ऑस्ट्रेलिया में बच्चों द्वारा मृत साँप से कूदने की वीडियो वायरल, विवादों में घिरा मामला

ऑस्ट्रेलिया से एक हैरान कर देने वाली वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ बच्चे एक मृत साँप को कूदने की रस्सी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह वीडियो वोराबिंडा, ऑस्ट्रेलिया से सामने आई है, जो रॉकहैम्पटन से लगभग दो घंटे की दूरी पर, केंद्रीय क्वींसलैंड में स्थित है। इस वीडियो में बच्चों को मृत साँप पकड़ कर कूदते हुए देखा जा सकता है, जबकि वे खुशी से हंसते हुए खेल रहे होते हैं।
वीडियो में एक महिला की आवाज़ सुनाई देती है, जो कहती है, “मुझे यह दिखाओ, मुझे यह क्या है?” इसके बाद, एक बच्चा कहता है कि यह “ब्लैक-हेडेड पायथन” (Black-headed Python) है। यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है और हजारों लोग इसे देख चुके हैं।
विवाद और समाजिक प्रतिक्रिया
यह वीडियो जहाँ एक ओर बच्चों के नासमझ खेल को दिखाता है, वहीं दूसरी ओर समाज में गुस्से और आलोचना का कारण भी बन गया है। लोग इस तरह की गतिविधियों को बच्चों में सही संवेदनशीलता और पशुओं के प्रति सम्मान न उत्पन्न करने वाला मान रहे हैं। कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का कहना है कि इस साँप को इस तरह से खेल के रूप में इस्तेमाल करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह दर्शाता है कि बच्चों में जीवों के प्रति सही समझ और सहानुभूति का अभाव है।
Australian Aboriginal children use dead python as a skipping rope in Woorabinda, Queensland pic.twitter.com/1VfIdL3hIs
— Clown Down Under 🤡 (@clowndownunder) March 10, 2025
एक यूज़र ने लिखा, “इस साँप को इस तरह से खेलने के बजाय इसे सम्मानपूर्वक दफन किया जाना चाहिए था।” दूसरे यूज़र ने इसे इस तरह से बढ़ावा देने को बच्चों में इंसानियत और पशु-प्रेम की भावना को नष्ट करने वाला बताया।
इस मामले पर रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स (RSPCA) ने भी चिंता जताई है। एक प्रवक्ता ने कहा, “हम इस प्रकार की अनुचित हरकतों की निंदा करते हैं और इस मामले की जांच की जाएगी।”
कानूनी दृष्टिकोण
ऑस्ट्रेलिया में सांपों को मारने या उन्हें नुकसान पहुँचाने के मामले में कड़े कानून हैं। विशेष रूप से ब्लैक-हेडेड पायथन जैसे सांपों को प्रकृति संरक्षण अधिनियम 1992 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है। यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार के सांप को मारने या घायल करने का दोषी पाया जाता है, तो उस पर 6.9 लाख रुपये (7,952 अमेरिकी डॉलर) तक का जुर्माना हो सकता है।
ब्लैक-हेडेड पायथन एक गैर-विषैले साँप की प्रजाति है, जो आमतौर पर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। यह साँप 3.5 मीटर तक लंबा हो सकता है और अपने शिकार को कसकर लपेटकर मारता है। हालांकि यह प्रजाति आमतौर पर मानवों से टकराव से बचती है और अपनी शांति बनाए रखती है।
जानवरों के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता
यह घटना समाज को यह याद दिलाती है कि हमें जानवरों और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। बच्चों को इस तरह के कृत्यों में लिप्त देखना यह दर्शाता है कि उनके लिए जानवरों की पवित्रता और जीवन की अहमियत को समझने की आवश्यकता है। इसे हम केवल एक खेल के रूप में नहीं देख सकते, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण शिक्षा का समय होना चाहिए कि हमें हर जीव की क़ीमत और उसकी सुरक्षा का सम्मान करना चाहिए।
समाज में यह जागरूकता बढ़ानी चाहिए कि प्रकृति और जानवरों के साथ हमारा संबंध संतुलन में होना चाहिए। बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि जानवरों को नुकसान पहुँचाना या उनका मजाक उड़ाना गलत है, और हमें उनके साथ एक संवेदनशील और आदर्श तरीके से व्यवहार करना चाहिए।
क्यों है यह घटना इतनी विवादास्पद?
यह घटना केवल एक वीडियो नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देती है कि जब तक हम बच्चों को यह नहीं सिखाएंगे कि जानवरों के जीवन की क़ीमत क्या है, तब तक ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी। समाज के बड़े हिस्से का मानना है कि इस वीडियो को देखकर बच्चों में पशु-पक्षियों के प्रति सही आदर्श और सहानुभूति का विकास नहीं होगा। इसके बजाय, यह केवल उन्हें अपने आसपास के जीवों के प्रति असंवेदनशील बना सकता है।
ऑस्ट्रेलिया में जहां जानवरों के प्रति संरक्षण की दिशा में कड़े प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं इस प्रकार की घटनाएँ देश में इस पहलू को लेकर गंभीर चिंता का कारण बन जाती हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसी घटनाएँ फिर से न घटित हों और बच्चों को यह सिखाया जाए कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ हमें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए।
इस घटना ने हमें यह सिखाया है कि बच्चों को सिर्फ खेल के नाम पर ऐसी गतिविधियाँ नहीं करनी चाहिए जो उनके संवेदनशीलता और समझ को प्रभावित करें। किसी भी जीव की असामान्य स्थिति का मजाक उड़ाना, या उसका शोषण करना समाज में सही नहीं है। यह जरूरी है कि हम सभी बच्चों को जानवरों के प्रति आदर्श और सम्मान की भावना सिखाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।