहयोग करेंगे।
- यदि जरूरत पड़ी तो स्थानीय पुलिस की सहायता भी ली जाएगी।
पराली जलाने से होने वाले नुकसान
पराली जलाने से सिर्फ पर्यावरण को नुकसान नहीं होता, बल्कि यह किसानों के लिए भी हानिकारक साबित होता है।
- मिट्टी की उर्वरता घटती है – पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेतों की उत्पादकता कम होती है।
- वायु प्रदूषण बढ़ता है – पराली जलाने से निकलने वाला धुआं हवा को जहरीला बना देता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
- आग लगने का खतरा – पराली जलाने से कई बार खेतों में आग लग जाती है, जिससे आसपास के इलाकों को भी नुकसान होता है।
- वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि – पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें वातावरण में मिलती हैं, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ती है।
सरकार द्वारा किसानों के लिए वैकल्पिक समाधान
पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए सरकार ने कुछ वैकल्पिक उपाय भी सुझाए हैं:
- पराली को जैविक खाद में बदला जाए – सरकार किसानों को पराली को जैविक खाद (कम्पोस्ट) में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी।
- पराली प्रबंधन के लिए मशीनों का उपयोग – सरकार किसानों को स्ट्रॉ रीपर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल प्लाउ, बायो डीकंपोजर और मल्चर जैसी मशीनों पर सब्सिडी दे रही है, ताकि वे पराली जलाने की बजाय इनका उपयोग करें।
- पराली को पशु चारे के रूप में इस्तेमाल करना – पराली को सुखाकर इसे पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बायोगैस प्लांट में पराली का उपयोग – पराली को बायोगैस प्लांट में डालकर ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है।
किसानों की प्रतिक्रिया और चुनौतियां
हालांकि सरकार पराली जलाने पर सख्ती बरत रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि उनके पास सीमित संसाधन हैं।
- कई किसान महंगी मशीनें नहीं खरीद सकते, जिससे पराली जलाने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता।
- छोटे और सीमांत किसान इस नियम को लेकर खासे चिंतित हैं क्योंकि वे अतिरिक्त खर्च वहन नहीं कर सकते।
- किसानों का यह भी कहना है कि पराली को खेत में रखने से कीट और फंगस लगने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे अगली फसल प्रभावित हो सकती है।
सरकार का स्पष्ट संदेश – पराली जलाने पर होगी कड़ी कार्रवाई
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि पराली जलाने की घटनाओं पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जो भी किसान इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि सैटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिए हर खेत की निगरानी की जा रही है और पराली जलाने की घटनाओं को तुरंत चिन्हित किया जा रहा है। इस बार प्रशासन पूरी तरह से सख्त है और दोषियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
पराली जलाने की समस्या सिर्फ किसानों की नहीं बल्कि पूरे समाज की है। यह पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करती है और कृषि उत्पादकता को भी नुकसान पहुंचाती है। सरकार की ओर से पराली प्रबंधन के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन किसानों को भी जागरूक होकर वैकल्पिक उपाय अपनाने होंगे। यदि पराली जलाने की घटनाएं जारी रहीं, तो इससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो होगा ही, साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए भी गंभीर पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न होगा।