मध्य प्रदेश

इंदौर कलेक्टर कार्यालय का घेराव, किसानों के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा आंदोलन

इंदौर में किसानों ने आज से कलेक्टर कार्यालय का घेराव शुरू कर दिया है। यह आंदोलन किसानों की कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ किया जा रहा है। बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हुए हैं और उन्हें कई बड़े संगठनों का समर्थन मिल रहा है। सरकार द्वारा पूर्वी-पश्चिमी आउटर रिंग रोड सहित विभिन्न परियोजनाओं के लिए किसानों की कृषि भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिसके विरोध में पिछले एक वर्ष से लगातार आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

किसानों का शांतिपूर्ण आंदोलन

यह शांतिपूर्ण आंदोलन भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किया जा रहा है। किसानों ने इस आंदोलन के लिए गांव-गांव जाकर प्रचार अभियान चलाया और लोगों को जागरूक किया। किसानों का कहना है कि यह विरोध सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति के खिलाफ किया जा रहा है। सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है, जिससे ग्रामीण किसान और मजदूर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।

आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख किसान नेता

इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक एवं भारतीय किसान संघ के मालवा प्रांत संगठन मंत्री अतुल महेश्वरी, संभाग अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह राठौर, महानगर अध्यक्ष दिलीप मुक्ति, जिला अध्यक्ष राजेंद्र पाटीदार कर रहे हैं। इस आंदोलन को राजनीति से ऊपर उठकर किसानों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। किसानों ने पूरी तैयारी के साथ आंदोलन में भाग लिया है। यदि यह आंदोलन अनिश्चितकालीन बन जाता है, तो किसानों ने इसके लिए भोजन और रात में ठहरने की समुचित व्यवस्था कर रखी है। आंदोलन स्थल पर आज किसान दाल-बाटी बनाएंगे और अधिकारियों एवं शहरवासियों को खुले दिल से भोजन कराएंगे।

इंदौर कलेक्टर कार्यालय का घेराव, किसानों के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा आंदोलन

किसानों की सरकार से नाराजगी

किसान नेता सिंगाराम चौधरी ने कहा कि यह विडंबना है कि मुख्यमंत्री “मोहन” जिनका नाम कृष्ण है, उनकी सरकार में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा करने वाले किसान अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर नीति आयोग के अधिकारी तक कृषि और किसानों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बताते हैं, लेकिन दूसरी ओर सरकार विकास के नाम पर दलितों, आदिवासियों और किसानों की जमीन, पर्यावरण और ग्रामीण सनातनी संस्कृति को नष्ट कर रही है। यही कारण है कि किसान उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए हैं।

सरकार की उपेक्षा के कारण आंदोलन तेज

किसान नेताओं का कहना है कि उन्होंने सरकार को कई बार अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी कारण अब किसानों ने व्यापक आंदोलन करने का निर्णय लिया है। कुछ दिनों पहले भारतीय किसान संघ की उच्च स्तरीय बैठक में इस बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की गई थी। किसान संघ के कृष्णपाल सिंह ने कहा कि जब तक सरकार भूमि अधिग्रहण पर स्पष्ट निर्णय नहीं लेती, तब तक किसान अपनी पूरी ताकत से विरोध जारी रखेंगे।

भाजपा सरकार के खिलाफ आरएसएस समर्थित किसान संघ

भारतीय किसान संघ, जो कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है, अब अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। कुछ दिन पहले, किसान संघ के राज्य स्तरीय शीर्ष अधिकारियों और प्रचारकों की एक बड़ी बैठक रामबाग स्थित संघ कार्यालय में आयोजित की गई थी, जिसमें आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की गई थी। इस बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह अंजना और संगठन मंत्री अतुल महेश्वरी भी उपस्थित थे। इस आंदोलन में इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, खरगोन, खंडवा आदि जिलों के दलित, आदिवासी और अन्य वर्गों के किसान एवं मजदूर शामिल हैं।

सरकार और किसानों के बीच टकराव की स्थिति

इंदौर के पश्चिमी रिंग रोड को लेकर किसान सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कलेक्टर के निर्देश पर किए जा रहे सर्वे का किसान विरोध कर रहे हैं और उसे पूरा नहीं होने दे रहे हैं। इससे सरकार और किसानों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

किसानों की प्रमुख मांगें

इससे पहले किसानों ने हर गांव में जागरूकता अभियान चलाया और हर तहसील कार्यालय में सरकार को ज्ञापन सौंपे। जब सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो 27 फरवरी को जिला स्तर पर कलेक्टर कार्यालय के घेराव का निर्णय लिया गया। भारतीय किसान संघ के प्रचार प्रमुख राहुल मालवीय ने बताया कि खेती, पर्यावरण संरक्षण और किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार को भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को अपने मूल स्वरूप में लागू करना चाहिए। किसान संघ की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. इंदौर में पूर्वी और पश्चिमी रिंग रोड का संयुक्त सर्वे तुरंत रोका जाए।
  2. केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 को राज्य में शीघ्र लागू किया जाए।
  3. पिछले 12 वर्षों में भूमि मूल्यांकन में वृद्धि नहीं की गई है। हर वर्ष इसमें 20% वृद्धि की जाए।
  4. बढ़े हुए मूल्यांकन के आधार पर किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाए।
  5. इंदौर में आउटर रिंग रोड के लिए जारी गजट में दर्शाए गए तथ्यों की पुन: समीक्षा की जाए।

किसानों की एकजुटता और आंदोलन की गंभीरता

इस आंदोलन में बड़ी संख्या में किसानों की भागीदारी है। वे पूरी तरह से तैयार होकर आंदोलन स्थल पर पहुंचे हैं और सरकार की नीति के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं। यह आंदोलन किसानों की एकजुटता और उनके अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अगर सरकार जल्द ही इस मामले में उचित कदम नहीं उठाती, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है। किसान संघ और अन्य संगठन इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। आने वाले दिनों में इस आंदोलन के और व्यापक होने की संभावना है।

किसान संघ के नेता स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती, तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। किसानों की यह लड़ाई केवल उनकी भूमि के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी है। यदि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d