मध्य प्रदेशरीवा

प्रधानमंत्री मोदी के दोनों कार्यकाल किसानों के लिए काले इतिहास साबित हुए.. एसकेएम

Mediaauditor rewa. श्रमिक संगठनों के 16 फरवरी काम बंद हड़ताल के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा संभाग इकाई रीवा की एक आवश्यक बैठक मोर्चे के नेता वीरभान सिंह की अध्यक्षता में ऋतुराज पार्क रीवा में संपन्न हुई मोर्चे ने श्रमिक संगठनों के राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद के समर्थन का ऐलान किया है तथा 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली आंदोलन के दमन पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी गई बैठक में प्रमुख रूप से मोर्चे के संयोजक शिव सिंह किसान नेता रामजीत सिंह इंद्रजीत सिंह शंखू सोभनाथ कुशवाहा संतकुमार पटेल अनिल सिंह शिवपाल सिंह एडवोकेट रमेश सेन आदि उपस्थित रहे मोर्चे के संयोजक शिव सिंह ने कहा कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार का दो पंचवर्षीय का कार्यकाल किसानों के लिए काला इतिहास साबित हुआ है मोदी सरकार किसानों के खिलाफ जब तीन काले कानून लाई तब देश भर के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं सहित पूरे देश भर में 380 दिनों तक आंदोलन चलाने का काम किया जहां 732 किसानों ने अपनी शहादत दी सरकार ने किसान बिल वापस लिए और संयुक्त किसान मोर्चे के नाम एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने सहित 6 अन्य मांगों को शीघ्र पूरा किए जाने लिखित में वादा किया लेकिन वह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ किसान संगठनों ने संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले कहा था कि सरकार लिखित वादे पूरा करे लेकिन बजट सत्र में सरकार ने एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं बनाया अब किसान फिर से यही सवाल करने दिल्ली के रास्ते जा रहा है लेकिन इसके पहले से ही देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं को इस तरह से सील किया जा रहा है।

कि जैसे कोई आतंकी दिल्ली में प्रवेश करने आ रहे हैं शर्म आनी चाहिए ऐसी सरकार को जिसने अभी हाल ही में किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह एवं किसानों के लिए मजबूत कानून बनाने की सिफारिश करने वाले राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष डॉ एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर सम्मानित किया है मोदी सरकार केवल किसानों और जनता को धोखा देने के लिए इन महान नेताओं का सम्मान और अलंकरण कर रही है प्रधानमंत्री में न तो ईमानदारी है और न ही वो भरोसेमंद है वह वोट हासिल करने के लिए अनैतिक चाल चल रहे हैं जिसके पीछे खेती में विदेशी कंपनियों से जुड़ी बड़ी कॉर्पोरेट ताकतों को अपनी सेवाएं देने के लिए सांकेतिकवाद का इस्तेमाल हैं ।

जो किसानों की दशा को और भी खराब करेगा आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र मोदी सरकार अपनी नीतियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कई प्रकार के दिखावे करने में लगी हुई है किसानों के बड़े हिस्से को गरीबी में धकेल रही है और बाजार भंडारण खाद्य प्रसंस्करण खाद्य वितरण व नियंत्रण को विशाल अंतरराष्ट्रीय बीज उर्वरक और खाद्य श्रृंखला कंपनियों से जुड़ी कॉर्पोरेट ताकतों को सौंप कर देश की खाद्य सुरक्षा को कमजोर कर रही है
एसकेएम ने भारत के किसानों के संकट को हल करने में विफल रहने के लिए पीएम मोदी की निंदा की है
मोदी सरकार ने अपने पिछले 10 वर्षों के दौरान भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 को लागू नहीं किया।


किसानों की ओर से एसकेएम एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की अपनी मांग दोहराता है एसकेएम मोदी सरकार को याद दिलाना चाहता है कि डॉ एमएस स्वामीनाथन ने उत्पादन की औसत लागत पर 50 फ़ीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की थी
एसकेएम ने उर्वरक सब्सिडी की बहाली सभी किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज़ा माफी बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक आवारा पशुओं से होने वाली परेशानी का अंत लखीमपुर नरसंहार के मुख्य आरोपी अजय मिश्रा टेनी को सजा और जेल की अपनी अन्य मांगों को भी दोहराया है एसकेएम ने 16 फरवरी के ग्रामीण भारत बंद और अखिल भारतीय औद्योगिक हड़ताल को सफल बनाने तथा केंद्रीय नीति को कॉर्पोरेट समर्थक से किसान समर्थक में बदलने के साथ-साथ इन मांगों के पूरा होने तक अपना आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया है।

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