मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: बासंत पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में धूमधाम से हुई पूजा, फाग महोत्सव की शुरुआत

Madhya Pradesh: आज बासंत पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में भव्य पूजा अर्चना का आयोजन किया गया। मंदिर के दरवाजे सुबह 4 बजे खुले और मंदिर के पुजारियों ने श्री महाकालेश्वर के गर्भ गृह में स्थापित भगवान की पूजा अर्चना शुरू की। इस पूजा में पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और फल के रस) से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया। पूजा के बाद पहले घंटे की घंटी बजाई गई और फिर हरि ओम जल अर्पित किया गया।

महाकाल को मां सरस्वती के रूप में किया गया श्रृंगारित

बासंत पंचमी के इस पावन अवसर पर भगवान महाकाल को विशेष श्रृंगार किया गया। भगवान महाकाल को सरस्वती माता के रूप में सजाया गया, जिसमें सरसों के फूल और पीली वस्त्र अर्पित किए गए। इसके बाद मावा, ड्राई फ्रूट्स और सूखे मेवों का भोग अर्पित किया गया। इसके बाद भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग को एक कपड़े से ढककर उन पर भस्म भी लगाई गई। महाकाल को फिर से गुलाब के फूलों के साथ अर्पित किया गया और उन्हें मिठाईयां और फल भी भेंट किए गए।

महाकाल मंदिर में 40 दिवसीय फाग महोत्सव की शुरुआत

महाकाल मंदिर में बासंत पंचमी के दिन उत्सव का माहौल बना हुआ था। बासंत पंचमी के इस दिन को विशेष रूप से माता सरस्वती की जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह दिन माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे वसंत पंचमी कहा जाता है। यह दिन देवी सरस्वती की पूजा का दिन होता है और यही वह दिन था जब देवी सरस्वती का प्रकट होना हुआ था।

Madhya Pradesh: बासंत पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में धूमधाम से हुई पूजा, फाग महोत्सव की शुरुआत

महाकाल मंदिर में इस दिन से 40 दिवसीय फाग महोत्सव की शुरुआत भी हुई, जो होली तक चलेगा। इस दौरान मंदिर में प्रतिदिन विशेष पूजा अर्चना, भव्य आरती, और भक्तों द्वारा गुलाल अर्पित करने की परंपरा का आयोजन किया जाएगा।

बासंत पंचमी के दिन महाकाल का पीले जल से स्नान

बासंत पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर को पीले जल से स्नान कराया गया। इसके बाद महाकाल को पीली चंदन और सरसों के फूलों से आकर्षक रूप से सजाया गया। इसके बाद भगवान को विशेष भोग अर्पित किया गया, जिसमें पीले केसर चावल शामिल थे। दिनभर पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहा और शाम को भी महाकाल की विशेष आरती हुई।

फाग महोत्सव के तहत भगवान महाकाल को गुलाल अर्पित

इस अवसर पर मंदिर में विशेष फाग महोत्सव भी मनाया गया। इस महोत्सव के दौरान महाकाल को गुलाल अर्पित किया गया। महेश गुरु पुजारी ने बताया कि होली का त्यौहार बासंत पंचमी से ही शुरू होता है। इस दिन से मंदिर में गुलाल अर्पित किया जाएगा और यह परंपरा होली तक जारी रहेगी। गुलाल अर्पित करने की परंपरा मंदिर में विशेष रूप से तीन बार होती है – बासंत पंचमी के दिन, होली के दिन और रंग पंचमी के दिन।

गुलाल अर्पित करने की इस परंपरा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं और भगवान महाकाल के साथ रंगों के इस खेल में भाग लेते हैं। इस दिन महाकाल मंदिर में भक्तों और भगवान के बीच गुलाल का आदान-प्रदान एक आनंदमयी दृश्य प्रस्तुत करता है।

बच्चों की पाठशाला और विद्या आरंभ संस्कार

बासंत पंचमी का एक और खास पहलू है बच्चों की विद्या आरंभ संस्कार का आयोजन। संदीपनि आश्रम की परंपरा के अनुसार, इस दिन बच्चों की ‘पाटी पूजा’ की जाती है। इस दिन बच्चों को पहली बार अपनी पढ़ाई शुरू करने के लिए पाटी (तख्ती) पूजा जाती है। यह परंपरा भगवान बलराम और श्री कृष्ण के समय से चली आ रही है, जब उन्होंने भी अपनी पढ़ाई का आरंभ इस परंपरा से किया था।

आज के दिन, महाकालेश्वर मंदिर में सैकड़ों बच्चों ने अपनी पढ़ाई का आरंभ किया और उनके तख्ती की पूजा अर्चना की गई। इस दिन को विशेष रूप से विद्या की देवी सरस्वती के दिन के रूप में मनाया जाता है, जो ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं।

महाकालेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल की पूजा करने आते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। बासंत पंचमी के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना और उत्सवों का आयोजन होता है, जो भक्तों के लिए एक अनोखा अनुभव होता है।

महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित हो रहे फाग महोत्सव की परंपरा भी भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का कारण बनती है। यह समय भक्तों के लिए भगवान के साथ रंगों में रमने और उत्सव मनाने का समय होता है।

बासंत पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित पूजा, अर्चना और फाग महोत्सव ने भक्तों को एक नई ऊर्जा और श्रद्धा दी है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की भी मिसाल पेश करता है। महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित इस महोत्सव में सम्मिलित होने वाले भक्तों को एक अनोखा अनुभव होता है, जो उनके जीवन में खुशी और आनंद लेकर आता है।

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