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पाहलगाम हमले के बाद विवियन दीसैना का दिल से आया आक्रोश, इंसानियत पर गहरा सवाल

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। इस दुखद घटना में कई मासूम लोगों की जान चली गई, जिस पर विभिन्न धार्मिक नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस हमले के खिलाफ सबसे प्रमुख आवाज दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी की है। एक भावुक बयान में इमाम बुखारी ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “पहलगाम में निर्दोष लोगों की हत्या ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। पूरा देश एक स्वर में इस जघन्य घटना की निंदा करता है।” उन्होंने जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया और धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या को अक्षम्य अपराध बताया। इमाम बुखारी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की हिंसा के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने हमले में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की। उनके शब्दों में पूरे देश में व्याप्त सामूहिक आक्रोश और दुख झलकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह आने वाले शुक्रवार को जामा मस्जिद से इस मामले को संबोधित करेंगे।

अजमेर शरीफ दरगाह प्रमुख ने हमले की निंदा की

बढ़ती निंदा के अलावा, अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन ने भी आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने इस हमले को एक कायराना हरकत बताया, जिसका इस्लाम में कोई स्थान नहीं है। सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा, “हमारे धर्म की शिक्षाओं के अनुसार, अगर एक भी निर्दोष मारा जाता है, तो यह मानवता का अपमान है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की हिंसा इस्लाम की छवि को खराब करती है, उन्होंने कहा कि इस्लाम ऐसी क्रूरता का उपदेश नहीं देता। इस्लाम की शिक्षाओं पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने कभी यह नहीं सिखाया। जो व्यक्ति निर्दोषों का खून बहाता है, वह मुसलमान कहलाने के योग्य नहीं है।” उन्होंने हिंसक कार्रवाई करने से पहले किसी व्यक्ति के धर्म के बारे में पूछने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाया और लोगों से कम से कम ईश्वर के प्रकोप से डरने का आग्रह किया। दरगाह प्रमुख के शब्द स्पष्ट थे: निर्दोष लोगों की हत्या करना पाप है और जो लोग इस तरह के कृत्य में शामिल होते हैं, उन्हें इस्लाम तो दूर, किसी भी धर्म का अनुयायी नहीं माना जा सकता।

 

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देश भर में मचे आक्रोश के बीच, नौसेना अधिकारी विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने अपने पति की मौत के बारे में दिल दहला देने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने उनके पति से उनके धर्म के बारे में पूछने के बाद उन्हें बेरहमी से गोली मार दी और जब उन्हें पता चला कि वह मुस्लिम नहीं हैं, तो उन्होंने उन्हें मार डाला। यह चौंकाने वाला खुलासा वायरल हो गया, जिसने हमले की पहले से ही तीव्र निंदा को और बढ़ा दिया। अपराध की बर्बर प्रकृति ने पूरे देश में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है, कई लोगों ने इसे मानवता पर सीधा हमला बताया है। हिमांशी के भावनात्मक बयान ने इस मूर्खतापूर्ण हिंसा की भयावह प्रकृति की ओर और भी अधिक ध्यान आकर्षित किया। बुधवार को विनय नरवाल का अंतिम संस्कार हरियाणा के करनाल में किया गया, जहां परिवार, दोस्तों और पूरे देश ने बहादुर नौसेना अधिकारी की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया।

राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और न्याय की मांग

पहलगाम आतंकी हमले की जांच जारी रहने के साथ ही, राष्ट्र अपने दुख और आक्रोश में एकजुट है। सैयद अहमद बुखारी और सैयद जैनुल आबेदीन जैसे धार्मिक नेताओं के बयानों ने धर्म के नाम पर हिंसा के व्यापक मुद्दे पर प्रकाश डालने में मदद की है। इन नेताओं ने दोहराया है कि इस तरह के कृत्य किसी भी धर्म की सच्ची शिक्षाओं को नहीं दर्शाते हैं। अब ध्यान पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और आतंकवादियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने पर केंद्रित है। निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन धार्मिक और राजनीतिक नेताओं की व्यापक निंदा धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय संकल्प का संकेत देती है। न्याय की मांग जोर पकड़ रही है और भारत के लोग इस उम्मीद में एकजुट हैं कि इस जघन्य कृत्य के अपराधियों को कानून की पूरी ताकत का सामना करना पड़ेगा।

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