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Mp news.मिनर्वा हॉस्पिटल या होटल! अन्दर गए तो लुट के आओगे बाहर, मिनर्वा में बिना ऑपरेशन के ही बना दिया अधेड़ का ऑपरेशन वाला डेढ़ लाख का बिल

Rewa.निजी अस्पतालों के मनमाना रवैए को लेकर शासन और प्रशासन के द्वारा इन दिनों किसी भी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है जिसके चलते रीवा जिले के तमाम प्रायवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम संचालक लगातार अपनी मनमानी पर उतारू हो गए हैं तथा छोटी मोटी बीमारियों पर भी वह उन के दून कमाई करते जा रहे हैं मगर जिम्मेदार बेपरवाह होकर कमरे में बैठे आराम फरमा रहे हैं।

राई को पहाड़ बताकर बनाते हैं चार्ज

रीवा के पुराने बस अड्डे पर संचालित मिनर्वा दा मेडिसिटी नाम की प्रायवेट अस्पताल से ताजा मामला कुछ इसी प्रकार से निकल कर सामने आया है जहां राई की बीमारी में पहाड़ काटने की बात करके मरीज से लाखों रूपये ठगने का प्रयास किया जा रहा था जिसके बाद मरीज के परिजनों ने घटना का विरोध किया तो अस्पताल प्रबंधन के हाथ पांव फूलने लगे और ले दे कर तुरंत ही मामले को रफा दफा कर दिया।

सरकारी सेवक लाखों की डील कर बजा रहे मिनर्वा की ड्यूटी

दरअसल मिनर्वा अस्पताल में कुछ दिनों पूर्व एक अधेड़ व्यक्ति को भर्ती किया गया था जिसका इलाज सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में सरकारी सेवाएं दे रहे न्यूरोलॉजिस्ट सोनपाल जिंदल ने किया था जिसमें डॉक्टर जिंदल ने सामान्य ट्रीटमेंट की बात की थी मगर जब मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज दिलाने की बारी आई तो अस्पताल प्रबंधन मोटी पर्ची का बिल थामा दिया गया जिसमें बकायदा लिखा हुआ था कि डेढ़ लाख रुपए ऑपरेशन चार्ज है जबकि डॉक्टर सोनपाल जिंदल ने पहले ही यह बात स्पष्ट कर दी थी कि उनके द्वारा मरीज का कोई ऑपरेशन या सर्जरी नहीं की गई है फिर भी अस्पताल स्टाफ बात पर अड़ गया और एक्स्ट्रा डेढ़ लाख रुपए की मांग करने लगा जिसके बाद परेशान परिजनों ने घटना की शिकायत का हवाला देते हुए विरोध दर्ज कराया तो आनन फानन में अस्पताल के आकाओं ने मैनेजमेंट बनवाकर मामला शांत कराया।

छोटी बीमारी को बड़ा दिखाकर की जाती है लुट

बताया जा रहा है कि मिनर्वा अस्पताल में आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं जहां छोटी से छोटी बीमारी को बड़ा दिखाकर अस्पताल प्रबंधन लोगों के साथ लूट की घटना को अंजाम देता है।

प्रति घंटे की कीमत लाख रुपए

जानकार बताते हैं कि मिनर्वा अस्पताल के डॉक्टर दिल्ली के एम्स को चुनौती देते हुए बड़े से बड़े इलाज को ठीक करने का दावा करते हैं जिसके कारण कोई भी मरीज सामान्य इलाज के लिए अगर अस्पताल घूमने भी जाए तो एक घंटे की एक लाख रुपए कीमत बनाकर उसे हद से ज्यादा लुट लिया जाता है और सामान्य बीमारी में भी अस्पताल प्रबंधन की तरफ से पचासों लाख रुपए ऐंठने के बाद वही पुराना डॉक्टरों द्वारा रटा रटाया जबाव (नो मोर) दे दिया जाता है।

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