मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के एफसीआरए पंजीकरण पर प्रतिबंध हटाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना

Madhya Pradesh: भोपाल में Union Carbide Poison Peedit Ilaj Adhikar Morcha के सदस्य मंगलवार से समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) पंजीकरण पर प्रतिबंध हटाने के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। यह धरना उन कर्मचारियों और लाभार्थियों द्वारा आयोजित किया गया है जो भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए समभावना ट्रस्ट क्लिनिक का सहयोग करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य केंद्रीय गृह मंत्रालय से समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के एफसीआरए पंजीकरण पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करना है।

एफसीआरए पंजीकरण का मुद्दा

वास्तव में, 2019 में केंद्रीय सरकार ने समभावना ट्रस्ट क्लिनिक का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया था क्योंकि उन्होंने एफसीआरए पोर्टल पर अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं की थी। हालांकि, ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट उन्होंने समय पर सबमिट की थी, लेकिन तकनीकी कारणों से रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पाई। इसके बाद, ट्रस्ट ने रिपोर्ट पुनः सबमिट की, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद, 2020-21 में समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के नाम पर एफसीआरए पंजीकरण के लिए फिर से आवेदन किया गया, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और आवेदन का स्टेटस अभी भी “पेंडिंग” है।

Madhya Pradesh: समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के एफसीआरए पंजीकरण पर प्रतिबंध हटाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना

वित्तीय संकट और इलाज पर प्रभाव

धरने के आयोजक और समभावना ट्रस्ट क्लिनिक के कर्मचारी बिजू नायर ने बताया कि ट्रस्ट को गैस पीड़ितों के इलाज के लिए देश और विदेश से वित्तीय सहायता मिलती थी, लेकिन पंजीकरण रद्द होने के बाद अब यह सहायता बंद हो गई है। इस कारण ट्रस्ट को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। समभावना ट्रस्ट को हर साल गैस पीड़ितों के मुफ्त इलाज पर तीन और आधे करोड़ रुपये खर्च होते हैं, लेकिन अब विदेशी फंडिंग बंद हो जाने के कारण इस इलाज को जारी रखना मुश्किल हो गया है।

इस संकट के चलते, ट्रस्ट को मजबूरी में क्लिनिक को बंद करने की स्थिति आ गई है। ट्रस्ट के पास कुल 37 हजार पंजीकृत गैस पीड़ित हैं, जिनका इलाज समभावना ट्रस्ट द्वारा मुफ्त किया जाता है, लेकिन अब यह इलाज प्रभावित हो रहा है।

क्लिनिक में कर्मचारियों की कमी और इलाज की बाधाएं

समभावना ट्रस्ट के क्लिनिक में वर्तमान में 51 कर्मचारी काम कर रहे हैं, और हर दिन 100 से अधिक गैस पीड़ित इलाज के लिए आते हैं। लेकिन अब पैसे की कमी के कारण कर्मचारियों और डॉक्टरों की संख्या घटाई गई है। इसके कारण इलाज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है, और गैस पीड़ितों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।

गैस पीड़ितों का दर्द

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों का दर्द किसी से छिपा नहीं है। यह त्रासदी 1984 में हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से लीक हुए गैस के कारण हजारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। उन प्रभावित लोगों का इलाज समभावना ट्रस्ट के क्लिनिक द्वारा लंबे समय से किया जा रहा है, लेकिन अब एफसीआरए पंजीकरण के मुद्दे के कारण इस इलाज की गति धीमी पड़ गई है।

बिजू नायर ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा दी जाने वाली मुफ्त चिकित्सा सेवाओं के बिना, हजारों गैस पीड़ितों का इलाज प्रभावित हो रहा है। 37 हजार गैस पीड़ितों का इलाज करने का कार्य अब गंभीर संकट में फंस गया है।

समभावना ट्रस्ट की अहम भूमिका

समभावना ट्रस्ट ने हमेशा गैस पीड़ितों की मदद की है। यह ट्रस्ट पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, दवाएं, और उपचार प्रदान करता है। ट्रस्ट के कर्मचारियों का कहना है कि अगर जल्दी ही एफसीआरए पंजीकरण पर प्रतिबंध नहीं हटाया गया, तो समभावना ट्रस्ट का काम ठप हो सकता है और गैस पीड़ितों को इलाज की सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी।

यह भी एक गंभीर चिंता का विषय है कि अगर समभावना ट्रस्ट की सेवाएं बंद होती हैं, तो इस मुश्किल समय में गैस पीड़ितों के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा।

सरकार से अपील

धरने पर बैठे लोगों और ट्रस्ट के कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द एफसीआरए पंजीकरण का मामला सुलझाया जाए, ताकि ट्रस्ट को फिर से विदेश से मदद मिल सके और गैस पीड़ितों को उचित इलाज प्राप्त हो सके।

समभावना ट्रस्ट का यह संघर्ष केवल एक ट्रस्ट का नहीं, बल्कि उन हजारों गैस पीड़ितों का संघर्ष है जो अपने जीवन को ठीक से जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय लेकर समभावना ट्रस्ट को फिर से विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का अवसर दे, ताकि गैस पीड़ितों का इलाज बाधित न हो और वे अपनी कठिनाइयों से बाहर आ सकें।

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