क्या कभी मिलेगा विंध्य को युवा मोर्चा का अध्यक्ष ?भाजपा में विंध्य की उपेक्षा का दर्द

भोपाल : मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और मेहनती युवाओं के लिए जाना जाता है, लंबे समय से भाजपा की संगठनात्मक संरचना में उपेक्षित साबित हो रहा है। यहां के युवा, जो भाजपा के सबसे मजबूत समर्थक वर्ग का हिस्सा हैं, बार-बार एक सवाल उठाते हैं – क्या हमें कभी युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष पद मिलेगा? यह सवाल केवल एक पद की मांग नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन, समावेशिता और न्याय की पुकार है। हाल ही में घोषित प्रदेश कार्यकारिणी में विंध्य की लगभग पूर्ण अनदेखी ने इस दर्द को और गहरा कर दिया है।
विंध्य: भाजपा का मजबूत गढ़, फिर भी हाशिए पर
विंध्य क्षेत्र – रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मैहर जैसे जिलों वाला यह इलाका – भाजपा के लिए हमेशा से एक मजबूत वोट बैंक रहा है। 2023 के विधानसभा चुनावों में विंध्य ने भाजपा को भारी बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन संगठन के शीर्ष पदों पर प्रतिनिधित्व की बात करें, तो विंध्य हमेशा पीछे रह गया। खासकर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष पद पर तो विंध्य का नाम कभी चमका ही नहीं।
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार सिवनी जिले के बरघाट से आते हैं, जो महाकौशल क्षेत्र का हिस्सा है। इससे पहले के अध्यक्षों पर नजर डालें, तो अधिकांश मालवा-निमाड़ या मध्य क्षेत्र से ही रहे। विंध्य से कोई प्रमुख नाम सामने नहीं आया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में विंध्य के कार्यकर्ता ने सवाल उठाया कि बुंदेलखंड की तरह विंध्य को भी युवा मोर्चा का नेतृत्व क्यों नहीं मिला? यह उपेक्षा केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि युवाओं के मन में गहरी निराशा पैदा कर रही है। विंध्य के युवा, जो ग्रामीण विकास, बेरोजगारी और प्रवासन जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, संगठन में अपनी आवाज मजबूत करने के लिए ऐसे पदों पर निर्भर करते हैं।
हालिया कार्यकारिणी घोषणा: हितानंद का वर्चस्व, विंध्य की अनदेखी
अक्टूबर 2025 में प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा घोषित नई कार्यकारिणी ने विंध्य को फिर से निराश किया। संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के प्रभाव में बनी इस टीम में मालवा-निमाड़ क्षेत्र को 11 पदाधिकारियों का हिस्सा मिला, जबकि विंध्य को न्यूनतम या शून्य प्रतिनिधित्व। गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए सांसदों और विधायकों को पद दिए गए, लेकिन क्षेत्रीय संतुलन की अनदेखी हुई।
उपेक्षा के कारण: आंतरिक राजनीति का शिकार
भाजपा की आंतरिक राजनीति में शिवराज सिंह चौहान, सिंधिया जैसे खेमों का बोलबाला रहता है, लेकिन विंध्य जैसा क्षेत्र, जो न किसी बड़े नेता का गढ़ है और न ही शहरी केंद्र, हमेशा हाशिए पर धकेला जाता है। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल सिर्फ सत्ता शासन तक सीमित हैं युवा मोर्चा, जो भाजपा की भविष्य की पीढ़ी तैयार करता है, में विंध्य को जगह न मिलना युवाओं को संगठन से दूर कर रहा है। यहां के युवा, जो कृषि, खनन और पर्यटन पर निर्भर हैं, बेरोजगारी और विकास की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज दिल्ली या भोपाल तक नहीं पहुंच पा रही।
“विंध्य ने भाजपा को सत्ता दी, लेकिन बदले में क्या मिला ?? यह सवाल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचना चाहिए। क्या विंध्य को कभी युवा मोर्चा का अध्यक्ष मिलेगा? यह सवाल केवल विंध्य का नहीं, बल्कि भाजपा की समावेशी छवि का परीक्षण है। पार्टी को यदि 2028 में फिर से मजबूत वापसी करनी है, तो क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करना होगा।
हितानंद जैसे संगठन महामंत्रि,जो अपने कार्यालय में बैठकर कार्यकारिणी बनाते हैं एवं सुहास भगत के बाद मध्यप्रदेश में सबसे कम प्रवास करने वाले संगठन मंत्रि हैं,उन्हें विंध्य के कार्यकर्ताओ की पीड़ा समझनी चाहिए। अन्यथा, यह उपेक्षा भाजपा के लिए एक बड़ा सबक साबित हो सकती है। विंध्य के युवा इंतजार कर रहे हैं – क्या भाजपा उनकी उम्मीदों पर खरी उतरेगी? समय ही बताएगा।





