Hassan Nasrallah की मौत के बाद इराक में 7 दिनों में 100 नवजातों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया
हिज़बुल्लाह के प्रमुख Hassan Nasrallah की मौत के बाद पूरी दुनिया में हलचल मच गई है, खासकर मुस्लिम देशों में। इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच युद्ध के दौरान नसरल्लाह की मृत्यु ने कई सवाल खड़े किए हैं, और इस घटना के बाद नसरल्लाह के अनुयायियों में भारी आक्रोश देखने को मिला। इस घटना के चलते इराक में एक खास बात सामने आई है कि 100 नवजात बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया है। आइए, इस घटना के पीछे की कहानी को विस्तार से जानते हैं।
Hassan Nasrallah कौन थे?
Hassan Nasrallah हिज़बुल्लाह के प्रमुख थे, जो कि लेबनान स्थित एक शिया इस्लामिक संगठन और राजनीतिक दल है। हिज़बुल्लाह का गठन 1980 के दशक में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य इज़राइल के खिलाफ लड़ाई करना था। नसरल्लाह को हिज़बुल्लाह की सैन्य और राजनीतिक शक्ति को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। वे अपने अनुयायियों के बीच एक महान नेता और प्रतिरोध के प्रतीक माने जाते थे। उनकी मृत्यु के बाद उनके समर्थकों में भारी शोक और गुस्सा देखा जा रहा है।
नसरल्लाह की मौत और इज़राइल-हिज़बुल्लाह संघर्ष
27 सितंबर को इज़राइल की सेना ने लेबनान की राजधानी बेरूत के दहिये इलाके में हवाई हमले किए। इन हमलों के दौरान, हिज़बुल्लाह के प्रमुख Hassan Nasrallah की मौत हो गई। इज़राइल ने दावा किया कि इस हमले में नसरल्लाह के साथ हिज़बुल्लाह के 20 से अधिक प्रमुख नेताओं को भी मार गिराया गया। इज़राइल के चैनल 12 ने यह दावा किया कि नसरल्लाह की मौत दम घुटने के कारण हुई, क्योंकि जिस बंकर में वे मौजूद थे, वहां जहरीली गैस पहुंच गई थी। नसरल्लाह की धीरे-धीरे इस गैस से मौत हो गई।
मुस्लिम देशों में प्रतिक्रिया
नसरल्लाह की मौत की खबर के बाद, कई मुस्लिम देशों में इस पर चिंता और आक्रोश व्यक्त किया गया। ईरान समेत कई देशों ने इस घटना की निंदा की और इसे इज़राइल के खिलाफ एक बड़े युद्ध का संकेत माना। नसरल्लाह के समर्थकों का कहना है कि अगर इज़राइल ने एक नसरल्लाह को मार दिया है, तो हजारों और नसरल्लाह उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार हैं। उनके अनुयायियों का मानना है कि नसरल्लाह की शहादत एक नया संघर्ष शुरू करेगी।
इराक में नवजातों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखना
नसरल्लाह की मौत के बाद, इराक में एक खास घटना देखने को मिली। इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 100 नवजात बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया है। इस कदम को नसरल्लाह को सम्मान देने के रूप में देखा जा रहा है। इराकी लोग नसरल्लाह को एक आदर्श मानते हैं और उनकी मौत के बाद इस तरह का नामकरण उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक तरीका है।
नसरल्लाह के नामकरण का महत्व
इराक में नवजातों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखना न केवल एक व्यक्ति को सम्मान देने का तरीका है, बल्कि यह इज़राइल के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है। यह नामकरण इस बात का संकेत है कि नसरल्लाह के अनुयायियों के लिए उनकी मृत्यु से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए हजारों नए नसरल्लाह तैयार हो रहे हैं। यह इस संघर्ष की लंबी अवधि और इसके प्रभाव को भी दर्शाता है।
ईरान और हिज़बुल्लाह का इज़राइल के खिलाफ मोर्चा
नसरल्लाह की मौत के बाद, ईरान ने भी इज़राइल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ईरान हमेशा से हिज़बुल्लाह का समर्थन करता रहा है और नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान की प्रतिक्रिया ने इस संघर्ष को और भी गंभीर बना दिया है। ईरान और हिज़बुल्लाह दोनों ही इज़राइल को अपने प्रमुख दुश्मन के रूप में देखते हैं और इस घटना के बाद उनके बीच का तनाव और बढ़ गया है।
नसरल्लाह की मौत का भविष्य पर प्रभाव
नसरल्लाह की मौत के बाद, यह सवाल उठता है कि इससे हिज़बुल्लाह और इज़राइल के बीच संघर्ष का भविष्य कैसा होगा। नसरल्लाह की मौत ने हिज़बुल्लाह के भीतर एक नया नेतृत्व संकट पैदा कर दिया है, लेकिन साथ ही यह भी संभव है कि नसरल्लाह के अनुयायी उनकी मृत्यु के बाद और भी संगठित और मजबूत हो जाएं। इस संघर्ष का अंत फिलहाल दूर दिखाई देता है, क्योंकि नसरल्लाह के समर्थक उनकी मौत को एक नए संघर्ष की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।