इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले जान लीजिए ये 3 जरूरी फॉर्म, वरना हो सकती है बड़ी गलती

अगर आप टैक्स पेयर हैं तो हो सकता है इन दिनों आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया में व्यस्त हों। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए रिटर्न भरने से पहले कुछ ज़रूरी बातें जान लेना बेहद जरूरी है जिससे रिटर्न भरने में कोई गलती न हो। इसके लिए केवल आपकी सैलरी और आमदनी की जानकारी ही नहीं बल्कि कुछ खास फॉर्म्स की भी जानकारी होना ज़रूरी है। इन फॉर्म्स के बिना आपका टैक्स रिटर्न अधूरा रह सकता है। आज हम आपको तीन ऐसे ज़रूरी फॉर्म्स के बारे में बताएंगे जो हर टैक्सपेयर्स को जानने चाहिए। ये तीन फॉर्म्स हैं – फॉर्म 16, एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS।
क्या होता है फॉर्म 16 और क्यों है यह जरूरी
फॉर्म 16 एक ऐसा डॉक्युमेंट है जो नौकरी करने वाले व्यक्ति को उसकी कंपनी द्वारा हर साल फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के बाद 15 जून तक दे दिया जाता है। इसमें पूरे साल की सैलरी और उसमें से काटे गए टैक्स यानी TDS की पूरी जानकारी होती है। इसे आप सरकार को जमा किए गए टैक्स का प्रमाण भी मान सकते हैं। इस फॉर्म में दो भाग होते हैं – पार्ट ए और पार्ट बी। पार्ट ए में केवल TDS की जानकारी होती है जबकि पार्ट बी में सैलरी ब्रेकअप, कटौतियों और नेट टैक्सेबल इनकम की डिटेल दी जाती है। यह फॉर्म हर नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए अनिवार्य होता है और इसे भरते समय ध्यान रखना होता है कि इसमें दी गई जानकारी सही हो क्योंकि गलती होने पर ITR में गड़बड़ी हो सकती है।
फॉर्म 26AS से मिलती है टैक्स क्रेडिट की जानकारी
फॉर्म 26AS को टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट भी कहा जाता है। इस फॉर्म में आपको साल भर में जितनी भी टैक्स से जुड़ी गतिविधियां हुई हैं उनकी जानकारी मिलती है। इसमें आपकी सैलरी से कटा गया टैक्स, बैंक से मिलने वाले ब्याज पर कटा टैक्स, संपत्ति की बिक्री पर मिला लाभ, एडवांस टैक्स और असेसमेंट टैक्स जैसी जानकारियां होती हैं। इस फॉर्म की मदद से आप यह भी चेक कर सकते हैं कि जो टैक्स आपकी तरफ से कटा गया है क्या वह सरकार के खाते में समय से जमा हुआ है या नहीं। इससे टैक्स कैलकुलेशन में काफी मदद मिलती है और रिटर्न भरते समय काफी चीजें क्लियर हो जाती हैं।
AIS यानी एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट क्या है
AIS यानी Annual Information Statement को इनकम टैक्स विभाग ने साल 2021 में लॉन्च किया था। इस स्टेटमेंट में आपकी पूरी साल की आर्थिक गतिविधियों की जानकारी होती है। इसमें सैलरी, बैंक ब्याज, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन, सिक्योरिटीज, हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन आदि की पूरी जानकारी होती है। यह इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल या असिस्टेंट मैनेजर के जरिए देखा जा सकता है। AIS से आपको यह फायदा होता है कि आप अपनी पूरी इनकम का हिसाब देख सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपने जो इनकम दिखाई है वह सही है। अगर आपके ITR और AIS के आंकड़ों में अंतर होता है तो इनकम टैक्स विभाग आपसे सवाल कर सकता है। इसलिए ITR फाइल करने से पहले इन तीनों फॉर्म्स को जरूर चेक कर लेना चाहिए।