छत्तीसगढ

Chhattisgarh में बांगलादेशी और रोहिंग्याओं के खिलाफ विशेष अभियान, पहचान और पकड़ने की प्रक्रिया शुरू

Chhattisgarh राज्य सरकार ने बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान के तहत, राज्य में अवैध रूप से रहने और काम कर रहे बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान करने के लिए उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी। इसमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड जैसे अहम दस्तावेजों की जांच शामिल होगी। इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बनाए गए आधार और राशन कार्ड जैसी अन्य दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी।

विशेष अभियान की शुरुआत

छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र से यह जानकारी प्राप्त करने के लिए एक पत्र लिखा है कि बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के आधार कार्ड किस आधार पर जारी किए गए हैं, खासकर उन दस्तावेजों के संबंध में जो जनप्रतिनिधियों की सिफारिश पर बने हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि ऐसे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जिन्होंने इन दस्तावेजों को जारी करने में कोई धोखाधड़ी की है।

इस अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजना है। राज्य सरकार का कहना है कि कई अन्य राज्यों से लोग बिना दस्तावेजों के राज्य में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, जिससे एक नई समस्या पैदा हो गई है।

Chhattisgarh में बांगलादेशी और रोहिंग्याओं के खिलाफ विशेष अभियान, पहचान और पकड़ने की प्रक्रिया शुरू

1500 बांगलादेशी और रोहिंग्याओं की जानकारी

राज्य के गृह विभाग को दुर्ग जिले में 1500 बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के होने की सूचना मिली है। इनमें से कई मजदूरों ने भिलाई स्टील प्लांट (BSP) में ठेके पर काम किया है, लेकिन उनके पास नागरिकता से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं हैं। इन ठेकेदारों के दस्तावेजों की जांच जल्द ही शुरू की जाएगी। गृह विभाग ने जल्द ही एक SOP (Standing Operating Procedure) जारी करने की तैयारी की है, जिससे राज्य में बिना पहचान पत्र के रह रहे लोगों की पहचान की जा सके।

भिलाई और अन्य क्षेत्रों में अभियान

पिछले महीने, भिलाई-3 थाना पुलिस ने हैथखोज औद्योगिक क्षेत्र के न्यू कॉलोनी में रहने वालों की पहचान करने के लिए अभियान चलाया था। इस दौरान, पुलिस ने उन लोगों के स्थायी पते की जांच की, जो दो-तीन साल से इस क्षेत्र में बस चुके थे। इसमें 33 लोग पाए गए जो पश्चिम बंगाल के बांगलादेश सीमा से लगे क्षेत्र से थे। पुलिस ने सभी को चेतावनी दी और उन्हें छोड़ दिया। इसके अलावा, पुलिस ने राजनांदगांव जिले के मोला-मनुपर से भी कुछ संदिग्धों को पकड़ा, जो आठ महीने से अवैध रूप से वहां रह रहे थे।

इस अभियान के दौरान, पिछले महीने 40 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। वहीं, पुलिस 58 अन्य संदिग्धों की तलाश कर रही है। ये लोग पश्चिम बंगाल से बस्तर क्षेत्र में आए थे और पुलिस उनकी पहचान करने में जुटी हुई है।

गृह विभाग की सख्त नीति

गृह विभाग ने इस मुद्दे को लेकर गंभीर रुख अपनाया है और सभी संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। विभाग ने कहा है कि जिन लोगों के पास नागरिकता से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, सरकार ने यह भी कहा है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया जाएगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में जाकर संदिग्धों की जांच करेंगी।

सार्वजनिक प्रतिनिधियों पर कार्रवाई

इस विशेष अभियान के दौरान, यदि किसी जनप्रतिनिधि के बारे में यह पाया जाता है कि उसने गलत तरीके से किसी बांगलादेशी या रोहिंग्या नागरिक के लिए दस्तावेज जारी किए हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए केंद्र से आवश्यक जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है। सरकार का कहना है कि यदि जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

प्रभावित क्षेत्रों की पहचान

छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, और बस्तर में बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की मौजूदगी की सूचना मिली है। इन क्षेत्रों में इनकी बड़ी संख्या में उपस्थिति और कार्यरत मजदूरों के बिना दस्तावेज के रहने से प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन अवैध नागरिकों के पास न तो पहचान पत्र हैं और न ही अन्य नागरिकता से संबंधित दस्तावेज।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा

राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों का अवैध रूप से राज्य में रहना सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरे का कारण बन सकता है। इन नागरिकों का आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की संभावना होती है, जिससे राज्य और देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

छत्तीसगढ़ सरकार का यह अभियान बांगलादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान और उन्हें राज्य से बाहर भेजने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसके माध्यम से राज्य में नागरिकता संबंधी दस्तावेजों के गलत तरीके से जारी होने की जांच की जाएगी, जिससे राज्य की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा। सरकार और पुलिस विभाग को इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहे और अवैध नागरिकों की पहचान की जा सके।

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