Chhattisgarh में जवान की हत्या मामले में NIA की बड़ी कार्रवाई, कई संदिग्धों के ठिकानों पर छापे, तीन कांग्रेसी नेता हिरासत में
Chhattisgarh के कांकेर जिले में सेना के जवान मोतीराम अचला की हत्या के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। शनिवार को NIA ने इस हत्या के संबंध में 11 संदिग्धों के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया। जांच टीम ने 10 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद तीन कांग्रेसी नेताओं को हिरासत में लिया। इन नेताओं में बदेटेवाड़ा के कांग्रेसी नेता सुरेश सलाम, उसेली के रघुवीर जैन और ऊपरकमता के अर्जुन कुरेटी शामिल हैं।
नक्सलियों के सहयोगी होने का शक
इन तीनों कांग्रेसी नेताओं को नक्सलियों का सहयोगी होने के संदेह में हिरासत में लिया गया है। तलाशी अभियान के दौरान NIA ने एयर गन, मोबाइल फोन, प्रिंटर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, डीवीआर, मोटरसाइकिल और 66,500 रुपये नकद समेत आपत्तिजनक नक्सली दस्तावेज भी बरामद किए हैं। इन सबूतों के आधार पर NIA ने तीनों नेताओं को गिरफ्तार किया है।
जवान मोतीराम अचला की हत्या
यह मामला पिछले साल 23 फरवरी का है, जब नक्सलियों ने कांकेर के उसेली इलाके में मुरगा बाजार में सेना के जवान मोतीराम अचला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जवान मोतीराम अपने बड़े भाई और दोस्तों के साथ मेले में गए थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया। हत्या के बाद हमलावर ‘लाल सलाम जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए जंगल की ओर भाग गए।
इस हत्या के बाद से ही यह मामला NIA के अधीन चल रहा है, और जांच एजेंसी नक्सलियों और उनके सहयोगियों की तलाश में जुटी हुई है। NIA की जांच अब उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां नक्सलियों के संभावित सहयोगियों को गिरफ्तार किया जा रहा है।
कांग्रेसी नेताओं की भूमिका पर सवाल
NIA द्वारा हिरासत में लिए गए तीनों कांग्रेसी नेताओं की नक्सलियों से कथित मिलीभगत की जांच की जा रही है। यह घटना कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है, क्योंकि नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में राजनीतिक दलों और नक्सलियों के बीच संबंधों को लेकर हमेशा से संदेह बना रहा है। इन नेताओं के घरों से आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री मिलने से जांच एजेंसी को और भी अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।
पत्रकार और कांग्रेस नेता के घर छापेमारी
इसके अलावा, NIA ने नक्सल प्रभावित अमाबेड़ा इलाके में पत्रकार और कांग्रेस नेता बिरेंद्र पटेल के घर पर भी छापेमारी की। बिरेंद्र पटेल वर्तमान में स्वास्थ्य कारणों से रायपुर में हैं, इसलिए उनसे कोई पूछताछ नहीं हो सकी। NIA ने उनके घर से भी कई सामग्रियां और नक्सली दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
NIA की कार्रवाई का मकसद
NIA की यह कार्रवाई न केवल जवान मोतीराम अचला की हत्या के दोषियों को पकड़ने के लिए है, बल्कि यह Chhattisgarh में सक्रिय नक्सली संगठनों और उनके राजनीतिक सहयोगियों की पहचान करने के लिए भी की जा रही है। जांच एजेंसी इस मामले में गहनता से पड़ताल कर रही है और Chhattisgarh में नक्सलियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के प्रयास कर रही है।
NIA के एक अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान अब तक जो सबूत मिले हैं, उनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि नक्सलियों के साथ कई स्थानीय नेताओं और व्यक्तियों का गहरा संबंध हो सकता है। इन सभी संभावित सहयोगियों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
Chhattisgarh में नक्सलवाद की चुनौती
Chhattisgarh लंबे समय से नक्सलवाद की चुनौती से जूझ रहा है। राज्य के कई हिस्सों में नक्सलियों का प्रभाव है, खासकर बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे इलाकों में। यहां नक्सली सुरक्षा बलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और आम नागरिकों पर हमले करते रहते हैं। इन हमलों से निपटने के लिए सुरक्षा बल और NIA जैसी एजेंसियां लगातार ऑपरेशन चलाती रहती हैं।
राजनीतिक दांवपेंच
NIA की इस कार्रवाई के बाद Chhattisgarh की राजनीति में भी हलचल मच गई है। कांग्रेस के नेता जहां इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दे रहे हैं, वहीं NIA का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह तथ्यों और सबूतों पर आधारित है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया है कि NIA का इस्तेमाल केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को फंसाने के लिए कर रही है। हालांकि, NIA ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी जांच निष्पक्ष है और कानून के अनुसार की जा रही है।
आगे की जांच और संभावित कार्रवाई
NIA की जांच अभी जारी है और संभावना है कि इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। NIA की टीम लगातार संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी कर रही है और नक्सलियों के सहयोगियों की पहचान कर रही है। इसके अलावा, NIA उन लोगों पर भी नजर रख रही है जो नक्सलियों को आर्थिक मदद और अन्य सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं।