मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: MY अस्पताल में MRI और CT स्कैन की सेवाएं ठप, मरीजों को हो रही भारी परेशानी

Madhya Pradesh – MY अस्पताल में MRI और CT स्कैन परीक्षणों की सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले मरीजों का परीक्षण कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर में किया जाता था, लेकिन अब जबकि उसका अनुबंध समाप्त हो चुका है, मरीजों को निजी केंद्रों में जाकर टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं, जहां उन्हें 3,000 से लेकर 10,000 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। यह स्थिति न केवल MYH अस्पताल के लिए, बल्कि MGM मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है, जहां CT स्कैन की सेवाएं पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं।

अनुबंध समाप्त होने के बाद समस्या और बढ़ी

MYH अस्पताल ने कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर के साथ PPP मॉडल के तहत अनुबंध किया हुआ था, लेकिन वह अनुबंध समाप्त हो चुका है, जिसके बाद से मरीजों को उनके जरूरी परीक्षणों के लिए अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को मुफ्त इलाज मिल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए निजी केंद्रों में जाना पड़ता है, जिससे उनका इलाज महंगा हो गया है।

सीटी स्कैन मशीन खराब होने से स्थिति गंभीर

कुछ महीने पहले अस्पताल में एक नई सीटी स्कैन मशीन स्थापित की गई थी, जो CSR गतिविधि के तहत आई थी। इस मशीन का इस्तेमाल रोजाना 70 मरीजों के सीटी स्कैन के लिए किया जाता था। लेकिन सात दिन पहले यह मशीन खराब हो गई, जिसके कारण मरीजों को निजी लैब्स का रुख करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल MYH अस्पताल, बल्कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी उत्पन्न हुई है, जहां CT स्कैन की सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं।

Madhya Pradesh: MY अस्पताल में MRI और CT स्कैन की सेवाएं ठप, मरीजों को हो रही भारी परेशानी

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्थिति

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, डॉ. अशोक यादव ने बताया कि चार दिन पहले इस समस्या की जानकारी प्राप्त हुई थी और अब इस पर व्यवस्था की जा रही है। फिलहाल, PC सेठी अस्पताल के साथ सीटी स्कैन के लिए बात की जा चुकी है, और यहां मरीजों के परीक्षण किए जाएंगे। साथ ही, MRI परीक्षणों के लिए शॉर्ट टेंडर जारी किए जा रहे हैं। एक आपातकालीन स्थिति में, दो मरीजों का MRI परीक्षण सुयश अस्पताल में कराया गया था।

नई मशीन की खरीद की प्रक्रिया शुरू

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन, डॉ. वीपी पांडे ने बताया कि इस मामले की जानकारी मिलने के बाद, नई मशीन खरीदने का आदेश दे दिया गया है और नई मशीन के आने तक, मरीजों के परीक्षण के लिए शॉर्ट टेंडर की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल प्रशासन मरीजों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय है और जल्दी ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।

CSR गतिविधि के तहत स्थापित मशीन

डॉ. सुमित शुक्ला, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि इस मशीन का कुछ हिस्सा, विशेष रूप से AC UPS, खराब हो गया है। चूंकि यह मशीन वारंटी अवधि में है, इसलिए इसकी जानकारी संबंधित कंपनी को दी जा चुकी है। इस मशीन को कुछ महीने पहले CSR के तहत स्थापित किया गया था और यह 24 घंटे चल रही थी, जिसके कारण इसमें तकनीकी खराबी उत्पन्न हुई है। अस्पताल प्रशासन ने कंपनी को पत्र लिखा है और जल्दी ही इसे ठीक कर लिया जाएगा। लेकिन इस दौरान मरीजों को परीक्षण के लिए निजी लैब्स पर निर्भर रहना होगा।

निजी लैब्स पर बढ़ता निर्भरता

इस तकनीकी खराबी और मशीन के ठीक नहीं होने के कारण, मरीजों को अब निजी लैब्स में जाकर अपने परीक्षण करवाने पड़ रहे हैं। इन निजी लैब्स में परीक्षण के लिए मरीजों को अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ रहा है, जो कि सरकारी अस्पताल के मुफ्त इलाज के वादे के विपरीत है। इससे मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ गया है और उन्हें इलाज में देरी हो रही है।

मरीजों की चिंता और प्रशासन की चुनौती

इस स्थिति से मरीजों में भारी नाराजगी है। कई मरीजों ने इस मुद्दे को लेकर अस्पताल प्रशासन से शिकायत की है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि वे इस पर जल्दी ही कदम उठाएंगे और मरीजों को राहत देने के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल, मरीजों को निजी अस्पतालों और लैब्स पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जो उनके लिए एक बड़ा आर्थिक संकट बन चुका है।

समाप्त अनुबंध और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य

यह घटना सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुविधाओं पर गंभीर सवाल उठाती है। जब सरकारी अस्पतालों में ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में तकनीकी खराबियों, अनुबंधों के समाप्त होने और प्रशासनिक लापरवाहियों के कारण मरीजों को अपने अधिकारों से वंचित होना पड़ता है।

आशा की जा रही है कि प्रशासन जल्द ही इस पर कार्रवाई करेगा और सरकारी अस्पतालों में मरीजों को राहत देने के लिए स्थायी समाधान निकालेगा। फिलहाल, मरीजों को राहत देने के लिए निजी लैब्स पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जो कि सरकारी स्वास्थ्य सेवा के वादों के विपरीत है।

MY अस्पताल में सीटी स्कैन और MRI परीक्षणों की सेवाओं के ठप होने से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों की लापरवाही और तकनीकी समस्याएं मरीजों को निजी संस्थाओं पर निर्भर होने के लिए मजबूर कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है। प्रशासन से जल्द ही इस समस्या का समाधान निकालने की उम्मीद है।

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