दमोह में फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ गिरफ्तार, सात मरीजों की मौत से जुड़ा मामला

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में मेडिकल धोखाधड़ी के खिलाफ़ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री के साथ खुद को हार्ट स्पेशलिस्ट बताने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान नरेंद्र जॉन कैम के रूप में हुई है, जिसे सोमवार को दमोह की एक पुलिस टीम ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से पकड़ा। वह दमोह के एक मिशनरी अस्पताल में काम कर रहा था, जहाँ उसकी कथित लापरवाही को अब सात मरीजों की मौत से जोड़ा जा रहा है। पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है और पूरी जांच चल रही है।
सीएमएचओ की शिकायत के बाद FIR दर्ज
दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. एमके जैन की शिकायत के आधार पर रविवार देर रात दर्ज की गई एफआईआर के बाद यह गिरफ्तारी की गई। अधिकारियों के अनुसार, सीएमएचओ ने नरेंद्र जॉन कैम की मेडिकल डिग्री की प्रामाणिकता को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई कि उन्होंने जो डिग्री पेश की थी, वह फर्जी थी। इसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया।
प्रयागराज में पुलिस की छापेमारी में गिरफ्तारी
दमोह के पुलिस अधीक्षक श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने गिरफ्तारी की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हमारी टीम ने आरोपी डॉ. नरेंद्र जॉन कैम को प्रयागराज से गिरफ्तार किया है। उसे दमोह लाया जाएगा और अदालत में पेश किया जाएगा।” एसपी ने कहा कि आरोपी से गहन पूछताछ की जाएगी, खासकर सीएमएचओ द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के संबंध में। जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि कैम अस्पताल में नौकरी पाने में कैसे कामयाब रहा और क्या अस्पताल के अधिकारी उसकी साख को सत्यापित करने में विफल रहे।
मरीजों की मौत और फर्जी दस्तावेजों से जुड़े आरोप
मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत से नरेंद्र जॉन कैम को जोड़ने के आरोपों के साथ मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया है। सीएमएचओ की रिपोर्ट में इन मौतों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जो कथित तौर पर फर्जी डॉक्टर द्वारा चिकित्सा कदाचार के कारण हुई हैं। इसके अलावा, उनके मेडिकल प्रमाणपत्रों के सत्यापन के संबंध में दूसरी शिकायत दर्ज की गई थी। जिला मजिस्ट्रेट ने अब मौतों की स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी जांच जबलपुर मेडिकल कॉलेज को सौंपी गई है। पुलिस का कहना है कि आगे की कार्रवाई मेडिकल कॉलेज के निष्कर्षों के आधार पर की जाएगी।
इस मामले ने स्थानीय चिकित्सा समुदाय में खलबली मचा दी है और सवाल खड़े कर दिए हैं कि बिना किसी वैध योग्यता के एक व्यक्ति अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के तौर पर कैसे काम कर सकता है। यह इस बात पर भी जोर देता है कि इस तरह की खतरनाक धोखाधड़ी को रोकने के लिए चिकित्सा संस्थानों में बेहतर पृष्ठभूमि जांच और सख्त सत्यापन प्रक्रियाओं की तत्काल आवश्यकता है। फिलहाल, आरोपी की हरकतों के पीछे की सच्चाई को उजागर करने और प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।