मध्य प्रदेश

Water Shortage in MP: पानी के बिना खेती और शादी का क्या भविष्य? खुसरा गांव की दर्दनाक सच्चाई

पानी के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है, लेकिन क्या हो अगर हर दिन पानी के हर एक कतरे के लिए संघर्ष करना पड़े? मध्यप्रदेश के कटनी जिले के खुसरा गांव के लोग आज भी यही दर्द झेल रहे हैं। यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी गहरे गड्ढे में उतरकर पानी इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं। यहां तक कि लोगों के लिए यह स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि वे अपनी बेटियों की शादी करने में भी संकोच करते हैं।

खतरनाक गड्ढे से पानी लाने की जद्दोजहद

कटनी जिले से महज 65 किलोमीटर दूर स्थित रैथी ब्लॉक के बहोरीबंद क्षेत्र में खुसरा गांव है, जहां पानी के लिए हर दिन एक नई जंग लड़नी पड़ती है। गांव के बीचोंबीच एक गड्ढा है, जहां से लोग चट्टानों से टपकते पानी की कुछ बूंदें इकट्ठा कर अपना प्यास बुझाते हैं। गांव की महिलाएं और बच्चे रोज सुबह उस खतरनाक गड्ढे की ओर जाते हैं, सिर पर भारी बर्तन रखते हैं, पैरों में कांटे चुभते हैं, और आखों में एक ही उम्मीद होती है – कुछ बूंदें पानी की। इस संघर्ष में उनकी जान भी दांव पर लगी रहती है।

पानी की कमी से खड़ा हुआ संकट

गांव की एक वृद्ध महिला कहती हैं कि जब वह 50 साल पहले शादी करके इस गांव में आई थीं, तब भी हालत यही थे और आज भी पानी की स्थिति वही है। वह कहती हैं कि बच्चों का बड़ा होना तो हो गया, लेकिन पानी की समस्या अब भी जस की तस है। खुसरा गांव की यह त्रासदी अब इस गांव की पहचान बन चुकी है। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि जब से वे बच्चे थे, तब से उन्होंने अपने परिवार के लोगों को इस गड्ढे से पानी लाते देखा है। आज भी यही हालत है। इस पानी की कमी ने कई युवाओं के सपनों को मटियामेट कर दिया है। कई युवा अब भी अविवाहित हैं, क्योंकि अब कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी उस गांव में नहीं करता जहां पानी का संकट हो।

गर्मियों में और भी बढ़ जाती है समस्या

गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति गणेश सिंह कहते हैं, “चुनाव के वक्त नेता आते हैं, वादे करते हैं, लेकिन काम कुछ नहीं होता। पानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है, न खेती हो सकती है, न शादी। लड़की के परिवार का कहना है कि अगर पानी नहीं है तो वे अपनी बेटी नहीं देंगे।” गर्मियों में स्थिति और भी खराब हो जाती है। पानी की तलाश में गांव वालों को जंगलों से गुजरना पड़ता है, जहां बाघ और तेंदुआ जैसे जंगली जानवर भी पानी पीने आते हैं। कई बार महिलाएं जानवरों को देख कर अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ों पर चढ़ जाती हैं, और फिर वही संघर्ष शुरू होता है।

सुबह 4 बजे से पानी की लाइन में खड़ी रहती हैं महिलाएं

गांव की एक युवा महिला आरती कहती हैं, “मैं सुबह 4 बजे से पानी की लाइन में खड़ी रहती हूं, अब मेरी बारी आई है। मैं दस सालों से पानी भर रही हूं, लेकिन कुछ भी नहीं बदला। इस कारण मैंने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी।” एक और बुजुर्ग महिला कहती हैं कि पानी की कमी के कारण खेती नहीं होती, बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते। हम किसी तरह से जीवन यापन करते हैं। एक या दो घंटे लाइन में खड़े रहते हैं, फिर जाकर पानी मिलता है।

खुसरा गांव के लोग पानी की इस भयंकर कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन न तो स्थानीय सरकार और न ही कोई संस्था उनकी मदद के लिए आगे आ रही है। यहां के लोग अपनी जिंदगी के सबसे जरूरी तत्व, पानी, के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह हालात समाज और प्रशासन की नाकामी को दर्शाते हैं। अगर जल्दी इस समस्या का हल नहीं निकाला गया, तो यह गांव और यहां के लोग इसी संकट से जूझते रहेंगे।

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