छत्तीसगढ

Bastar Naxal Attack: नारायणपुर-दंतेवाड़ा मुठभेड़ के बाद नक्सलियों का आतंक, बस्तर में 3 ग्रामीणों की निर्मम हत्या

Bastar Naxal Attack: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलियों द्वारा तीन ग्रामीणों की बेरहमी से हत्या करने की खबर सामने आई है। शनिवार, 5 अक्टूबर को पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की। नक्सलियों ने बस्तर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के सावनार गांव में जन अदालत लगाकर दो ग्रामीणों की हत्या की। मृतकों की पहचान अर्जुन पुनम और मोतु कुर्साम के रूप में की गई है।

जन अदालत में नक्सलियों ने सुनाई मौत की सजा

सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने जन अदालत के दौरान कुछ अन्य ग्रामीणों को भी पकड़ा और उन्हें भी बुरी तरह पीटा। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। नक्सलियों ने इन ग्रामीणों पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाया था, जिसके चलते उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई। घटना के बाद इलाके में भय और आतंक का माहौल है। इस बीच, नक्सलियों ने सुकमा जिले के एक अन्य ग्रामीण, बरसे की भी हत्या कर दी।

पुलिस ने शुरू किया तलाशी अभियान

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह घटना शुक्रवार को हुई और इसकी जानकारी मिलने पर शनिवार को पुलिस टीम मौके पर भेजी गई। पुलिस ने कहा कि नक्सलियों ने इन ग्रामीणों को मुखबिर होने के शक में मार डाला। पुलिस ने हमलावरों की तलाश में पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है और नक्सलियों की तलाश की जा रही है। हालांकि, अभी तक हमलावरों का कोई सुराग नहीं मिला है।

नारायणपुर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों में दहशत

इस घटना के पीछे एक बड़ा कारण नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर शुक्रवार को हुई मुठभेड़ को माना जा रहा है। सुरक्षा बलों ने यहां नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन किया था, जिसमें कुल 31 नक्सलियों को मार गिराया गया था। मारे गए नक्सलियों में 18 पुरुष और 13 महिलाएं शामिल थीं। सुरक्षा बलों को इन नक्सलियों के शव भी बरामद हुए हैं।

Bastar Naxal Attack: नारायणपुर-दंतेवाड़ा मुठभेड़ के बाद नक्सलियों का आतंक, बस्तर में 3 ग्रामीणों की निर्मम हत्या

सबसे बड़ा ऑपरेशन

बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने इस मुठभेड़ की जानकारी देते हुए बताया कि मारे गए नक्सलियों में कई बड़े नेता शामिल थे, जिनमें कमलेश, नीति, कमांडर नंदू, सुरेश सलाम, मलेश और विमला प्रमुख थे। यह मुठभेड़ सुरक्षा बलों के लिए अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है। इस ऑपरेशन को दंतेवाड़ा डीआरजी, नारायणपुर एसटीएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। मारे गए नक्सलियों में ज्यादातर उत्तर बस्तर डिवीजन के कैडर थे।

ग्रामीणों में फैला डर और भय

नारायणपुर मुठभेड़ के बाद नक्सली गहरे सदमे में हैं और अपने समर्थकों व मुखबिरों की तलाश में हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। बस्तर में हालिया हत्याएं इस बात का संकेत हैं कि नक्सली अब ग्रामीणों को डराने और अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए निर्दोष लोगों को निशाना बना रहे हैं। इन घटनाओं से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

सरकार और पुलिस की चुनौती

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह की हिंसक घटनाओं ने पुलिस और सरकार के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। बस्तर जैसे इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई पहले से ही कठिन रही है, लेकिन नारायणपुर जैसी मुठभेड़ों के बाद नक्सली और अधिक उग्र हो गए हैं। ग्रामीणों को डराकर अपने पक्ष में रखने की कोशिशें नक्सलियों की रणनीति का हिस्सा है, ताकि उनकी पकड़ कमजोर न हो सके।

सुरक्षा बलों की रणनीति

सरकार और सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपने अभियानों को तेज कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों ने इन इलाकों में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं और नक्सलियों के ठिकानों का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, नक्सलियों का स्थानीय समर्थन भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि वे ग्रामीणों के बीच घुलमिल जाते हैं और अपनी पहचान छिपाकर हमलों को अंजाम देते हैं।

नक्सल समस्या का समाधान

छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे इलाकों में नक्सल समस्या का समाधान एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए केवल सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास की जरूरत भी है। सरकार को ऐसे इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे, ताकि लोग नक्सलियों के बहकावे में न आएं। इसके साथ ही, पुलिस और सुरक्षा बलों को भी अपनी रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है, ताकि निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सके और नक्सलियों का सफाया किया जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d