शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर क्या बोले पूर्व राजदूत, जानिए बचने का तरीका!
बांग्लादेश सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, और इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने इस बात की पुष्टि की है। जैसवाल ने बताया कि बांग्लादेश के अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को एक पत्र भेजा है, लेकिन इस पर अभी तक नई दिल्ली से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस स्थिति पर भारत के बांग्लादेश में पूर्व राजदूत महेश सचदेव ने शेख हसीना को प्रत्यर्पण से बचने के कुछ उपायों की सलाह दी है। सचदेव ने सोमवार को एक साक्षात्कार में बताया कि शेख हसीना प्रत्यर्पण के खिलाफ अदालतों में अपील कर सकती हैं और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए विभिन्न कानूनी उपाय अपना सकती हैं।
शेख हसीना के लिए आसान उपाय
महेश सचदेव ने बताया कि शेख हसीना के पास उन उपायों की एक लंबी सूची हो सकती है, जिनका उपयोग वह प्रत्यर्पण से बचने के लिए कर सकती हैं। सचदेव ने कहा, “इसी तरह जैसे भारत द्वारा प्रत्यर्पण अनुरोधों को यूरोपीय देशों ने कई बार अस्वीकार किया है, शेख हसीना भी यह कह सकती हैं कि उन्हें अपनी सरकार पर विश्वास नहीं है और उनके साथ दुर्व्यवहार हो सकता है।” सचदेव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ प्रत्यर्पण की मांग की है, और यह स्पष्ट किया है कि वह शेख हसीना के खिलाफ न्याय की प्रक्रिया का पालन करना चाहती है।
2013 में हुआ था प्रत्यर्पण संधि का हस्ताक्षर
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि 2013 में हस्ताक्षरित हुई थी और इसे 2016 में संशोधित किया गया था। यह संधि दोनों देशों के बीच सीमा पार अपराधों, आतंकवाद और उग्रवाद के मामलों से निपटने के लिए एक रणनीतिक उपाय थी। इस संधि का उद्देश्य आतंकवाद और सीमा पार अपराधों को नियंत्रित करना था और दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग को मजबूत करना था। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि इस संधि के तहत शेख हसीना के मामले में किस तरह का निर्णय लिया जाएगा।
महेश सचदेव ने कहा कि अधिकारियों ने अब तक यह सार्वजनिक रूप से कहा है कि इस विशेष मामले में भारत को एक “नोट वर्बल” भेजा गया है जिसमें यह बताया गया है कि शेख हसीना को बांग्लादेश में न्याय का सामना करना है। इसका मतलब है कि बांग्लादेश ने अपनी मांग को औपचारिक रूप से भारत के समक्ष प्रस्तुत किया है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण के खिलाफ क्या उपाय हो सकते हैं?
भारत और बांग्लादेश के बीच एक मजबूत प्रत्यर्पण संधि है, और सचदेव का मानना है कि इस संधि के प्रावधानों के अनुसार शेख हसीना का मामला तय किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत और बांग्लादेश के अधिकारी इस मुद्दे पर लगातार संपर्क में हैं और संभावना है कि दोनों देशों ने इस बारे में चर्चा की होगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बांग्लादेश का यह अनुरोध नया नहीं है, और यह समय-समय पर तब से उठाया गया है जब शेख हसीना अगस्त में भारत आई थीं।
इस मुद्दे को लेकर महेश सचदेव ने बताया कि बांग्लादेश सरकार ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अब यह देखना होगा कि भारत इस पर क्या निर्णय लेता है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश द्वारा की गई मांग के बाद से यह सवाल उठा है कि क्या शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मामला सुलझने से पहले भारत में उनकी स्थिति क्या होगी। क्या वह यहां राजनीतिक शरण में रहेंगी, या उन्हें वापस भेजा जाएगा?
शरण की अवधि पर अनिश्चितता
महेश सचदेव ने यह भी कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि शेख हसीना भारत में कितने समय तक रहेंगी। सचदेव के अनुसार, राजनीतिक शरण की मांगें राजनीतिक आधार पर तय की जाती हैं और इसके लिए कोई निर्धारित नियम नहीं होते हैं। इसका मतलब है कि शेख हसीना की स्थिति इस समय अनिश्चित बनी हुई है, और यह पूरी तरह से भारत सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगा कि वह उन्हें शरण देने का फैसला करती है या नहीं।
प्रत्यर्पण संधि का महत्व
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि का महत्व दोनों देशों के आपसी संबंधों के दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। यह संधि आतंकवाद और सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए बनी थी और इसे दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के रूप में देखा जाता है। लेकिन इस संधि के तहत हर मामले को विचार करने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया होती है, और शेख हसीना का मामला भी इस प्रक्रिया से गुजरने वाला है।
संभावित राजनीतिक प्रभाव
भारत में शेख हसीना की स्थिति राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यदि शेख हसीना को भारत में शरण मिलती है, तो इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ सकती है। बांग्लादेश सरकार इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल मान सकती है और यह मामला दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बन सकता है। वहीं, यदि भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करता है, तो यह भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण के मामले में अब भारतीय सरकार को कई कानूनी और राजनीतिक मुद्दों का सामना करना पड़ेगा। महेश सचदेव के अनुसार, शेख हसीना के पास अदालतों में जाकर प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने का विकल्प है, और भारत भी राजनीतिक कारणों से इसे अस्वीकार कर सकता है। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया काफी समय ले सकती है और इसमें कई जटिलताएँ हो सकती हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में इस मुद्दे के प्रभाव के बारे में भी आगे आने वाले समय में और चर्चाएँ होंगी।