Ujjain News: नववर्ष की शुरुआत बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन से, भक्तों ने भस्म आरती में लिया आशीर्वाद

Ujjain News: उज्जैन, जिसे धार्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है, में हर नववर्ष की शुरुआत बाबा महाकाल के दर्शन से होती है। यहां के भक्त हर नए काम की शुरुआत बाबा महाकाल की आशीर्वाद से करते हैं। इस नववर्ष के पहले दिन, लाखों भक्त श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, जहां रात 3 बजे से ही भक्तों की लंबी कतारें दर्शन के लिए लगने लगी थीं। जैसे ही भस्म आरती शुरू हुई, भक्त “जय श्री महाकाल” का उद्घोष करते हुए बैरिकेड्स तक पहुंचे और वहां बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन किए। भक्तों ने बाबा महाकाल की बिना रूप से रूप में बदलती भस्म आरती को देखा और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ अपने इष्ट देवता से आशीर्वाद लिया।
महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का महत्व
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर सुबह बाबा महाकाल की भस्म आरती होती है, जो अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों से अलग है। पंडित महेश शर्मा, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी, ने बताया कि आज बुधवार, पौष महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को बाबा महाकाल ने सुबह 4 बजे अपनी दिव्य जागृति की। मंदिर के द्वार पहले वीरभद्र और मनभद्र के आदेश से खोले गए, उसके बाद सबसे पहले भगवान का स्नान गर्म पानी और पंचामृत से कराया गया, और फिर भगवान को केसर मिश्रित जल अर्पित किया गया।
इस दिन बाबा महाकाल का स्वरूप कुछ अलग था, जिसे देखकर भक्त गहरी भक्ति में डूब गए और “जय श्री महाकाल” का उद्घोष करते हुए अपने बाबा से आशीर्वाद लिया। इसके बाद महाकाल के भस्म अर्पण की विधि महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा पूरी की गई।
भस्म आरती केवल महाकाल के दर्शन में होती है
पंडित अर्जित गुरु, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी, ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल महाकाल के दरबार में भस्म आरती होती है। यह आरती हर सुबह 4 बजे होती है, जिसमें बाबा महाकाल अपनी उपस्थिति को भस्म से प्रकट करते हैं। यह आरती विशेष रूप से बाबा महाकाल के भक्तों के लिए होती है, और इस दौरान भगवान का जलाभिषेक भी किया जाता है।
भक्तों ने की व्यवस्थाओं की सराहना
जैसा कि पिछले साल हुआ था, इस साल भी प्रशासन को उम्मीद है कि लाखों भक्त बाबा महाकाल के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचेंगे। इसलिए प्रशासन ने मंदिर में दर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए पूरी व्यवस्था की है। भक्तों ने भी इस दौरान श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति की व्यवस्थाओं की सराहना की और इसे भक्तों के लिए सुगम और आसान बताया।
महाकाल का महत्व और भक्तों का श्रद्धा भाव
महाकाल को समय का देवता कहा जाता है, जो समय के स्वामी हैं। यही कारण है कि सभी भक्त महाकाल के दरबार से नववर्ष की शुरुआत करते हैं। नववर्ष के पहले दिन बाबा महाकाल से आशीर्वाद लेने के बाद भक्तों ने न केवल अपने जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं, बल्कि पूरे वर्ष की सुख-समृद्धि की भी कामना की। इस अवसर पर भक्तों को महाकाल के दर्शन का अनूठा अवसर प्राप्त हुआ।
भस्म आरती के समय क्या हुआ
आज महाकाल के दरबार में जैसे ही मंदिर के द्वार खोले गए, भगवान को दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से स्नान कराया गया। इसके बाद पंचामृत पूजा की गई और बाबा महाकाल को विशेष रूप से मावा, काजू, बादाम, किशमिश, चंदन आदि से सुसज्जित किया गया। भगवान के इस विशेष श्रृंगार के बाद, एक भव्य भस्म आरती का आयोजन हुआ। पंडितों और पुजारियों ने नए वर्ष के अवसर पर महाकाल के भस्म आरती के लिए विशेष तैयारियां की थीं।
महाकाल के दरबार को विशेष फूलों और फलों से सजाया गया था। महाकाल के मंदिर में देश-विदेश से लाए गए विशेष फूलों से सजावट की गई थी। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक अनुकूल जैन ने बताया कि सुबह तक मंदिर में हजारों भक्तों ने दर्शन किए थे और यह सिलसिला मंदिर बंद होने तक चलता रहेगा।
इस वर्ष का नववर्ष महाकाल के दरबार में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति से भरा हुआ था। बाबा महाकाल के दर्शन से न केवल भक्तों का जीवन धन्य हुआ, बल्कि उन्होंने बाबा महाकाल से आशीर्वाद लेकर अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाने का संकल्प लिया। महाकाल की भस्म आरती और उसके बाद भगवान के दिव्य दर्शन ने इस दिन को विशेष बना दिया। भक्तों की आस्था और भक्ति के साथ, नववर्ष का यह पर्व महाकाल के आशीर्वाद से शुभ और मंगलमय हो गया।