Mayawati statement: बुलडोजर कानून का प्रतीक नहीं, संविधान के क्रियान्वयन पर ध्यान दें सरकारें
Mayawati statement: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल ही में केंद्र और राज्य सरकारों पर कड़ा हमला बोलते हुए बुलडोजर कार्रवाई को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बुलडोजर कानून के शासन का प्रतीक नहीं है और इसके बढ़ते उपयोग का रुझान चिंताजनक है।
बुलडोजर कार्रवाई पर बढ़ती चिंता
मायावती ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बुलडोजर से विध्वंस को कानून के शासन का प्रतीक मानने का चलन गलत है। उन्होंने कहा कि यह रुझान न केवल कानूनी ढांचे को कमजोर कर रहा है, बल्कि आम जनता में भय का माहौल भी पैदा कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस पर एक समान दिशानिर्देश तैयार करे ताकि देशभर में इस प्रकार की कार्रवाई के लिए स्पष्ट नियम बने।
उन्होंने यह भी कहा कि जब जनता किसी मसले से सहमत नहीं होती, चाहे वह बुलडोजर कार्रवाई हो या कोई और मुद्दा, तो केंद्र सरकार को आगे आकर पूरे देश के लिए एक समान दिशा-निर्देश बनाना चाहिए। मायावती के अनुसार, इस समय ऐसा नहीं हो रहा है, जिससे यह मुद्दा अदालतों तक पहुंच रहा है और सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का दखल
मायावती के इस बयान के कुछ ही समय पहले, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए अवैध निर्माणों पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के अवैध विध्वंस संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। अदालत का यह कदम उन राज्यों और स्थानीय प्रशासन की नीतियों के खिलाफ था, जो बिना नोटिस या कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना बुलडोजर से निर्माण ध्वस्त कर रहे थे।
मायावती ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार की जिम्मेदारी की बात की और कहा कि अगर केंद्र सरकार समय रहते इस मुद्दे पर ध्यान देती और पूरे देश के लिए समान दिशानिर्देश जारी करती, तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं पड़ती।
संविधान और कानून का शासन
मायावती ने अपने बयान में जोर देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को संविधान और कानून के शासन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारों का कर्तव्य है कि वे संविधान के अनुसार काम करें और कानून व्यवस्था का पालन सुनिश्चित करें। बुलडोजर कार्रवाई को कानून के शासन का प्रतीक मानकर सरकारें अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकतीं।
बुलडोजर कार्रवाई: एक व्यापक बहस
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई का मुद्दा लंबे समय से विवादों में रहा है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कई मौकों पर अवैध निर्माणों और आपराधिक तत्वों के खिलाफ बुलडोजर का उपयोग किया है। सरकार का तर्क है कि इससे राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है और अवैध गतिविधियों पर नकेल कसी जा रही है।
हालांकि, इस कार्रवाई के विरोध में कई राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि बुलडोजर कार्रवाई से गरीब और वंचित वर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, जिनके पास अपने घर या संपत्ति के कागजात सही नहीं होते।
मायावती का सख्त रुख
मायावती ने अपने बयान में इस मुद्दे पर बेहद सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि बुलडोजर का उपयोग केवल एक राजनीतिक स्टंट बन गया है, जिससे सरकारें अपनी विफलताओं को छुपाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने चेताया कि अगर सरकारें इस प्रकार की कार्रवाइयों से बाज नहीं आतीं, तो इससे जनता का विश्वास सरकारों और उनके प्रशासनिक ढांचे से उठ सकता है।
मायावती ने आगे कहा कि संविधान और कानून के शासन के बिना किसी भी लोकतंत्र की नींव कमजोर हो जाती है। सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी नीतियों और कार्रवाइयों में पारदर्शिता बनाए रखें और किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें।