छत्तीसगढ

नक्सली हमला: नक्सलियों के नए कैम्प में सुरक्षा बलों पर हमला, दो जवान घायल

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के रायगुडे़म क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई जारी है। यह इलाका नक्सलवाद से प्रभावित रहा है और यहां नक्सलियों का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में रायगुडे़म में एक नया कैम्प स्थापित किया गया था, जिसके बाद नक्सलियों ने इस कैम्प पर रात के अंधेरे में हमला कर दिया। इस हमले में दो जवान घायल हो गए हैं, हालांकि उनकी स्थिति अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। इस हमले के साथ ही नक्सलियों की ओर से सुरक्षा बलों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सुरक्षा बलों ने भी पलटवार किया है, जिससे नक्सली भागने को मजबूर हो गए।

रायगुडे़म के नए कैम्प पर नक्सलियों का हमला

गांगी नदी के पार गोमगुड़ा क्षेत्र में एक नया कैम्प स्थापित किया गया था, जो कि चिन्तलनार थाना क्षेत्र में स्थित है। यह क्षेत्र पिछले चार दशकों से नक्सलियों के प्रभाव में रहा है। सुरक्षा बलों के इस इलाके में पहुंचने से नक्सलियों की बेचैनी बढ़ गई थी, जिसके कारण उन्होंने रात के समय इस नए कैम्प पर अचानक हमला कर दिया। हमले में बीजीएल (बारल ग्रेनेड लांचर) का इस्तेमाल किया गया, जिसमें कोबरा 206 बटालियन के दो जवान घायल हो गए। ये जवान कैम्प के बाहरी घेरे में तैनात थे और उनके घायल होने के बावजूद, जवानों ने तुरंत पलटवार किया, जिसके बाद नक्सलियों को भागना पड़ा।

दोनों घायल जवानों को प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर बेहतर इलाज के लिए उन्हें अस्पताल भेजा गया। सुरक्षा बलों की ओर से की गई प्रतिक्रिया ने नक्सलियों के हमले को नाकाम कर दिया, और यह दिखा दिया कि सुरक्षा बल इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

नक्सलियों का चार दशकों से कब्जा

गोमगुड़ा क्षेत्र, जहां नया कैम्प स्थापित किया गया था, वह पिछले चार दशकों से नक्सलियों के नियंत्रण में रहा है। इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों के संचालन में कई बार रुकावटें आईं हैं और नक्सलियों ने हमेशा इस क्षेत्र को अपना गढ़ बनाए रखा। पहले जब भी सुरक्षा बल इस इलाके में ऑपरेशन करते थे, तो नक्सलियों द्वारा नदी के पार से गोलाबारी की जाती थी। लेकिन अब सुरक्षा बल इस इलाके में लगातार पैठ बना रहे हैं, जिससे नक्सली बुरी तरह से परेशान हो गए हैं और उन्हें अपनी ताकत को फिर से मजबूत करने के लिए ऐसी हिंसक गतिविधियों का सहारा लेना पड़ रहा है।

नक्सली हमला: नक्सलियों के नए कैम्प में सुरक्षा बलों पर हमला, दो जवान घायल

नक्सलियों की ओर से अपने ही साथी की हत्या

हाल ही में एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें नक्सलियों ने अपने ही साथी की हत्या कर दी। यह घटना छत्तीसगढ़ के बर्सुर थाना क्षेत्र के गुफा गांव में घटी। नक्सलियों ने अपने संगठन के एक अहम सदस्य जंतना सरकार अध्यक्ष को निर्मम तरीके से मार डाला। हत्या का कारण यह बताया जा रहा है कि नक्सलियों को संदेह था कि जंतना सरकार ने नक्सली गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा बलों तक पहुंचाई है। नक्सलियों को यह शक था कि माड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों की बढ़ती घुसपैठ और कुछ बड़ी नक्सली शख्सियतों के मारे जाने के बाद उनका संगठन कमजोर हो रहा है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 12 से 15 नक्सलियों का एक दल गुफा गांव में जंतना सरकार के घर पर पहुंचा और उसे बेरहमी से पीटा। इसके बाद, उसे गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद, नक्सलियों ने मौके पर कुछ पर्चे भी फेंके, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह हत्या संगठन के भीतर के एक विश्वासघात को लेकर की गई थी। यह घटना नक्सली गुट के भीतर चल रहे आंतरिक संघर्षों को भी उजागर करती है, जहां एक सदस्य को केवल संदेह के आधार पर मौत के घाट उतार दिया गया।

नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की लड़ाई

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच की जंग दिन-प्रतिदिन तेज होती जा रही है। जहां एक ओर नक्सलियों द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं, वहीं सुरक्षा बल भी अपनी रणनीतियों को मजबूत कर रहे हैं। नक्सलियों के द्वारा किए गए हमले और हिंसा के बावजूद, सुरक्षा बलों ने अपने अभियान को तेज किया है और नक्सलियों के इलाके में घुसपैठ करके उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की है। इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि नक्सलवाद की समस्या को समाप्त करने के लिए सुरक्षा बलों को लगातार चौकस रहना होगा और अपने मिशन में सफलता हासिल करनी होगी।

नक्सलवाद से निपटने के लिए समन्वित प्रयास

नक्सलवाद एक जटिल और चुनौतीपूर्ण समस्या है, जो न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई है। इसे समाप्त करने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से रणनीतिक रूप से कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, सरकार भी इस समस्या का समाधान करने के लिए सामाजिक और आर्थिक उपायों पर काम कर रही है, ताकि नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को गति दी जा सके और लोगों को नक्सलियों के प्रभाव से बाहर निकाला जा सके।

नक्सलियों की यह रणनीति कि वे अपने ही संगठन के सदस्य को मार डालते हैं, यह इस बात का संकेत है कि उनका संगठन कमजोर हो चुका है और अब वे आंतरिक संघर्षों से भी जूझ रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बलों की ओर से किए जा रहे ऑपरेशनों का असर नक्सलियों पर पड़ रहा है और उनका मनोबल कमजोर हो रहा है।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के रायगुडे़म और गोमगुड़ा क्षेत्रों में नक्सलियों द्वारा किए गए हमले यह दर्शाते हैं कि नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की लड़ाई अब और भी कठिन हो गई है। नक्सलियों के हमलों के बावजूद, सुरक्षा बलों ने अपनी स्थिति मजबूत की है और उन्होंने नक्सलियों को भागने पर मजबूर किया। इसके अलावा, नक्सलियों द्वारा अपनी ही संगठन के सदस्य की हत्या यह भी दिखाती है कि उनका संगठन आंतरिक रूप से कमजोर हो रहा है। अब सुरक्षा बलों को नक्सलवाद के समूल नाश के लिए और भी ज्यादा मेहनत करनी होगी, ताकि इस तरह के हिंसक हमलों को रोका जा सके और क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d