तनाव और डिप्रेशन से बचने के लिए योग है सबसे असरदार उपाय, मन को मिले सुकून

योग हमारे शरीर और मन दोनों के लिए बहुत जरूरी है। इसकी शुरुआत प्राचीन भारत में हुई थी और आज भी लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं ताकि वे तन और मन से स्वस्थ रह सकें। योग करने से दिमाग शांत रहता है और शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है। यही नहीं बल्कि आत्मा को भी एक नई दिशा मिलती है। चिंता हो या अवसाद योग आपको इन सब चीजों से दूर रखता है। वैसे देखा जाए तो योग अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा बल्कि पूरी दुनिया में इसे एक चमत्कार के रूप में अपनाया जा रहा है। हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर आज हम बात करेंगे माइंडफुल ट्रैवल की जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक राहत का नया रास्ता बन चुका है।
माइंडफुल का मतलब होता है किसी पल को पूरी तरह महसूस करना और जीना। माइंडफुल ट्रैवल का मतलब है जब आप किसी जगह घूमने जाएं तो वहां की हवा वहां की संस्कृति और वहां का माहौल अपने अंदर उतार लें। आप उस जगह से जुड़ जाएं। कोई जल्दबाजी न हो न कोई हड़बड़ी। बस जो पल सामने है उसे पूरी तरह महसूस करना ही माइंडफुल ट्रैवल का असली उद्देश्य होता है। ये एक तरह का मानसिक योग है जिसमें मन प्रकृति और आत्मा आपस में मिलते हैं और आपको एक नई चेतना का अनुभव होता है।
क्या हैं इसके फायदे?
माइंडफुल ट्रैवल से सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आपका मन तरोताजा हो जाता है। आप मोबाइल लैपटॉप जैसी भागदौड़ से कुछ समय के लिए दूर हो जाते हैं और असली जिंदगी को महसूस करते हैं। जब आप प्रकृति को निहारते हैं उसके रंगों को देखते हैं तो आपका मन भीतर से शांत होता है। यह तनाव को कम करता है और आपको आत्मिक सुकून देता है। माइंडफुल ट्रैवल के दौरान जब आप किसी जगह को पूरी तरह महसूस करते हैं तो न केवल बाहर की दुनिया से जुड़ते हैं बल्कि अपने भीतर झांकने का मौका भी मिलता है। आप खुद को बेहतर समझने लगते हैं और जीवन के प्रति आपका नजरिया बदलने लगता है।
कैसे करें माइंडफुल ट्रैवल?
अगर आप माइंडफुल ट्रैवल करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने मोबाइल से दूरी बनाएं। अपने अनुभव को ऑनलाइन शेयर करने के बजाय उसे ऑफलाइन महसूस करें। जहां भी जाएं वहां की हर चीज को गौर से देखें और उसमें खुद को डुबो दें। वहां के स्थानीय लोगों से बात करें उनकी कहानियों को जानें। आप अपनी भावनाओं को डायरी में नोट कर सकते हैं ताकि बाद में जब आप उन्हें पढ़ें तो वो पल फिर से जी सकें। कम जगहों पर जाएं लेकिन जहां जाएं उसे पूरी तरह महसूस करें। ध्यान रखें कि यह ट्रैवल सिर्फ घूमने का नहीं बल्कि खुद से मिलने का एक तरीका है।