Madhya Pradesh news: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे के स्वागत वाले दिन किसान बैठक बुलाई गई, जीतू पटवारी ने उठाए सवाल

Madhya Pradesh news: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार शंभू-खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रही है। पटवारी ने दावा किया कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 14 फरवरी को शाम 5 बजे किसानों से बातचीत करने का समय दिया है, जबकि इसी दिन उनके बेटे का विवाह समारोह भी आयोजित किया गया है।
जीतू पटवारी ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सरकार वास्तव में किसानों की समस्याओं को सुलझाना चाहती है या सिर्फ दिखावा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की मांगों को टालने का प्रयास कर रही है और यह बैठक मात्र औपचारिकता है।
पत्र वायरल कर लगाए आरोप
जीतू पटवारी ने इस मामले को उजागर करने के लिए एक पत्र वायरल किया है। यह पत्र कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव प्रिया रंजन द्वारा लिखा गया है। पटवारी के अनुसार, 18 जनवरी 2025 को इस पत्र के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा के जगत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा फोरम के सरवन सिंह को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था।
पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि 14 फरवरी 2025 को शाम 5 बजे पंजाब सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक चंडीगढ़ के महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सेक्टर 26 में होगी। इस बैठक का उद्देश्य किसानों की मांगों पर चर्चा करना है, लेकिन इसी दिन कृषि मंत्री के बेटे का स्वागत समारोह भी तय किया गया है।
पटवारी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कृषि मंत्री स्वयं बैठक में उपस्थित नहीं होंगे, तो किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे होगा?
1 साल से जारी है किसान आंदोलन
कांग्रेस नेता ने इस पत्र का हवाला देते हुए कहा कि 15 फरवरी 2024 को भी चंडीगढ़ में किसानों के साथ बैठक हुई थी, जिससे स्पष्ट होता है कि किसान पिछले एक साल से लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें नज़रअंदाज़ कर रही है। पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर ऐसी बैठकें बुला रही है, जिनमें निर्णय लेने वाले मंत्री ही मौजूद नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सच में किसानों के प्रति गंभीर होती, तो वह बैठक के लिए कोई और तारीख तय करती।
बीजेपी का पलटवार – “कांग्रेस को किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं”
कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर बीजेपी ने कड़ा पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश सह-प्रवक्ता सचिन सक्सेना ने कहा कि कांग्रेस को किसानों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन कांग्रेस ने किसानों को धोखा दिया। सचिन सक्सेना ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के साथ सिर्फ झूठे वादे किए और अब वह किसानों की मांगों को लेकर सवाल उठा रही है, जबकि उन्हें इस पर कोई हक नहीं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए काम कर रही है।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसान संगठनों ने कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी
- कृषि ऋण माफी
- डीजल और खाद पर सब्सिडी
- किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी
- बिजली बिल माफी और मुफ्त बिजली की व्यवस्था
- पिछले किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सरकार की मंशा पर उठे सवाल
जीतू पटवारी ने कहा कि जब सरकार सच में किसानों की समस्या का समाधान चाहती है, तो बैठक ऐसे समय में क्यों रखी गई जब कृषि मंत्री खुद व्यस्त रहेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आवाज़ को दबाना चाहती है और उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस नेता ने मांग की कि सरकार को इस बैठक की तारीख बदलकर किसी अन्य दिन रखनी चाहिए, ताकि किसानों के मुद्दों पर गंभीर चर्चा हो सके।
किसानों की अगली रणनीति
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के नेता इस बैठक को लेकर मंथन कर रहे हैं। यदि सरकार गंभीरता नहीं दिखाती है, तो किसान संगठन बड़े स्तर पर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं।
कुछ किसान नेताओं ने संकेत दिए हैं कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तो वे संसद मार्च कर सकते हैं और बड़े स्तर पर प्रदर्शन कर सकते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम सरकार की नीयत को देख रहे हैं। यदि यह बैठक केवल दिखावा है, तो हम आगे की रणनीति बनाकर आंदोलन को और तेज करेंगे।”
जीतू पटवारी द्वारा उठाए गए सवालों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सरकार को स्पष्ट करना होगा कि क्या वह किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर है या नहीं।
बीजेपी ने जहां कांग्रेस पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है, वहीं किसान संगठन सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि 14 फरवरी को होने वाली बैठक में किसानों की मांगों पर कोई ठोस फैसला लिया जाता है या नहीं।