मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh News: क्या मध्य प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगेगा? मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिया बड़ा बयान

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के धार्मिक नगरों में शराब पर प्रतिबंध लगाने का संकेत दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य सरकार धार्मिक स्थानों के भीतर शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए गंभीरता से विचार कर रही है और यह निर्णय अगले वित्तीय वर्ष से लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि संतों, साधुओं और आम लोगों की सलाह के बाद इस मुद्दे पर विचार हो रहा है।

शराब पर प्रतिबंध को लेकर मुख्यमंत्री का बयान

सीएम मोहन यादव ने सोमवार (13 जनवरी) को इस बारे में बयान देते हुए कहा कि राज्य के बजट सत्र का समापन हो चुका है, और अब हमारी सरकार इस दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया, “हमारी सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए। बहुत से साधुओं और संतों, और आम लोगों ने हमें यह सुझाव दिया है कि धार्मिक नगरों में शराब पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे धार्मिक नगरों के भीतर शराब की दुकानों को पूरी तरह से बंद किया जाएगा और शराब की दुकानों को इन नगरों की सीमाओं के बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। इसके अलावा, यह कदम लोगों की शिकायतों और धार्मिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए उठाया जाएगा। हमारी सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।”

मध्य प्रदेश के प्रमुख धार्मिक नगर

मध्य प्रदेश में कई धार्मिक नगर हैं जो न केवल राज्य के आस्थावान लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। अगर शराब पर प्रतिबंध लागू होता है तो यह इन नगरों की धार्मिक शांति और पवित्रता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

Madhya Pradesh News: क्या मध्य प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगेगा? मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिया बड़ा बयान

  1. उज्जैन (महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग)
    उज्जैन, जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, देशभर के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं। अगर यहां शराब पर प्रतिबंध लगता है, तो यह पवित्र नगर की आस्था को और मजबूत करेगा।
  2. खंडवा (ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग)
    खंडवा में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां भी शराब पर प्रतिबंध लगाने से धार्मिक वातावरण में सुधार होगा।
  3. दतिया (पितांबरा पीठ)
    पितांबरा पीठ दतिया जिले का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और यहां शराब पर प्रतिबंध धार्मिक आस्थाओं को समर्थन देगा।
  4. माईहर (शारदा माता मंदिर)
    माईहर में शारदा माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जहां श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या हर साल आती है। यहां शराब पर प्रतिबंध का निर्णय आस्थावान लोगों के लिए सकारात्मक होगा।
  5. ओरछा
    ओरछा, जो राजराम सरकार के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक नगर है। अगर यहां शराब पर प्रतिबंध लागू होता है तो यह इस नगर की धार्मिक पवित्रता को बनाए रखने के लिए एक बड़ा कदम होगा।

शराब पर प्रतिबंध की पहले से चल रही प्रक्रिया

यह ध्यान देने योग्य है कि मध्य प्रदेश में पहले से ही नर्मदा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों में शराब पर प्रतिबंध लागू है। अगर सरकार अपने इस निर्णय को लागू करती है, तो इसका असर इन प्रमुख धार्मिक नगरों पर भी पड़ेगा। सरकार ने पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और अब इसके लागू होने का इंतजार किया जा रहा है।

कांग्रेस ने सरकार के निर्णय को स्टंट बताया

मुख्यमंत्री के इस ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “सरकार ने पहले नर्मदा के किनारे शराब पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, लेकिन वहां खुलेआम शराब बेची जा रही है। मुख्यमंत्री पिछले एक साल से उज्जैन में शराब पर प्रतिबंध लगाने में विफल रहे हैं। अब वह केवल बहाने बना रहे हैं और हेडलाइंस बनाने के शौक में हैं।”

जीतू पटवारी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी छवि बनाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं और उनके इस कदम का कोई ठोस असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से लोगों की समस्याएं हल नहीं होंगी, बल्कि यह केवल एक स्टंट है।

मांस पर भी लिया गया था प्रतिबंध

मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने पहले ही मध्य प्रदेश के कुछ प्रमुख शहरों में खुलेआम मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। यह कदम भी धार्मिक दृष्टिकोण से लिया गया था, जिससे अब राज्य के नागरिकों को धार्मिक आस्थाओं को देखते हुए मांस की बिक्री पर नियंत्रण मिलेगा। यही नीति शराब के संबंध में भी लागू की जा सकती है, ताकि धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री को रोका जा सके और वहां की पवित्रता बनाए रखी जा सके।

सरकार के इस निर्णय का संभावित प्रभाव

यदि सरकार शराब पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लागू करती है, तो इसका प्रभाव धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री करने वाले व्यापारियों पर पड़ेगा। हालांकि, यह निर्णय धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत सकारात्मक माना जाएगा, लेकिन व्यापारियों और शराब विक्रेताओं के लिए यह एक चुनौती हो सकती है। इसके अलावा, पर्यटन पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि कई श्रद्धालु इन नगरों का दौरा करने के दौरान यहां शराब का सेवन करते हैं। हालांकि, राज्य सरकार का यह कदम निश्चित रूप से प्रदेश की धार्मिक पहचान को मजबूत करने और यहां के वातावरण को शुद्ध रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

मध्य प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगाने की संभावना को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। धार्मिक नगरीयों में शराब पर प्रतिबंध लगाने से जहां धार्मिक आस्थाओं को मजबूती मिलेगी, वहीं व्यापार और पर्यटन से जुड़े लोग इस पर विचार करेंगे। विपक्षी दल कांग्रेस के आरोपों के बावजूद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साफ कहा है कि उनकी सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस दिशा में कब और कैसे कदम उठाती है।

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