Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के इन शहरों में नहीं मिलेगी शराब, सीएम मोहन यादव ने बताई लागू होने की तारीख
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में शराबबंदी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार धार्मिक शहरों में शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठा रही है। उम्मीद है कि 1 अप्रैल से मध्य प्रदेश के कई धार्मिक शहरों में शराब की बिक्री बंद हो जाएगी।
बलिदान दिवस पर हेमू कालानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण
सीएम मोहन यादव मंगलवार (21 जनवरी) को उज्जैन पहुंचे। उन्होंने बलिदान दिवस के अवसर पर अमर शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों को याद रखना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा, “देश की आज़ादी के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। हेमू कालानी भी उनमें से एक थे। बलिदान दिवस पर हर साल उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां आता हूं।”
सीएम ने शराबबंदी को लेकर क्या कहा?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मध्य प्रदेश के धार्मिक शहरों में शराबबंदी की दिशा में सरकार कदम बढ़ा रही है। आने वाले समय में राज्य के धार्मिक शहरों में शराब पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य की नई शराब नीति 1 अप्रैल से लागू होने जा रही है। इस नीति के चलते धार्मिक शहरों में शराब की बिक्री बंद होने की संभावना है।
किन शहरों में हो सकती है शराबबंदी?
मुख्यमंत्री ने धार्मिक शहरों में शराबबंदी का संकेत दिया है। उज्जैन के साथ-साथ ओंकारेश्वर, दतिया, अमरकंटक, चित्रकूट, सांची और खजुराहो जैसे शहरों को इस सूची में शामिल किया जा सकता है। इन सभी शहरों को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
सरकार का कदम और उद्देश्य
शराबबंदी को लेकर सरकार का उद्देश्य है कि धार्मिक शहरों की पवित्रता और गरिमा को बनाए रखा जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शराबबंदी से धार्मिक पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अधिक सकारात्मक माहौल मिलेगा। साथ ही, यह कदम सामाजिक सुधार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
नई शराब नीति और संभावित प्रभाव
मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से नई शराब नीति लागू हो रही है। इस नीति के तहत न केवल धार्मिक शहरों में शराबबंदी की जाएगी, बल्कि शराब की दुकानों की संख्या भी सीमित की जा सकती है। इससे राज्य में शराब के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
उज्जैन में शराबबंदी का महत्व
उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां शराबबंदी से शहर के पवित्र वातावरण को बनाए रखने में मदद मिलेगी। महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह एक सकारात्मक कदम साबित होगा।
जनता की प्रतिक्रिया
शराबबंदी को लेकर राज्य की जनता ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। धार्मिक शहरों में रहने वाले लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, जबकि शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपनी रोजी-रोटी पर संकट नजर आ रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार का धार्मिक शहरों में शराबबंदी का यह कदम एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार की दिशा में है। नई शराब नीति के तहत राज्य सरकार धार्मिक शहरों की पवित्रता को बनाए रखने और पर्यटकों को बेहतर अनुभव देने का प्रयास कर रही है। अब देखना यह होगा कि 1 अप्रैल से लागू होने वाली इस नीति को जनता और विभिन्न समुदायों से कितना समर्थन मिलता है।