Bahraich Violence: समाजवादी पार्टी का BJP पर हमला, बहराइच हिंसा के लिए CM योगी को जवाब देना चाहिए
Bahraich Violence: उत्तर प्रदेश में हाल ही में बहराइच में हुई हिंसा ने एक बार फिर से राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मचा दी है। इस हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी (SP) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। SP के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने वाराणसी में मीडिया से बात करते हुए कहा कि बहराइच की घटना अत्यंत दुखद है और यह पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है।
बहराइच की हिंसा का संदर्भ
बहराइच में हुई हिंसा ने लोगों के बीच एक बार फिर से असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। SP नेता ने कहा कि जहां एक ओर BJP सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे देती है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में गुंडागर्दी का आलम है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति स्पष्ट रूप से बताती है कि BJP सरकार विकास के रास्ते पर चलने में असमर्थ है।
रोजगार का मुद्दा
श्यामलाल पाल ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि BJP सरकार की प्राथमिकता वास्तविक मुद्दों से भटक गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं को सबसे ज्यादा रोजगार की आवश्यकता है, लेकिन सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के बजाय लोगों का ध्यान भटकाने में लगी है। उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी हमेशा भाईचारे और सभी के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाती रहेगी।”
मुख्यमंत्री का उत्तरदायित्व
SP के प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में खुद जवाब देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई करे। उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। हम इसके लिए लड़ाई करेंगे।”
संविधान की गरिमा
श्यामलाल पाल ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का संविधान सभी धर्मों और जातियों के लोगों को पढ़ाई और प्रगति का अधिकार देता है, लेकिन BJP इस दिशा में कोई प्रणाली स्थापित करने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि BJP केवल शोर मचाने में लगी है, जबकि असली मुद्दे जनता के सामने अनुत्तरित हैं।
राजनीतिक स्थिति
बहराइच की घटना ने प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है। SP ने इस मामले को उठाकर BJP सरकार के खिलाफ एक बड़ा राजनीतिक मोर्चा खोल दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा प्रमुख हो सकता है।