Operation Bhediya: चालाक ‘अल्फा’ फिर से घेरा तोड़ कर भागा, 40 गांवों में आतंक जारी
Operation Bhediya: बहराइच के 40 गांवों में एक भेड़िये का आतंक छाया हुआ है, जिसे ‘अल्फा’ के नाम से जाना जाता है। गांववाले और वन विभाग की टीम ने इस खूंखार भेड़िये को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, लेकिन चालाकी से वह हर बार जाल से बच निकलता है। इस भेड़िये ने अब तक दस लोगों की जान ले ली है और 42 लोग घायल हो चुके हैं।
भेड़िये का कहर: एक और घटना
सोमवार की शाम करीब सात बजे, जब रामकिशन, जो सिसैया गांव के निवासी हैं, का बकरा उनके आंगन से गायब हो गया। उन्होंने देखा कि भेड़िया उनके बकरे को उठाकर ले जा रहा है। रामकिशन और गांव के लोग भेड़िये के पीछे दौड़े, लेकिन वह फुर्ती से पास के गन्ने के खेत में गायब हो गया। वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची, साथ ही कुछ शूटर्स और विशेषज्ञों को भी बुलाया गया। दो ड्रोन भी तैनात किए गए ताकि भेड़िये की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके।
ऑपरेशन भेड़िया: चक्रव्यूह में फंसा लेकिन फिर बच निकला
जैसे ही भेड़िये की मौजूदगी के संकेत मिले, वन विभाग ने उसे पकड़ने की रणनीति बनाई। गन्ने के खेत में एक तरफ जाल बिछाया गया और शूटर्स अपनी पोज़िशन पर तैनात हो गए। ड्रोन लगातार उसकी हरकतों की निगरानी कर रहे थे। रात के 10 बज चुके थे और इसी बीच विधायक सुरेश्वर सिंह अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। वह भी भेड़िये की गतिविधियों का निरीक्षण करने लगे। खेत के बीचों-बीच, भेड़िया एक बकरे को खा रहा था, जो विधायक के घर के पास के गन्ने के खेत में था।
डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) अजीत प्रताप सिंह खुद इस ऑपरेशन की कमान संभाले हुए थे। भेड़िये को जाल में फंसाने की पूरी योजना बनाई गई थी। जैसे ही संकेत मिले, सैकड़ों ग्रामीणों के साथ वन विभाग की टीम और विधायक अपने हथियारों के साथ गन्ने के खेत में घुस गए। पूरे खेत की तलाशी ली गई, लेकिन ‘अल्फा’ नाम का यह चालाक भेड़िया एक बार फिर सभी की योजना को नाकाम करते हुए भाग निकला।
गांवों में फैली दहशत
इस भेड़िये का आतंक 100 मजरों तक फैल चुका है, जहां के लोग दिन-रात डर के साये में जी रहे हैं। गांव वालों की उम्मीद थी कि इस बार वे इस आतंक से छुटकारा पा लेंगे, लेकिन भेड़िये की चालाकी ने उन्हें एक बार फिर निराश किया। पिछले तीन दिनों से इलाके में भेड़िये की हरकतें कम हो गई थीं, लेकिन सोमवार की घटना ने एक बार फिर लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
डीएफओ अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि इस भेड़िये का पकड़ा जाना अब बेहद जरूरी है, लेकिन उसकी चतुराई और रात के अंधेरे का फायदा उठाकर वह हर बार भाग निकलता है। वह इस समूह का आखिरी भेड़िया है और बेहद चालाक है। हालांकि, वन विभाग की टीम लगातार कोशिशें कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही भेड़िये को पकड़ लिया जाएगा।
भेड़िये का इतिहास और वन विभाग की रणनीति
यह भेड़िया उस समूह का आखिरी जीवित सदस्य है जिसने बहराइच के 40 गांवों में आतंक मचा रखा है। इस भेड़िये के आतंक से बचने के लिए गांववाले अब अपने बच्चों को घर से बाहर नहीं भेजते, और रात में खेतों में जाने से भी डरते हैं। भेड़िये का निशाना अधिकतर पालतू जानवर होते हैं, लेकिन जब से उसने इंसानों पर हमला करना शुरू किया है, तब से गांववालों की चिंता बढ़ गई है।
वन विभाग ने इस भेड़िये को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान चलाया है जिसे ‘ऑपरेशन भेड़िया’ नाम दिया गया है। इस अभियान में प्रशिक्षित शूटर्स, ड्रोन और जाल का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन भेड़िये की चालाकी और तेज गति के चलते अब तक वह पकड़ से बाहर है।
गांववालों का डर और उम्मीद
ग्रामीणों का कहना है कि भेड़िये की चपलता और चालाकी के चलते अब वे खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। सिसैया, रामनगर, टेढ़ा, बेहड़ा जैसे गांवों में लोगों ने रात में घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है। लोग डर के कारण खेतों में भी काम करने से कतराते हैं, और कई परिवारों ने अपने पालतू जानवरों को गांव के बाहर छोड़ना शुरू कर दिया है।
सरकार और वन विभाग का प्रयास
डीएफओ अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि जल्द ही इस भेड़िये को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम सभी उपाय करेगी। एक नई रणनीति तैयार की जा रही है जिसमें ज्यादा से ज्यादा तकनीकी सहायता और विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
ग्रामीणों को उम्मीद है कि वन विभाग की टीम जल्द ही इस भेड़िये को पकड़ने में सफल होगी और वे एक बार फिर से सामान्य जीवन जी सकेंगे। लेकिन तब तक, ‘अल्फा’ भेड़िये का आतंक बहराइच के 40 गांवों के लोगों के लिए खौफनाक सच्चाई बना हुआ है।