Mp news.साहब कहां से आ रही है इनकी तनख्वाह! सरकारी कंप्यूटर से छेड़छाड़ करते थाना प्रभारी महोदय के शागिर्द
Madhya Pradesh. सरकार के द्वारा पुलिस विभाग के कर्मचारियों को बेहतर सुविधा दिलाने नित नए प्रयास किए जा रहे हैं मगर सरकार ने विभाग में बल की कमी को अक्सर नजरअंदाज ही किया है जिसकी वजह से मध्य प्रदेश पुलिस की वर्दी में तैनात पुलिसकर्मियों को प्रायवेट व्यक्तियों के भरोसे पर काम करना पड़ रहा है जिसकी वजह से कभी कभार सरकारी खुफिया जानकारियां भी लीक हो जाती और अपराधियों को इस पर मदद मिल जाती है परंतु न तो प्रदेश सरकार के नुमाइंदे और न ही वरिष्ठ अधिकारी इस ओर किसी भी प्रकार का ध्यान दे पा रहे हैं।
दरअसल रीवा जिले का पुलिस बल भी इन दिनों प्रायवेट व्यक्तियों के भरोसे पर ही चल रहा है फिर चाहे पुलिस के सरकारी कामकाज में मदद की बात हो या अधिकारियों के निजी राजस्व में इजाफा करने का जिक्र हो हर स्थान पर प्रायवेट कर्मचारी बानर सेना के रूप में पुलिस की मददगार के तौर पर पहुंच जाते हैं और इससे उन्हें भी पुलिस की वर्दी को धौंस के रूप में दिखाने का साहस मिल जाता है।
पुलिस विभाग में तैनात निजी कर्मचारियों की बात करें तो पुलिस विभाग के खुफिया तंत्र साइबर सेल से लेकर प्रत्येक थानों की कंप्यूटराइज्ड व्यवस्था में इनका सहयोग लगातार विभाग को मिल रहा है जिससे कई बार कुछ जानकारियां लीक होकर अपराधियों तक भी पहुंच जाती हैं और उन्हें अपराध में राहत मिल जाती है जिससे लगातार अपराधिक घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है।
बताया जा रहा है कि जिले के मुख्य शहरी थानों के साथ ही ग्रामीण थानों में भी इन दिनों प्रायवेट कर्मचारियों के भरोसे पर ही पुलिसिया व्यवस्था बनी हुई है जहां तमाम सरकारी कार्यों की देखरेख से लेकर सांठ गांठ तक का काम करने में यह कर्मचारी अपनी रुचि दिखाते हैं जिससे साहब लोगों की भी मौज रहती है।
कहां से आती है इनकी तनख्वाह?
जिले के तमाम थानों के साथ ही साइबर सेल के रूप में भी लगातार प्रायवेट कर्मचारियों का उपयोग पुलिस विभाग में किया जा रहा है परंतु इन कर्मचारियों की सैलरी शासन के किस मद से रिलीज की जाती है इसका कोई उल्लेख किसी भी दस्तावेज में नहीं है गुप्त सूत्रों की माने तो वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा अपनी जेब की राशि का उपयोग कर इस तरह के कर्मचारियों का भरण पोषण कराया जा रहा है।