CM Yogi Adityanath ने कहा- 62 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया कुम्भ का आशीर्वाद, यूपी सरकार के लिए ऐतिहासिक अवसर
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उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath ने रविवार को कुम्भ मेले की अद्वितीयता और महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अब तक 62 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज के कुम्भ मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं। यह संख्या अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है और इसे इस सदी की सबसे बड़ी और दुर्लभ घटनाओं में से एक माना जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक मौके पर कुम्भ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कुम्भ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है।
“कुम्भ महाकुंभ की तरह है” – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
आगरा में आयोजित ‘यूनिकॉर्न कंपनियां सम्मेलन’ (Unicorn Companies Conclave) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “मैं इसे स्टार्टअप की दुनिया का ‘यूनिकॉर्न महाकुंभ’ कह सकता हूं। आजकल लोगों का रुझान और आकर्षण कुम्भ की ओर बढ़ता जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि, “यह आयोजन एक अद्भुत अवसर है, जहां लाखों लोग एक साथ जुड़ते हैं और एक विशेष उद्देश्य के लिए समर्पित होते हैं।”
योगी ने इस मौके पर कुम्भ के महत्व को भी उल्लेखित किया और बताया कि कुम्भ मेला न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा से जुड़ी गहरी पहचान है।
प्रयागराज कुम्भ का ऐतिहासिक आंकड़ा: 62 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे
मुख्यमंत्री योगी ने कुम्भ मेला के दौरान आए श्रद्धालुओं की संख्या पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “अब तक 62 करोड़ श्रद्धालु कुम्भ में आ चुके हैं। यह संख्या इस बात को सिद्ध करती है कि यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।”
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “किसी भी कार्यक्रम या आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकत्र होना अपने आप में एक दुर्लभ घटना है। यह आयोजन इस सदी की सबसे अनोखी घटनाओं में से एक बन चुका है।”
उन्होंने कुम्भ के इतिहास को याद करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत के प्राचीन समय से ही अस्तित्व में रहा है और जब भी कोई संकट या चुनौती आई, कुम्भ ने समाज को एकजुट करने का कार्य किया।
भारत की संस्कृति और परंपरा से जुड़ा कुम्भ
मुख्यमंत्री ने कुम्भ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कुम्भ का आयोजन भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर किया जाता है – प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), हरिद्वार (उत्तराखंड), उज्जैन (मध्य प्रदेश), और नासिक (महाराष्ट्र)। यह चार स्थान भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं।”
योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ के महत्व को बढ़ाते हुए कहा कि, “कुम्भ का आयोजन इसलिए किया गया था ताकि भविष्य में जब लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं से दूर होने लगे, तो यह एक ऐसा माध्यम बने जिससे वे अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्य और आदतों से जुड़ सकें। कुम्भ एक तरह से भारतीयता के आत्मस्मरण का अवसर है।”
भारत को कुम्भ के माध्यम से संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कुम्भ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। योगी ने कहा, “जब हम कुम्भ की बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत के हर हिस्से से जुड़े हुए लोगों को एक मंच पर लाने का एक अवसर है। यह भारत की संस्कृति और सभ्यता को संजोने का अवसर भी है।”
उन्होंने कुम्भ के आयोजन को इस संदर्भ में और अधिक महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि यह एक ऐसा अवसर है जब लोग अपनी आस्थाओं और सांस्कृतिक धरोहर से पुनः जुड़ते हैं। इस आयोजन के माध्यम से भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पुनः स्थापित किया जाता है।
कुम्भ का आयोजन: उत्तर प्रदेश सरकार के लिए ऐतिहासिक अवसर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ के आयोजन को उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि हमें उत्तर प्रदेश में कुम्भ के आयोजन की जिम्मेदारी मिली है। इस आयोजन से न केवल राज्य की छवि बनी है, बल्कि यहां के नागरिकों के लिए यह एक महान अवसर है।”
उन्होंने इस दौरान यूपी सरकार के कुम्भ मेला आयोजन के सफलतापूर्वक संचालन के लिए प्रशासन और पुलिस बल की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि कुम्भ मेला न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह एक आर्थिक अवसर भी है, जो राज्य और देश के लिए महत्वपूर्ण है।
कुम्भ से जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना
योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ के सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हुए कहा, “कुम्भ के आयोजन से जुड़ी हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखना और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। यह सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास, हमारी परंपराओं और हमारे विश्वासों का प्रतीक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यूपी सरकार इस दिशा में निरंतर काम कर रही है ताकि कुम्भ मेले के आयोजन से जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों तक यह पहुंच सके।
कुम्भ मेला: भारत की सांस्कृतिक विरासत और पहचान
कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है, जो समय के साथ अपनी महत्ता बनाए हुए है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने का एक सशक्त माध्यम भी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान कुम्भ के महत्व को पुनः स्थापित करता है और यह भी साबित करता है कि कुम्भ मेला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है।
कुम्भ मेला एक ऐसा आयोजन है जो भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आस्थाओं का प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन के महत्व को बढ़ाते हुए बताया कि यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और भारतीयता को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक अवसर है।