छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को बड़ा झटका, 26 लाख के इनामी 9 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण!

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में बुधवार को 9 कुख्यात नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों पर कुल 26 लाख रुपये का इनाम घोषित था। सरेंडर करने वालों में 6 महिलाएं भी शामिल हैं।
सुकमा के पुलिस अधीक्षक (SP) किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने माओवादियों की खोखली और अमानवीय विचारधारा से निराश होकर तथा साथी माओवादी नेताओं के साथ बढ़ते मतभेद के कारण यह कदम उठाया है।
नक्सलियों पर बढ़ते दबाव के कारण आत्मसमर्पण
SP किरण चव्हाण ने बताया कि सुरक्षा बलों के लगातार दबाव, अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंपों की स्थापना और सरकार की जनहितकारी योजनाओं के प्रभाव के चलते नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली ‘नियाद नेल्लनार (आपका अच्छा गांव)’ योजना से प्रभावित हुए हैं। इस योजना के तहत सरकार दूरस्थ गांवों के विकास के लिए कार्य कर रही है।
इनामी नक्सली भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वालों में 22 वर्षीय बंदू उर्फ बंदी मडकाम भी शामिल है, जो पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की कंपनी 2 का सदस्य था। इस पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
इसके अलावा, एरिया कमेटी के सदस्य मासे उर्फ वेत्ती कन्नी (45) और पदम सम्मी (32) पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था। वहीं, एक महिला और तीन पुरुष सदस्यों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
SP चव्हाण ने बताया कि बंदू मडकाम कई नक्सली हमलों में शामिल था। इनमें से एक प्रमुख हमला 2020 में नगर निगम पर घात लगाकर किया गया था, जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।
सुरक्षा एजेंसियों की अहम भूमिका
आत्मसमर्पण कराने में छत्तीसगढ़ पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (DRG), खुफिया शाखा, CRPF और उसकी विशेष यूनिट कोबरा (COBRA) की अहम भूमिका रही। सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते नक्सलियों ने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।
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सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मिलेगी सहायता
सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सहायता प्रदान की जाएगी। प्रत्येक नक्सली को 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके साथ ही, उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए स्वरोजगार और पुनर्वास योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा।
बता दें कि पिछले वर्ष 2024 में बस्तर क्षेत्र में कुल 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीतियों के चलते नक्सली संगठनों में असंतोष और टूट का माहौल है।
पुलिस कैंपों की स्थापना बनी सरेंडर की वजह
सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा बलों की तैनाती और नए पुलिस कैंपों की स्थापना का असर दिखने लगा है। पुलिस का दावा है कि इन कैंपों की वजह से नक्सलियों की मूवमेंट सीमित हो गई है और वे लगातार आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं जैसे नियाद नेल्लनार, लोन वर्राटू (घर वापस आओ) अभियान और पुनर्वास योजनाओं का नक्सलियों पर गहरा असर पड़ा है। इन योजनाओं के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को न सिर्फ आर्थिक सहायता दी जाती है, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं।
स्थानीय लोगों की बदलती मानसिकता
सुरक्षा बलों के अनुसार, बस्तर क्षेत्र में स्थानीय ग्रामीणों की मानसिकता भी बदल रही है। लोग अब नक्सलियों का समर्थन छोड़कर सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आ रहे हैं। नक्सली संगठनों का जनाधार तेजी से कम हो रहा है।
आत्मसमर्पण के बाद बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था
नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद सुरक्षा बलों ने सुकमा जिले में सतर्कता बढ़ा दी है। घने जंगलों और नक्सल प्रभावित गांवों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है ताकि अन्य नक्सली भी आत्मसमर्पण के लिए आगे आ सकें।
पुलिस का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से पूछताछ की जा रही है। इससे नक्सली संगठनों के नेटवर्क, उनके ठिकानों और हथियारों की जानकारी मिल सकेगी। सरकार का दावा है कि आने वाले दिनों में और भी नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं।