Supreme Court में बार काउंसिल का स्पष्ट बयान: वकील नहीं कर सकते फुल-टाइम पत्रकारिता
सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने यह स्पष्ट किया कि जो वकील कानून का अभ्यास कर रहे हैं, वे पूर्णकालिक पत्रकारिता नहीं कर सकते। बार काउंसिल ने अदालत को बताया कि वकीलों को पूर्णकालिक पत्रकारिता करने से मना किया गया है। यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया के कंडक्ट रूल्स के नियम 49 के तहत लिया गया है, जो वकीलों की पेशेवर गतिविधियों को सख्ती से नियंत्रित करता है।
पेटीशन का संदर्भ
दरअसल, एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज मानहानि मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस वकील का पत्रकारिता के क्षेत्र में भी योगदान था और वह एक फ्रीलांस पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे। इस मामले में न्यायमूर्ति अभय एस ओक और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसिह की पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से वकीलों के लिए पेशेवर सीमाओं को लेकर जवाब तलब किया था।
बार काउंसिल का स्पष्टीकरण
बार काउंसिल ने अपनी प्रतिक्रिया में यह कहा कि वकील और एक मान्यता प्राप्त पत्रकार का दोहरी भूमिका निभाना निषिद्ध है। बार काउंसिल के अनुसार, वकील को पत्रकारिता के काम में भी पूरी तरह से संलिप्त होने की अनुमति नहीं है। यह निर्णय वकील के पेशेवर आचरण और नैतिकता को बनाए रखने के लिए किया गया है।
वकील ने स्वीकार किया
इस मामले में वकील की ओर से मामले की पैरवी करने वाले वकील ने अदालत को यह आश्वासन दिया कि उनका मुवक्किल अब पत्रकारिता से संबंधित किसी भी गतिविधि में संलिप्त नहीं होगा। वह अपनी पूरी ऊर्जा और ध्यान केवल कानून के अभ्यास पर केंद्रित करेगा।
अगली सुनवाई 2025 में
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगले वर्ष 2025 में सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अब बार काउंसिल को उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह विवाद अब समाप्त हो चुका है और इसके परिणामस्वरूप किसी और सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
वकील और पत्रकारिता के बीच अंतर
यह मामला यह भी रेखांकित करता है कि वकील और पत्रकार के पेशे में एक बुनियादी अंतर है। वकील का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के माध्यम से अपने मुवक्किल को कानूनी सहायता प्रदान करना होता है, जबकि पत्रकारिता का उद्देश्य समाज में जानकारी और विचारों का प्रसार करना होता है। दोनों पेशे अपनी प्रकृति में अलग-अलग होते हैं, और इसके कारण वकीलों को पत्रकारिता के पेशे में पूरी तरह से भाग लेने से मना किया गया है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया का यह फैसला वकीलों के पेशेवर आचरण को बनाए रखने के लिए है। यह निर्णय इस बात को स्पष्ट करता है कि वकील अपनी कानूनी प्रैक्टिस के साथ पत्रकारिता को संयोजित नहीं कर सकते। हालांकि, यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है, क्योंकि यह वकीलों को उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें एक पेशेवर ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।