भोपाल में ई-बसें चलाने की मांग, विधायक रमेश्वर शर्मा ने उठाई आवाज

भोपाल तेजी से विस्तार कर रहा है। शहर के बाहर कई कॉलेज, अस्पताल और औद्योगिक इकाइयाँ स्थित हैं, जहां रोज़ाना हजारों छात्र और श्रमिक आवाजाही करते हैं। लेकिन, इन क्षेत्रों तक परिवहन सुविधा का अभाव है।
भोपाल को महानगर बनाने की दिशा में सरकार द्वारा ई-बसें संचालित करने की योजना बनाई गई है। इसी क्रम में सोमवार को विधानसभा में भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रमेश्वर शर्मा ने इन बसों को उन मार्गों पर चलाने की मांग उठाई, जिससे आम लोगों को लाभ हो।
शहरी विकास मंत्री का आश्वासन
भाजपा विधायक की इस मांग पर शहरी विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आश्वासन दिया कि परिवहन विभाग के सहयोग से एक कार्य योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) बसों के संचालन में हो रही अनियमितताओं की भी जांच की जाएगी।
भाजपा विधायक ने कहा कि वर्तमान में बसें सीहोर, मंडीदीप, राजगढ़ पीलूखेड़ी, बैरसिया, सांची और भोजपुर जैसे क्षेत्रों में नहीं जाती हैं। इन क्षेत्रों में श्रमिकों और विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में आवाजाही होती है, लेकिन परिवहन सुविधा न होने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
किन क्षेत्रों में चलेंगी ई-बसें
भारत सरकार द्वारा भोपाल को दी जा रही 100 ई-पीएम इलेक्ट्रिक बसें शहर के यातायात को सुचारू बनाने में मदद करेंगी। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पहले की तरह इन बसों का संचालन अनियमित नहीं होना चाहिए। नई व्यवस्था में उन सभी मार्गों पर ध्यान दिया जाएगा, जहां से छात्र और श्रमिक नियमित रूप से आते-जाते हैं।
मंत्री ने बताया कि इन बसों के संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए प्रमुख सचिव द्वारा एक समिति का गठन किया गया है। इसके तहत परिवहन विभाग का सहयोग लेकर एक मजबूत नीति बनाई जाएगी, जिससे बसों का संचालन बेहतर ढंग से हो सके।
भोपाल में वक्फ बोर्ड के पास 52,752 एकड़ भूमि
विधानसभा में एक अन्य सवाल के जवाब में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने जानकारी दी कि पूरे मध्य प्रदेश में वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में कुल 52,752 एकड़ भूमि है।
शाजापुर जिले में वर्ष 1990 में वक्फ बोर्ड के पास 4,503 एकड़ भूमि थी, जो वर्तमान में 4,507 एकड़ हो गई है। मंत्री ने बताया कि इस अवधि में आठ नई संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड के अधीन आईं, जिन्हें 1994 में वक्फ अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया था। इनमें से पाँच संपत्तियाँ निजी भूमि पर हैं, जबकि तीन सरकारी भूमि पर स्थित हैं।
मंत्री ने बताया कि वक्फ बोर्ड की जमीनों को लेकर 2017 से 2024 के बीच भोपाल वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट में 11 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से पाँच मामले वर्ष 2021 से लंबित हैं।
नायक जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग
सोमवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक सेना महेश पटेल ने नायक जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि गुजरात में यह जाति अनुसूचित जनजाति में शामिल है, जबकि मध्य प्रदेश में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में रखा गया है। विधायक ने मांग की कि राज्य में भी इसे अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए।
मंत्री का जवाब
इस मुद्दे पर पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने जवाब दिया कि गुजरात में नायक जाति का अनुसूचित जनजाति में होना, मध्य प्रदेश में इसे उसी श्रेणी में रखने का आधार नहीं बनता।
मंत्री ने बताया कि 1984 में रामजी महाजन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नायक जाति को ओबीसी सूची में शामिल किया गया था। इसे बंजारा, बंजारी, मथुरा, नायकड़ा, धुरिया, लभाना, लबाना और लमाने जैसी जातियों के साथ ओबीसी में स्थान दिया गया था।
उन्होंने कहा कि यदि नायक जाति के लोग अनुसूचित जनजाति में शामिल होना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग को प्रस्ताव भेजना होगा। आयोग इस प्रस्ताव पर जनजातीय अनुसंधान संस्थान से सर्वेक्षण आधारित राय लेगा और फिर राज्य और भारत सरकार को अपनी सिफारिश भेजेगा।
भोपाल में ई-बसों का संचालन लोगों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का आश्वासन इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। वहीं, वक्फ बोर्ड की भूमि का मामला और नायक जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग जैसे मुद्दे विधानसभा में उठाए गए, जिन पर सरकार द्वारा उचित निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है।