मलयालम सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री नैयाट्टिनकारा कोमलम का 96 वर्ष की आयु में निधन
दक्षिण भारतीय सिनेमा से एक और दुखद खबर सामने आई है। मलयालम सिनेमा की पहली पीढ़ी की जानी-मानी अभिनेत्री नैयाट्टिनकारा कोमलम, जिन्हें कोमल मेनन के नाम से भी जाना जाता है, का निधन हो गया। कोमलम 96 वर्ष की थीं और उन्होंने 17 अक्टूबर, 2024 को अपने जीवन की अंतिम सांस ली। उनके निधन से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वे एक ऐतिहासिक और सम्मानित नाम थीं, जिन्होंने सिनेमा के शुरुआती दौर में अपनी कला का प्रदर्शन किया था।
नैयाट्टिनकारा कोमलम का निधन
नैयाट्टिनकारा कोमलम का निधन दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हुआ। उन्हें 15 अक्टूबर को केरल के पारसाला शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी तबीयत लंबे समय से खराब थी और अंततः 17 अक्टूबर को उनका निधन हो गया। उनकी उम्र के कारण और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते वे कुछ समय से अपने रिश्तेदारों के साथ रह रही थीं।
कोमलम के निधन से दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके पति एम. चंद्रशेखर मेनन का भी कुछ वर्षों पहले निधन हो चुका था, जिससे वे अकेली रह गई थीं। कोमलम की मृत्यु के साथ मलयालम सिनेमा ने एक महान अभिनेत्री और एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व को खो दिया है।
नैयाट्टिनकारा कोमलम का अंतिम संस्कार
कोमलम का अंतिम संस्कार आज, 18 अक्टूबर, 2024 को दोपहर 12:30 बजे वाज़ुथुर में किया जाएगा। यह समाचार उनके प्रशंसकों और फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के लिए बेहद दुखद है।
करियर की शुरुआत और मलयालम सिनेमा में योगदान
नैयाट्टिनकारा कोमलम का जन्म पंकजाक्षा और कुंजीम्मा के घर हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1951 में जी. विश्वनाथ द्वारा निर्देशित फिल्म ‘वनमाला’ से की। यह फिल्म मलयालम सिनेमा की पहली वन आधारित फिल्म थी, जिसने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1952 में आई फिल्म ‘मरूमकल’ थी, जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध अभिनेता प्रेम नजीर के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म कोमलम के करियर की तीसरी फिल्म थी, और इसके साथ ही उन्होंने मलयालम सिनेमा में अपनी विशेष पहचान बना ली थी।
हिट फिल्में और योगदान
‘वनमाला’ और ‘मरूमकल’ के बाद, कोमलम ने कई और फिल्मों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। 1952 में उन्होंने ‘आत्मशांति’ में अभिनय किया, जो उनकी एक और प्रमुख फिल्म थी। 1954 में एफ. नागूर द्वारा निर्देशित ‘संध्या’ में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने पी. रामदास की फिल्म ‘न्यूज़पेपर बॉय’ में भी काम किया, जिसे मलयालम सिनेमा में काफी सराहा गया।
कोमलम ने अपने करियर में एक लंबा अंतराल लिया, और फिर 22 वर्षों के बाद 1976 में ‘आराधना’ नामक फिल्म से मलयालम सिनेमा में वापसी की। यह फिल्म मशहूर निर्देशक मधु द्वारा निर्देशित थी। कोमलम का सिनेमा में यह वापसी उनके प्रशंसकों के लिए एक सुखद आश्चर्य थी।
सम्मान और उपलब्धियां
1994 में नैयाट्टिनकारा कोमलम को मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) की मानद सदस्यता से सम्मानित किया गया। यह उनके योगदान को पहचानने का एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने उन्हें मलयालम सिनेमा के अग्रणी कलाकारों में शामिल किया।
कोमलम का करियर और जीवन मलयालम सिनेमा के शुरुआती दौर के विकास का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। उन्होंने अपने अभिनय कौशल से न केवल फिल्मी दुनिया में योगदान दिया, बल्कि उन्होंने अपने समर्पण और कला के प्रति जुनून के साथ लोगों के दिलों में एक स्थायी छाप छोड़ी।
नैयाट्टिनकारा कोमलम की विरासत
नैयाट्टिनकारा कोमलम का जीवन और करियर एक प्रेरणा के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने एक ऐसे दौर में सिनेमा में कदम रखा, जब यह उद्योग अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, और उन्होंने अपनी कला से इसे समृद्ध किया। उनकी भूमिकाएं, उनके संवाद, और उनका योगदान हमेशा मलयालम सिनेमा की धरोहर का हिस्सा रहेंगे।
उनकी मृत्यु ने न केवल उनके परिवार और रिश्तेदारों को दुखी किया है, बल्कि सिनेमा जगत के हर उस व्यक्ति को भी, जो उनकी कला और योगदान का सम्मान करता है। नैयाट्टिनकारा कोमलम के जाने से एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी यादें और उनके द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा अमर रहेंगे।