मध्य प्रदेश

इंदौर में भिखारी अभियान के तहत पकड़ा गया, आंध्र प्रदेश से ट्रेन का टिकट और 20,000 रुपये बरामद

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में चल रहे भिखारी मुक्ति अभियान के तहत एक अनोखा भिखारी पकड़ा गया। यह व्यक्ति हैदराबाद से इंदौर तक ट्रेन टिकट खरीदकर आता था और इंदौर के सड़कों पर भीख मांगता था। इस भिखारी को मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक बचाव अभियान के दौरान पकड़ा। विभाग ने दावा किया कि इस व्यक्ति के पास से हैदराबाद से इंदौर तक की स्लीपर क्लास ट्रेन टिकट और 20,000 रुपये नकद बरामद किए गए हैं।

भिखारी को छुड़वाने की प्रक्रिया और प्रशासन की कार्रवाई

इंदौर जिले की प्रशासनिक टीम ने शुक्रवार को जानकारी दी कि यह व्यक्ति गुरुवार को बचाया गया और उसे एक बचाव केंद्र भेज दिया गया, जहां उसकी देखभाल की जाएगी और काउंसलिंग की जाएगी। इसी दिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक महिला भिखारी को भी इंदौर से बचाकर उज्जैन भेज दिया। हालांकि बाद में यह सामने आया कि महिला इंदौर नगर निगम में सफाई कर्मी के तौर पर काम करती थी।

महिला भिखारी का आरोप और प्रशासन की सफाई

महिला ने आरोप लगाया कि जब वह बाजार में सफाई का काम खत्म करने के बाद बैठी हुई थी, तो कुछ लोगों ने उसे जबरदस्ती उठाकर भिखारी बना दिया। हालांकि, इंदौर के महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा ने इस आरोप का खंडन किया। मिश्रा ने बताया कि महिला को मंदिर के पास भिखारी के रूप में पाया गया था, जिसके बाद महिला अधिकारियों की एक टीम ने उसे बचाया और अभियान के तहत उसे पकड़ लिया।

इंदौर में भिखारी और बाल श्रमिकों के बचाव अभियान की जानकारी

इंदौर जिला प्रशासन इस समय शहर में सड़कों पर भिखारी और बच्चों को बचाने के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत प्रशासन बच्चों और महिलाओं को बचाकर उन्हें काउंसलिंग के बाद पुनर्वासित करने की कोशिश कर रहा है ताकि वे फिर से सड़कों पर भिखारी न बनें।

शिक्षा और प्रशिक्षण का प्रावधान

इंदौर प्रशासन ने इस अभियान के लिए एक विशेष टीम बनाई है, जो अन्य विभागों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर अभियान चलाएगी। इस टीम का उद्देश्य बचाए गए भिखारियों और बाल श्रमिकों को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि वे पुनः भिखारी न बनें और अपने जीवन में आत्मनिर्भर हो सकें।

इंदौर में भिखारी अभियान के तहत पकड़ा गया, आंध्र प्रदेश से ट्रेन का टिकट और 20,000 रुपये बरामद

पिछले मामलों में हुई नकद की बरामदगी

मिश्रा ने बताया कि हाल ही में महिला विभाग ने इंदौर में एक महिला भिखारी को पकड़ा था, जिसके पास से 75,000 रुपये से अधिक की नकद राशि बरामद की गई थी। इस महिला ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया कि उसने एक महीने में इंदौर क्षेत्र में भीख मांगकर यह राशि अर्जित की थी।

भिखारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान

मिश्रा ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को तीन चरणों में काउंसलिंग के बाद भी सड़कों पर फिर से भीख मांगते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। प्रशासन द्वारा यह प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है कि भिखारी की समस्या को हल किया जाए और उन्हें समाज में पुनर्वासित किया जाए।

भिखारी मुक्ति अभियान के लाभ और सफलता

इस अभियान के तहत प्रशासन ने कई लोगों को सड़कों से हटाया है और उन्हें एक नए जीवन की शुरुआत देने के प्रयास किए हैं। विभाग ने अपनी काउंसलिंग प्रक्रिया को तीन चरणों में बांटा है, जिसमें पहले चरण में भिखारियों को मनोवैज्ञानिक रूप से समझाया जाता है, दूसरे चरण में उन्हें शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है, और तीसरे चरण में उनकी पूरी पुनर्वास प्रक्रिया की जाती है।

शहरी भिखारियों के जीवन में बदलाव की संभावना

इंदौर प्रशासन का यह अभियान शहरी भिखारियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यदि प्रशासन इस योजना को सही तरीके से लागू करता है, तो यह न केवल भिखारी की समस्या को हल करेगा, बल्कि समाज में उनके पुनर्वास के लिए भी एक स्थायी समाधान प्रदान करेगा।

भिखारी से आत्मनिर्भरता की ओर कदम

इंदौर प्रशासन का यह कदम भिखारियों को उनके अधिकारों और जीवन के बेहतर अवसरों के प्रति जागरूक करना है। भिखारी मुक्ति अभियान के तहत प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि भिखारी को केवल बचाया ही नहीं जाएगा, बल्कि उन्हें एक स्थायी रोजगार और जीवनयापन के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। यह अभियान आने वाले समय में इंदौर के समाज के लिए एक बदलाव का प्रतीक बन सकता है।

इंदौर में भिखारी मुक्ति अभियान एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। प्रशासन ने भिखारियों को पुनर्वासित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, जो उन्हें बेहतर जीवन की ओर अग्रसर करने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। इस अभियान से यह साबित होता है कि सरकार और प्रशासन के समर्पित प्रयासों से भिखारी की समस्या को सुलझाया जा सकता है, और उन्हें समाज में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

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