Mahashivratri: बाबा महाकाल की भव्य आराधना का महापर्व

Mahashivratri का पर्व न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसे शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में शिवालयों में विशेष पूजन, रुद्राभिषेक, भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन किया जाता है।
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में हर साल की तरह इस वर्ष भी महाशिवरात्रि का भव्य आयोजन किया गया। लेकिन इस बार की महाशिवरात्रि कुछ खास रही क्योंकि इस पर्व के अगले दिन भी बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहा। विशेष रूप से आयोजित भस्म आरती ने इस पर्व को और भी दिव्य बना दिया।
महाकाल मंदिर में विशेष भस्म आरती
महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के अगले दिन दोपहर में एक बार होने वाली भस्म आरती का आयोजन किया गया। यह आरती वर्ष में केवल एक बार होती है, और इसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।
इस आरती से पहले बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सजाया गया। उनके मस्तक पर चंद्र मुकुट, कंठ में रुद्राक्ष की माला, और पूरे शरीर पर चंदन व भस्म का लेप किया गया। इस दौरान मंदिर के पुजारियों ने भगवान को एक क्विंटल से अधिक फूलों की माला और सवा लाख बेलपत्र अर्पित किए। भक्तों ने बाबा महाकाल के दिव्य स्वरूप के दर्शन किए और “हर-हर महादेव” के जयघोष से सम्पूर्ण मंदिर परिसर गूंज उठा।
पंचामृत अभिषेक और भोग अर्पण
भस्म आरती से पहले बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और फल रस से भगवान शिव का स्नान करवाया गया। इसके बाद कपूर आरती की गई और भगवान को चांदी का मुकुट, रुद्राक्ष की माला और पुष्प हार से अलंकृत किया गया।
भस्म आरती के बाद भगवान को भोग अर्पित किया गया, जिसमें विभिन्न प्रकार के फल, मिठाइयाँ, पंचमेवा और सात धान्य (चावल, मूंग, तिल, गेहूं, जौ, सांवा और उड़द) अर्पित किए गए। भक्तों को भी यह प्रसाद वितरित किया गया, जिससे सभी ने महाकाल के आशीर्वाद को प्राप्त किया।
भक्तों की आस्था और मंदिर में माहौल
महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे थे। रात्रि जागरण, शिव भजन, महामृत्युंजय मंत्र जाप और नृत्य कीर्तन जैसे विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरा मंदिर परिसर भक्ति के रस में डूबा हुआ था और हर दिशा में “जय महाकाल” के जयकारे गूंज रहे थे।
श्रद्धालुओं ने बताया कि महाशिवरात्रि पर बाबा महाकाल के दर्शन करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस अवसर पर मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी ताकि सभी श्रद्धालु आराम से भगवान के दर्शन कर सकें।
महाशिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
महाशिवरात्रि का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की याद में मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्त रात्रि जागरण, शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पण, और रुद्राभिषेक करके भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन उपवास करने और भगवान शिव की भक्ति करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण से यह पर्व भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण
महाशिवरात्रि केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन रात्रि जागरण करने से मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत रहता है।
इसके अलावा, यह पर्व सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन लोग एकजुट होकर धार्मिक आयोजन करते हैं, जिससे समाज में सौहार्द, प्रेम और भाईचारे का संदेश प्रसारित होता है।
विश्वभर में महाशिवरात्रि का उत्सव
महाशिवरात्रि केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मॉरीशस, इंडोनेशिया, थाईलैंड और फिजी जैसे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर, श्रीलंका के केदारेश्वर मंदिर, और इंडोनेशिया के प्रम्बानन मंदिर में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह शिव भक्तों के लिए आस्था, विश्वास और भक्ति का संगम है। इस दिन बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना करने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं।
इस बार उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित भव्य भस्म आरती ने इस पर्व को और भी विशेष बना दिया। बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचे और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस महाशिवरात्रि पर हर भक्त ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि सभी पर उनकी कृपा बनी रहे और दुनिया में सुख-शांति का संचार हो। हर हर महादेव! जय श्री महाकाल!