अंतर्राष्ट्रीय

डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के चल रहे संघर्ष पर अपनी स्थिति स्पष्ट की, कहा ‘यह हमारी लड़ाई नहीं है’

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा कि अमेरिका को सीरिया में सैन्य कार्रवाई से बचना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “यह हमारी लड़ाई नहीं है।” ट्रंप का यह बयान उस समय आया जब विद्रोहियों ने दमिश्क के उपनगरों तक अपनी पहुंच बना ली थी। ट्रंप ने कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता में बने रहने के लिए अमेरिकी समर्थन नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि रूस, जो असद का साथी है, यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है, “ऐसा प्रतीत होता है कि वह सीरिया में हो रही घटनाओं को रोकने में असमर्थ है।”

‘अमेरिका का इससे कोई संबंध नहीं है’

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया में 13 साल से चल रहे युद्ध से निपटने के अमेरिका के सामान्य रवैये की भी आलोचना की। शनिवार को पोस्ट में उन्होंने लिखा, “सीरिया में अराजकता है, लेकिन यह हमारा मित्र नहीं है और अमेरिका को इससे कोई संबंध नहीं होना चाहिए। यह हमारी लड़ाई नहीं है। इसमें शामिल मत हो।”

यह बयान अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव की ओर इशारा करता है, जिसमें अमेरिका के सामरिक उद्देश्यों और राष्ट्रीय हितों से बाहर के संघर्षों में अमेरिकी सैनिकों की भागीदारी से बचने का आग्रह किया गया था। ट्रंप का यह विचार था कि अमेरिका को दूसरे देशों के आंतरिक संघर्षों में घसीटे जाने से बचना चाहिए और अपनी नीतियों को घरेलू सुरक्षा और आर्थिक मजबूती पर केंद्रित रखना चाहिए।

विद्रोहियों ने बड़े शहरों पर कब्जा किया

इसी बीच, यह भी बताना जरूरी है कि विद्रोहियों ने सीरिया के तीन बड़े शहरों, अलेप्पो, होम्स और दरा पर कब्जा कर लिया है। विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क को भी घेर लिया है। सीरिया के प्रमुख विद्रोही समूह ‘जिहादी हयात तहरीर अल-शाम’ (HTS) के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने सीएनएन से एक साक्षात्कार में कहा कि इस हमले का उद्देश्य असद की सरकार को सत्ता से बाहर करना है। गोलानी ने स्पष्ट किया कि विद्रोही समूह का लक्ष्य सिर्फ असद की सरकार को हटाना है और इसके लिए वे संघर्षरत हैं।

अलेप्पो और होम्स जैसे बड़े शहरों पर विद्रोहियों के कब्जे ने सीरिया सरकार की स्थिति को कमजोर किया है। इन शहरों में भारी संघर्ष हुआ है, जिससे हजारों नागरिकों की जानें जा चुकी हैं। विद्रोहियों ने इन क्षेत्रों में असद शासन के खिलाफ हथियार उठाए हैं, और उनके कब्जे के बाद से सीरिया में एक नए संघर्ष की शुरुआत हो गई है। विद्रोहियों ने इन शहरों को अपने नियंत्रण में लेते हुए सीरिया के शासन के खिलाफ अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। इसके परिणामस्वरूप सीरिया के सैन्य बलों को कई मोर्चों पर कमजोर होना पड़ा है, और सरकार के खिलाफ विद्रोह में वृद्धि हुई है।

सीरियाई प्रधानमंत्री का बयान

सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी जलाई ने एक वीडियो बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह विपक्ष को शांतिपूर्वक शासन की जिम्मेदारी सौंपने के लिए तैयार हैं। जलाई ने कहा, “मैं अपने निवास पर हूं और कहीं नहीं गया हूं क्योंकि मुझे अपने देश से प्यार है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने कार्यालय में काम करने के लिए जाएंगे और नागरिकों से अपील की कि वे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं।

प्रधानमंत्री जलाई का यह बयान संघर्ष की स्थिति को शांत करने का प्रयास हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद यह संघर्ष अभी भी सीरिया में जारी है। सीरियाई सरकार और विद्रोहियों के बीच लगातार संघर्ष हो रहा है और इसकी दिशा अभी भी अनिश्चित बनी हुई है।

जलाई ने विपक्ष के प्रति अपनी तत्परता को जाहिर किया, लेकिन इसके बावजूद असद सरकार और विद्रोहियों के बीच संबंधों में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यह स्पष्ट है कि सीरिया में अभी भी राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है और देश के भीतर संघर्ष जारी है। प्रधानमंत्री के बयान से यह संकेत मिलते हैं कि सीरिया सरकार शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार है, लेकिन विद्रोही समूह इसे अपनी जीत मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

सीरिया में युद्ध का इतिहास और स्थिति

सीरिया का युद्ध 2011 में शुरू हुआ था, जब राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। समय के साथ यह विरोध आंदोलन एक पूर्ण संघर्ष में बदल गया, जिसमें विभिन्न विद्रोही समूहों और विदेशी शक्तियों ने हस्तक्षेप किया। सीरिया के भीतर यह युद्ध विभिन्न धर्म, जाति और राजनीतिक विचारधाराओं के बीच एक संघर्ष बन गया, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैली।

सीरिया के युद्ध ने लाखों लोगों की जान ली है और करोड़ों लोगों को विस्थापित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, इस युद्ध में अब तक 5 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 1.5 करोड़ लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा, यह युद्ध आतंकवादियों और उग्रवादी संगठनों के लिए भी एक उर्वरक बन गया है, जिससे पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।

अमेरिका की नीति और ट्रंप का दृष्टिकोण

डोनाल्ड ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका सीरिया में सीधे हस्तक्षेप करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने बार-बार यह कहा है कि अमेरिका को अपनी विदेश नीति को अपने हितों और सुरक्षा पर केंद्रित रखना चाहिए, न कि दूसरे देशों के आंतरिक संघर्षों में फंसना चाहिए। ट्रंप का यह दृष्टिकोण अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, क्योंकि पूर्ववर्ती प्रशासनों ने सीरिया में अधिक सक्रिय भूमिका निभाई थी।

इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका को लेकर कई सवाल उठे हैं, विशेष रूप से जब रूस और ईरान जैसे देशों ने सीरिया में असद शासन का समर्थन किया है। इसके बावजूद, ट्रंप का मानना ​​है कि अमेरिका को इस संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह न तो उनके राष्ट्रीय हितों में है और न ही इसे उचित ठहराया जा सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सीरिया में अमेरिका की भूमिका को लेकर स्पष्ट संकेत देता है कि वह इस संघर्ष में किसी भी सैन्य हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना ​​है कि यह संघर्ष अमेरिका की लड़ाई नहीं है और अमेरिका को इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। वहीं, सीरिया के भीतर स्थिति अभी भी जटिल बनी हुई है और संघर्ष में कोई शीघ्र समाधान की संभावना नहीं दिखती। प्रधानमंत्री जलाई का बयान हालांकि एक शांति प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन सीरिया में युद्ध की स्थिति और भीषण है और इसका भविष्य अभी भी अनिश्चित है।

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