Chhattisgarh: कटघोरा भाजपा नेता पवन अग्रवाल के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज, आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप
Chhattisgarh: कटघोरा के भाजपा नेता और वार्ड नंबर छह से उम्मीदवार पवन अग्रवाल के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब गोंडवाना पार्टी के एक सदस्य ने पवन अग्रवाल के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस ने पवन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
मामला तब तूल पकड़ा जब पवन अग्रवाल ने एक बैठक के दौरान आदिवासी नेताओं को ‘गोंड-गंवार’ जैसे जातिवादी शब्दों से संबोधित किया। यह टिप्पणी उस समय की गई जब एसडीएम (SDM) के कार्यालय में चुनाव से संबंधित नियमों की जानकारी दी जा रही थी। पवन अग्रवाल के इस बयान से आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया, जिसके बाद कई आदिवासी नेता कटघोरा पुलिस थाने पहुंचे और आरोपित के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
गोंडवाना पार्टी के नेता लाल बहादुर कोरम ने इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। कोरम ने आरोप लगाया कि पवन अग्रवाल ने आदिवासी समाज के बारे में न केवल अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया, बल्कि उन्हें दबाने का प्रयास भी किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पवन अग्रवाल ने खुद को सत्तारूढ़ पार्टी का नेता बताते हुए उन पर दबाव डालने की कोशिश की।
पुलिस की कार्रवाई
कटघोरा पुलिस स्टेशन के प्रभारी ने इस मामले की पुष्टि की और बताया कि शिकायत मिलने के बाद पवन अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है और आरोपित के खिलाफ कानून के तहत उचित कदम उठाए जाएंगे। पुलिस ने बताया कि इस मामले में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं क्योंकि पवन अग्रवाल ने अपने बयान से आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
पवन अग्रवाल का बयान
पवन अग्रवाल इस आरोप से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी समाज या वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने कहा, “हमारी टिप्पणी सिर्फ चुनावी प्रक्रिया को लेकर थी और यह किसी भी व्यक्ति या समाज के खिलाफ नहीं थी। अगर किसी को मेरी बात से चोट पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।”
हालांकि, उनकी सफाई को लेकर आदिवासी समाज के लोग संतुष्ट नहीं हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
गोंडवाना पार्टी का विरोध
गोंडवाना पार्टी के नेता लाल बहादुर कोरम ने बताया कि यह मामला उस समय का है जब एसडीएम कार्यालय में चुनावी प्रक्रिया के बारे में नियम समझाए जा रहे थे। इस दौरान पवन अग्रवाल ने टिप्पणी की कि “गोंडों को किसी से समझाने की जरूरत नहीं है” और “गोंड समाज अशिक्षित नहीं है।” इस टिप्पणी ने गोंड समाज के नेताओं को गहरी चोट पहुंचाई और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
लाल बहादुर कोरम ने कहा कि पार्टी ने इस घटना को बहुत गंभीरता से लिया और तय किया कि आरोपित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शिकायत दर्ज कराई गई और पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी।
आदिवासी समाज की प्रतिक्रिया
पवन अग्रवाल के बयान से आदिवासी समाज के लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यह टिप्पणी आदिवासी समाज के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है और यह समाज के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली है। आदिवासी समुदाय के कई नेता इस मामले को लेकर लामबंद हो गए हैं और उन्होंने राज्य सरकार से पवन अग्रवाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
आदिवासी समाज के नेताओं का कहना है कि इस प्रकार के जातिवादी बयान समाज में नफरत और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। उनका आरोप है कि भाजपा नेताओं द्वारा ऐसे बयान देने से आदिवासी समुदाय के लोग पहले से ही निचले स्तर पर महसूस करते हैं और अब यह और बढ़ गया है।
राजनीतिक और सामाजिक पहलू
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पवन अग्रवाल भाजपा के उम्मीदवार हैं और यह मामला भाजपा और गोंडवाना पार्टी के बीच राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है। गोंडवाना पार्टी ने पहले भी भाजपा पर आदिवासी समाज के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों का आरोप लगाया है, और अब इस घटना ने इस मुद्दे को एक नई दिशा दी है।
भले ही पवन अग्रवाल ने अपनी बात को स्पष्ट करने की कोशिश की हो, लेकिन गोंडवाना पार्टी और आदिवासी समाज के अन्य नेता इसे केवल एक माफी से नहीं छोड़ने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार के बयान आदिवासी समाज की पहचान और संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास हैं और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
यह मामला न केवल व्यक्तिगत बयानबाजी का मामला है, बल्कि यह आदिवासी समाज की भावना और उनके अधिकारों से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन यह भी देखा जाएगा कि क्या इस घटना के बाद भाजपा और गोंडवाना पार्टी के बीच राजनीतिक समझौता संभव हो पाता है या यह विवाद और गहरा जाएगा।
आदिवासी समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, और इस मुद्दे पर और अधिक हलचल हो सकती है। अब देखने वाली बात यह है कि पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाती है और पवन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई होती है या नहीं।