“बांग्लादेश में इस्कॉन और अनुयायियों पर हो रहे अत्याचार, कृष्ण के नाम लेने पर भी लगी पाबंदी”
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय, खासकर इस्कॉन मंदिर और उसके अनुयायियों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चिंता जताई जा रही है। हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू समाज पर बढ़ते हमलों और धार्मिक प्रतिबंधों ने एक गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। इस्कॉन के मुख्य पुजारी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बांग्लादेश में इस्कॉन के अनुयायी अपनी धार्मिक मान्यताओं के पालन में सख्त प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेश में कृष्ण के नाम लेने पर पाबंदी लगा दी गई है और इस्कॉन अनुयायियों को धर्म का पालन करने में डर का सामना करना पड़ रहा है।
इस्कॉन का योगदान
इस्कॉन मंदिरों और उनके अनुयायियों ने बांग्लादेश में लंबे समय से अनेक धार्मिक और सामाजिक कार्य किए हैं। बांग्लादेश में इस्कॉन ने समाज सेवा, शिक्षा, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सकारात्मक पहल की हैं। यहां तक कि बांग्लादेश में जन्मे लोग भी इस्कॉन के आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों का सम्मान करते हैं। लेकिन अब स्थिति बहुत बदल चुकी है। इस्कॉन के अनुयायियों के अनुसार, बांग्लादेश में वर्तमान समय में धार्मिक असहमति और हिंसा बढ़ रही है, जो कि वहां के हिंदू समुदाय के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
बांग्लादेश में प्रतिबंध
इस्कॉन के पुजारी ने बताया कि बांग्लादेश में अब इस्कॉन के अनुयायियों को धोतियां पहनने, तिलक लगाने, भगवद गीता वितरण करने और कृष्ण के नाम का उच्चारण करने से रोका जा रहा है। उनका कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और यह बांग्लादेश के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि अब बांग्लादेश में माहौल इतना बिगड़ चुका है कि लोग कृष्ण के नाम तक नहीं ले सकते। पुजारी ने यह भी आरोप लगाया कि इस प्रकार के कृत्य उन लोगों द्वारा किए जा रहे हैं जिनमें दुष्ट प्रवृत्तियाँ हैं और जो दूसरों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
भय और असुरक्षा का माहौल
इस्कॉन के पुजारी ने आगे कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है। मंदिरों और हिंदू घरों पर हमले हो रहे हैं, और लोग अपने धार्मिक आस्थाओं को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने में भी डरने लगे हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू समाज इतने भय में जी रहा है कि वे अपनी सामान्य गतिविधियों को भी पूरी तरह से नहीं कर पा रहे हैं। उनके अनुसार, “हिंदू समाज भय के साये में जी रहा है, और उनकी मंदिरों और घरों को तोड़ने की घटनाएँ सामने आ रही हैं।”
भारत सरकार से सहायता की अपील
इस्कॉन के पुजारी ने भारत सरकार से अपील की है कि वह बांग्लादेश में फंसे हिंदू समुदाय और इस्कॉन के अनुयायियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए। उनका कहना है कि भारतीय नागरिकों की रक्षा करना भारतीय सरकार की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाना चाहिए, ताकि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को उत्पीड़न से बचाया जा सके।
पाकिस्तान में भी समान समस्या
इस्कॉन के पुजारी ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में भी इस्कॉन के अनुयायियों को समान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में भी इस्कॉन के अनुयायी तिलक लगाने, भगवद गीता पढ़ने और कृष्ण के नाम का उच्चारण करने से प्रतिबंधित हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में भी इस्कॉन के अनुयायी भूखों को खाना खिलाते हैं और उनके लिए मंदिरों का निर्माण करते हैं, लेकिन वहां भी धार्मिक कड़ी पाबंदियाँ हैं।
धार्मिक अहिंसा का संदेश
इस्कॉन के पुजारी ने कहा कि इस्कॉन कभी भी दूसरों को धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं करता, न ही किसी अन्य धर्म के अनुयायी को नुकसान पहुंचाता है। उनका कहना था कि इस्कॉन का उद्देश्य केवल प्रेम और शांति का संदेश फैलाना है। उन्होंने कहा, “हम किसी को भी धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं, हम केवल अपने धर्म के प्रति आस्था और प्रेम फैलाते हैं।”
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा
इस्कॉन के पुजारी ने यह भी बताया कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग धार्मिक आस्थाओं के कारण परेशान हो रहे हैं। वे हर दिन यह सोचते हैं कि उन्होंने कौन सा अपराध किया है कि अब उन्हें अपने धार्मिक कृत्यों को अंजाम देने से रोका जा रहा है। हिंदू समाज के लोग सड़क पर उतर आए हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। पुजारी ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि भारत और बांग्लादेश सरकार मिलकर इस मुद्दे का समाधान करें, ताकि हिंदू समुदाय और इस्कॉन के अनुयायी बिना किसी भय के अपने धार्मिक कृत्यों का पालन कर सकें।
बांग्लादेश में इस्कॉन के अनुयायियों पर हो रहे अत्याचार और हिंदू समुदाय की असुरक्षा एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस्कॉन के पुजारी और हिंदू समाज के लोग यह मांग कर रहे हैं कि बांग्लादेश सरकार इस स्थिति पर काबू पाए और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे। भारतीय सरकार को भी इस मुद्दे में हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।