आईजी दफ्तर में छिपा कैसा राज? मोबाइल फोन की एंट्री से खौफ खाते हैं साहब!
कार्यालय में लगना चाहिए मोबाइल मुक्त का बोर्ड

रीवा। सरकारी दफ्तरों में अजीब-अजीब नियम आम बात हैं, कहीं चप्पल उतारकर अंदर जाइए, कहीं पहचान पत्र दिखाइए, तो कहीं बिना सिफारिश के फाइल आगे नहीं बढ़ती। लेकिन रीवा आईजी दफ्तर में एक नया नियम लागू हुआ है, जिसने लोगों की आंखें भी चौंधिया दीं हैं और दिमाग भी चकरा दिया। नया नियम यह कि आईजी साहब से मिलने जाना है तो मोबाइल फोन बाहर रखकर आइए! कारण? साहब को मोबाइल फोन से खतरा है।
अब यह खतरा किस तरह का है तकनीकी, मानसिक, रेडियोधर्मी या ज्योतिषीय इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन जनता का दिमाग भुनभुनाना तो लाजमी है। आखिर ऐसा कौन-सा राज छिपा है आईजी दफ्तर में कि मोबाइल के कैमरे, रिकॉर्डिंग और रेडिएशन को भी दरवाजे पर ही रोक दिया गया?
मोबाइल से खतरा , आईजी साहब का नया सुरक्षा कवच :- आईजी कार्यालय से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि यह नियम सुरक्षा के हिसाब से बनाया गया है। पर सुरक्षा के कौन से पहलू पर काम हो रहा है, यह रहस्य से भरा है। एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि साहब मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से बेहद परेशान हो जाते हैं।
अब यह रेडिएशन की बात सुनते ही लोगों को लगा कि शायद साहब विज्ञान की दुनिया में कोई बड़ा शोध कर रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि मोबाइल का रेडिएशन साहब की ऊर्जा को चूस लेता हो, या फिर दफ्तर में कोई ऐसी मशीन रखी हो जो मोबाइल सिग्नल से गड़बड़ा जाए।
लेकिन आम जनता का अनुमान इससे बिल्कुल उलट है उनका कहना है कि आजकल तो मोबाइल से चलने वाली बीमारियां इतनी बढ़ गई हैं कि शायद साहब प्रैक्टिकली बचाव कर रहे हों। आखिर डॉक्टर भी तो कहते हैं कि मोबाइल कम इस्तेमाल करें, ब्लूटूथ को जरूरत पड़ने पर ही ऑन करें और स्क्रीन टाइम घटाएं। मगर यहां तो साहब ने स्क्रीन टाइम नहीं, स्क्रीन एंट्री ही बंद कर दी है।
मोबाइल बाहर रखिए से मन में उठते सवाल:- इस नियम के लागू होने के बाद जनता के मन में कई सवाल उठना भी स्वाभाविक है क्या मोबाइल से साहब का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है? क्या मोबाइल की चमक से कमरे की शांति भंग होती है? क्या मोबाइल कैमरा साहब के सामने आने पर खुद-ब-खुद चालू हो जाता है?
या फिर दफ्तर में कोई ऐसा गोपनीय राज है जिसे मोबाइल की नजर नहीं देख सकती?:- लोगों की प्रतिक्रियाएं भी कम नहीं हैं। कुछ का कहना है कि जैसे पहले अंग्रेजों के राज में हथियार जमा कराकर मिलना पड़ता था, वैसा ही अब आधुनिक हथियार यानी मोबाइल जमा कराकर मिलना पड़ रहा है।
आईजी दफ्तर का नया जमाना, मोबाइल जमा, इंसान आज़ाद :- चौंकाने वाली बात यह है कि मोबाइल जमा करने का यह नियम किसी दूसरे सरकारी दफ्तर में नहीं दिखता। कोर्ट-कचहरी में भी लोग मोबाइल लेकर जाते हैं। यहां तक कि कई बड़े मंत्रालयों में भी मोबाइल रखने की अनुमति रहती है, बस कुछ सेंसिटिव जगहों पर कैमरा बंद रखने का निर्देश होता है।
लेकिन रीवा आईजी दफ्तर ने तो पूरी तकनीक को ही बाहर लॉक कर दिया है। इससे कुछ लोग यह भी कहने लगे कि, शायद साहब डिजिटल डिटॉक्स के प्रचारक बन गए हों। अगर ऐसा है तो ये वाकई क्रांतिकारी कदम है आईजी दफ्तर आएं, अपनी समस्याएं बताएं और मन, मस्तिष्क और जेब तीनों को मोबाइल के बोझ से मुक्त कर लें।
रेडिएशन का डर या पारदर्शिता का खौफ?:-आम लोगों का कहना है कि मोबाइल फोन से वास्तविक खतरा मोबाइल नहीं, बल्कि उसकी रिकॉर्डिंग देता है। आखिर मोबाइल तो खामोश रहता है, लेकिन उसकी वीडियो जरूरत पर सबूत बन जाती है। इसीलिए माना जा रहा है कि यह पूरा नियम सुरक्षा से ज्यादा सुविधा का हो सकता है, दफ्तर और साहब दोनों की सुविधा। अब यह सुविधा किस बात की है, यह तो आईजी साहब ही बेहतर जानते हैं।
जनता का सार्थक सुझाव, अंदर जाने के बाद मोबाइल वापसी की लालसा न रहे:-कई लोग इस नियम को मज़ाक में यह कहकर भी सही ठहरा रहे हैं कम से कम 10–15 मिनट मोबाइल से दूरी मिलेगी, यह भी एक आध्यात्मिक अनुभव ही है। कुछ लोगों ने तो यह तक सुझाव दे दिया कि अगर आईजी साहब मोबाइल से इतना डरते हैं, तो दफ्तर में मोबाइल मुक्त क्षेत्र का बड़ा बोर्ड लगा दिया जाए, ताकि लोग पहले से ही सावधान रहें।
आईजी साहब को मोबाइल से इतना डर क्यों?:- क्या मोबाइल रेडिएशन सच में इतना खतरनाक है?
क्या मोबाइल की मौजूदगी से कोई जांच प्रभावित होती है?या फिर साहब का व्यक्तिगत डर ही नियम बन गया है? जब तक आधिकारिक जवाब नहीं मिलता, जनता इस फैसले को व्यंग्य में ही ले रही है। दफ्तर के बाहर खड़े लोग अक्सर कहते सुनाई दे जाते हैं आईजी साहब बहादुर हैं, लेकिन मोबाइल के सामने बहादुरी थोड़ी कम पड़ जाती है!
बहरहाल मोबाइल बैन का यह नियम चाहे सुरक्षा के नाम पर हो या किसी अन्य कारण से, लेकिन जनता के लिए यह एक रहस्यमय और हास्य का विषय बन चुका है। आईजी दफ्तर में छिपा यह राज़ तभी सामने आएगा जब साहब खुद बताएंगे कि आखिर मोबाइल फोन से कौन-सा खतरा मंडरा रहा है। तब तक आम लोग इसे सरकारी नियमों की विचित्र सीरीज का एक नया एपिसोड मानकर मज़ा ही ले रहे हैं।





