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Vitamin E Deficiency: भागदौड़ भरी ज़िंदगी में छुपा है कुपोषण का खतरा, क्या आप भी हैं निशाने पर?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग न तो सही समय पर खाना खा पाते हैं और न ही पोषण युक्त आहार ले पाते हैं। इसके कारण शरीर में जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो जाती है जो धीरे-धीरे गंभीर समस्याओं को जन्म देती है। इन्हीं जरूरी विटामिन्स में से एक है विटामिन E। जब भी इसका नाम आता है तो लोग इसे सिर्फ त्वचा और बालों से जोड़ते हैं जबकि हकीकत में यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से लेकर मांसपेशियों की मजबूती तक में अहम भूमिका निभाता है।

क्यों होती है विटामिन E की कमी

विटामिन E एक वसा में घुलनशील विटामिन है। इसका मतलब है कि यह शरीर में तभी अवशोषित होता है जब आहार में पर्याप्त मात्रा में वसा हो। ऐसे में जो लोग कम वसा वाला डाइट लेते हैं उनके शरीर में इसकी कमी देखी जा सकती है। इसके अलावा कुछ अनुवांशिक कारणों से भी यह कमी हो सकती है। खासकर वे लोग जो केवल डायटिंग के चक्कर में फैट से पूरी तरह दूरी बना लेते हैं उन्हें लंबे समय बाद विटामिन E की कमी की समस्या हो सकती है।

Vitamin E Deficiency: भागदौड़ भरी ज़िंदगी में छुपा है कुपोषण का खतरा, क्या आप भी हैं निशाने पर?

विटामिन E की कमी के लक्षण

अगर मौसम बदलते ही बार-बार बीमार पड़ते हैं तो समझ लीजिए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है और इसके पीछे विटामिन E की कमी भी हो सकती है। बालों का झड़ना बढ़ना और जड़ों का कमजोर होना भी इसी का संकेत है। इसके अलावा मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है जिससे उठने-बैठने या चलने में परेशानी हो सकती है। त्वचा पर लाल चकत्ते या खुजली, हाइपर पिग्मेंटेशन की समस्या, आंखों की रोशनी कमजोर होना और हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना भी इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल है। अगर किसी चोट को भरने में ज्यादा समय लगता है तो यह भी इस कमी की ओर इशारा करता है।

विटामिन E की कमी कैसे करें पूरी

इस जरूरी विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए कुछ खास खाद्य पदार्थों को अपने दैनिक आहार में शामिल करना जरूरी है। बादाम विटामिन E का बहुत अच्छा स्रोत है। इसके अलावा पालक, एवोकाडो, केला और सूरजमुखी के बीज भी विटामिन E से भरपूर होते हैं। इन चीजों को नियमित रूप से खाने से शरीर को पर्याप्त पोषण मिलता है और विटामिन E की कमी से होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट्स का सेवन भी किया जा सकता है लेकिन प्राकृतिक स्रोतों से इसे लेना ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।

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