मध्य प्रदेशरीवा

तहसील न्यायालय की अवमानना, स्थगन आदेश के बावजूद शासकीय जमीन पर भवन निर्माण

रीवा। शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने चोरहटा से रतहरा के लिए बने सड़क बाईपास के चौड़ीकरण की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है जिसमें 4 लेन सड़क के साथ लिंक रोड बनाने की प्रक्रिया संभवतः नवंबर माह से शुरू कर दी जाएगी जिसकी खातिर इन दिनों प्रशासन की टीम भी सक्रियता के साथ बाईपास की अधिग्रहित जमीन में हुए अतिक्रमण को खाली कराने में जुट गई है इस बीच बरा गांव से चौका देने वाला मामला सामने आया है जहां शासन की अधिग्रहित जमीन पर स्थगन आदेश के बावजूद अतिक्रमणकारी ने भवन निर्माण कर लिया तथा जब शासन की टीम सड़क की नपाई के लिए पहुंची तो खुलासा हुआ कि बरा में स्थित खसरा क्रमांक 188/1 में तहसील न्यायालय से स्थगन के बाद भी करीब 10 आरे जमीन पर अवैध रूप से भवन का निर्माण कर लिया गया। हालांकि अब इस अवैध निर्माण के साथ ही अन्य अतिक्रमित जमीनों में बहुत जल्द प्रशासन का बुलडोजर चलने वाला है मगर तहसील न्यायालय की अवमानना कर किए गए भवन निर्माण की कार्यवाही सवालों में आती है। इसके अलावा शासन ने अन्य कई जगह पर अतिक्रमण को चिन्हित किया है जिसमें बाईपास में बना एक बड़ा होटल गगनदीप भी शामिल है

तहसील न्यायालय की अवमानना, स्थगन आदेश के बावजूद शासकीय जमीन पर भवन निर्माण

दरअसल चोरहटा से रतहरा के लिए बने सड़क बाईपास के लिए शासन ने करीब 1992 में जमीनों का अधिग्रहण किया था फिर सड़क मार्ग का अंश भूभाग कुछ दिनों बाद परिवर्तित कर दिया गया जिसके कारण वर्ष 2004-05 में कुछ जमीनों का अधिग्रहण हुआ तथा इसके बाद सन 2007 – 08 में भी शेष भाग का अधिग्रहण किया गया जिसके बाद शासन ने 2 लेन बाईपास सड़क का निर्माण करा दिया और लोगों को आवागमन में सुगमता होने लगी परंतु इस सड़क के लिए शासन ने उसी समय पर करीब 4 लेन सड़क बाईपास बनाने के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया था ऐसे में 2 लेन सड़क बनने के बाद भी जमीन का भाग शेष रह गया जहां सड़क निर्माण का कार्य नहीं किया गया और अब एक बार फिर लोगों की सड़क समस्या को दृष्टिगत रखते हुए शासन में उसी मार्ग को फोर लेन बाईपास सड़क बनाने की तैयारी की है जिसमें स्थगन आदेश के बाद भी शासन की ही जमीन में भवन निर्माण कार्य का खुलासा हुआ है।

तहसील न्यायालय की अवमानना, स्थगन आदेश के बावजूद शासकीय जमीन पर भवन निर्माण

बताया जा रहा है कि शासन ने अधिग्रहण के बाद बाईपास के लिए अधिग्रहीत जमीन के नक्शे में सुधार नहीं किया था जिसकी वजह से लोगों के द्वारा वहां पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया गया और शासन द्वारा सड़क के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि पर लोगों ने अपने लिए आलिशान भवन निर्माण कर लिया वहीं कइयों ने तो सरकारी जमीन का कॉमर्शियल उपयोग शुरू कर दिया। अब जबकि सड़क निर्माण का कार्य शुरू होने वाला है तो प्रशासन अतिक्रमण को चिन्हित करने में जुट गया जिसमें इस नए मामले का खुलासा हो गया।

25 वर्षों बाद टूटी शासन की निद्रा

आपको बता दें अब जबकि जमीनों के अधिग्रहण के 25 वर्षों बाद लोगों की शिकायत पर प्रशासन की नींद टूटी है जिसके बाद राजस्व अमले ने सड़क के लिए चिन्हित जमीनों के रकवे में सुधार कर उस जमीन को मध्य प्रदेश शासन के नाम किया है तथा अब पुनः सड़क की मूल जमीन की नपाई के बाद अतिक्रमण को गिराने की तैयारी शुरू कर दी है।

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