Jiwaji University के पूर्व कुलपति अविनाश तिवारी बर्खास्त, फर्जी कॉलेज मामले में अन्य पर कार्रवाई नहीं

मध्य प्रदेश के Jiwaji University के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी को विवादों के चलते पद से हटा दिया गया है। उन पर फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने में अनियमितता बरतने का आरोप था। हालांकि, इस मामले में संलिप्त 17 अन्य प्रोफेसरों और कुलसचिव के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मुद्दे को लेकर छात्र संगठनों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है और वे लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, कुलसचिव का पुतला जलाया
शनिवार सुबह कुछ एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) कार्यकर्ता विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने पहुंचे और कुलसचिव अरुण तिवारी का पुतला जलाने का प्रयास किया। सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने जल्दबाजी में पेट्रोल डालकर पुतले में आग लगा दी। इस दौरान सुरक्षा गार्ड सुनील सिंह चौहान आग की चपेट में आ गए और उनके हाथ झुलस गए। गनीमत रही कि उन्होंने तुरंत अपना स्वेटर उतार दिया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत घायल गार्ड को चिकित्सा सहायता के लिए भेजा।
फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने का मामला
जीवाजी विश्वविद्यालय में कई फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने का मामला लंबे समय से विवादों में है। आरोप है कि पूर्व कुलपति अविनाश तिवारी, कुलसचिव अरुण तिवारी और 17 अन्य प्रोफेसरों ने मिलीभगत से कई अपात्र कॉलेजों को मान्यता दे दी थी। इन कॉलेजों में न तो आवश्यक सुविधाएं थीं और न ही योग्य शिक्षक। इसके बावजूद, कुछ कॉलेजों को मान्यता मिल गई, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए।
छात्र संगठनों का आरोप है कि इस घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को दंडित करे।
प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई की घोषणा
कुलसचिव अरुण तिवारी ने प्रदर्शनकारियों की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार के उग्र प्रदर्शन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रदर्शन में शामिल छात्र संगठनों और उनके पदाधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
छात्र संगठनों की मांगें
छात्र संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ कई मांगें रखी हैं:
- फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने में संलिप्त सभी प्रोफेसरों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
- फर्जी कॉलेजों की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए।
- छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
- विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए।
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “यदि प्रशासन जल्द से जल्द दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता, तो हम आंदोलन को और तेज करेंगे। विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और शिक्षा माफिया को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय में बढ़ाई गई सुरक्षा
छात्र संगठनों के प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। प्रशासनिक भवन और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर अतिरिक्त गार्ड तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, छात्रों को चेतावनी दी गई है कि यदि किसी ने कानून हाथ में लेने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी कॉलेजों की मान्यता पर सवाल
छात्र संगठनों का कहना है कि फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने से हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। कई कॉलेजों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं, जिससे छात्रों की शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में आंतरिक जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
एक छात्र नेता ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। जब तक सभी दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
सरकार की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे मामले में राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। कई विधायकों ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
आने वाले दिनों में प्रदर्शन और तेज होने के संकेत
एनएसयूआई और अन्य छात्र संगठनों ने संकेत दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय में तालाबंदी करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
जीवाजी विश्वविद्यालय का फर्जी कॉलेज घोटाला शिक्षा जगत में एक गंभीर मुद्दा बन गया है। पूर्व कुलपति अविनाश तिवारी को बर्खास्त कर दिया गया है, लेकिन अन्य दोषियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे छात्र संगठनों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि छात्रों के भविष्य पर कोई आंच न आए। वहीं, सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह विवाद और बड़ा रूप ले सकता है।