परिवार के साथ छुट्टियों पर आया था LIC मैनेजर और लौटे ताबूत में: पहलगाम में दिल दहला देने वाला हमला

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को जो कुछ हुआ वह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला था। दक्षिण कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल बैसरान में आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया और 26 लोगों की जान ले ली। इस हमले में ज्यादातर पर्यटक मारे गए। उन्हीं में से एक थे इंदौर के एलआईसी मैनेजर सुशील नाथानियल जिनकी उम्र 58 साल थी। वह अपने पूरे परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए कश्मीर गए थे। हमले के दौरान उनकी बेटी आकांक्षा को पैर में गोली लगी जबकि उनकी पत्नी जेनिफर और बेटा ऑस्टिन किसी तरह बच निकले। लेकिन सुशील नाथानियल की जान नहीं बच सकी और उन्होंने अपने बेटे की आंखों के सामने दम तोड़ दिया।
नाबालिग आतंकियों ने कैमरे पहन रखे थे सिर पर
नाथानियल के बेटे ऑस्टिन उर्फ गोल्डी ने बताया कि हमला करने वाले चार आतंकी थे जिनमें से ज्यादातर की उम्र सिर्फ 15 साल के आसपास थी। हैरानी की बात ये थी कि उनके सिर पर कैमरे लगे हुए थे और वह हमले के दौरान सेल्फी भी ले रहे थे। ऑस्टिन ने बताया कि आतंकियों ने पहले उनसे कलमा पढ़ने को कहा ताकि यह तय कर सकें कि वह और उनके पिता मुसलमान हैं या नहीं। जो लोग कलमा पढ़ते थे उनके कपड़े उतरवाकर पहचान की जाती थी और फिर भी कई बार उन्हें गोली मार दी जाती थी। ऑस्टिन ने कहा कि आतंकियों ने उनके सामने ही छह लोगों को गोली मारी और वह कुछ नहीं कर पाए।
दुख में डूबा पूरा परिवार और शहर
इस हमले के बाद पूरे इंदौर शहर में शोक की लहर फैल गई। नाथानियल का अंतिम संस्कार जुनी इंदौर के कैथोलिक कब्रिस्तान में किया गया। इस दौरान उनकी पत्नी जेनिफर गहरे सदमे में थीं और बार-बार बेहोश हो रही थीं। उनका बेटा ऑस्टिन और अन्य रिश्तेदार उन्हें संभालने में लगे थे। बेटी आकांक्षा भी व्हीलचेयर पर पहुंची और अपने पिता को अंतिम विदाई दी। यह दृश्य देखकर हर कोई रो पड़ा। इस मौके पर मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मौजूद रहे और उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की।
अब सरकार से उम्मीदें और सवाल दोनों
ऑस्टिन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब उनकी बस एक ही मांग है कि जिस जगह यह हमला हुआ वहां बड़ी संख्या में पुलिस और सेना की तैनाती की जाए। बैसरान एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जिसे लोग ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहते हैं। यहां हर साल हजारों सैलानी आते हैं लेकिन सुरक्षा की कमी ने एक परिवार को उजाड़ दिया। अब सवाल उठता है कि आखिर नाबालिग लड़के कैसे हथियार लेकर खुलेआम घूम सकते हैं और कैमरे पहनकर इस तरह की घटनाएं अंजाम दे सकते हैं। यह सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था बल्कि इंसानियत के खिलाफ एक क्रूर साजिश थी जिसे रोकना अब सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गई है।