UP News: “आजमगढ़ थाने के प्रभारी पर एक लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप, DIG ने जांच का दिया आदेश”
UP News: आजमगढ़ जिले के अह्रौला थाना क्षेत्र के मदना गांव में एक नई बनी दीवार के गिराने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक दीवार को तोड़ते हुए देखा जा सकता है, जो कुछ ही दिन पहले बनाई गई थी। मामले में चौकीदार रामसुचित मौर्य का आरोप है कि इस दीवार को उनकी भूमि पर बनवाया गया था, और इसकी तोड़-फोड़ में पुलिस का सहयोग था। चौकीदार ने आरोप लगाया कि थाना प्रभारी मनीष पाल ने दीवार बनाने के लिए उनसे रिश्वत के रूप में एक लाख रुपये लिए थे। अब इस मामले में DIG ने जांच का आदेश दिया है।
मदना गांव में भूमि विवाद और दीवार की तोड़-फोड़
मदना गांव में जमीन को लेकर चौकीदार रामसुचित मौर्य और रamesh Gaur के परिवार के बीच विवाद था। इस विवाद के चलते 29 दिसंबर 2024 को एसडीएम के निर्देश पर राजस्व टीम ने भूमि की माप की थी, जिसमें पुलिस बल की मौजूदगी में रामसुचित मौर्य और उनके भाई राम सम्हार मौर्य ने दीवार का निर्माण किया। लेकिन शुक्रवार की दोपहर को विपक्षी ने मिलकर दीवार को तोड़ दिया। दीवार की तोड़-फोड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पूरे मामले में हड़कंप मच गया।
पुलिस पर पक्षपाती होने और हमले का आरोप
रामसुचित मौर्य ने आरोप लगाया कि दीवार तोड़े जाने के बाद उन्होंने बार-बार पुलिस को फोन किया, लेकिन पुलिस ने तब तक कोई कार्रवाई नहीं की, जब तक दीवार पूरी तरह से नहीं गिर गई। विरोध करने पर हमलावरों ने रामसुचित मौर्य, उनकी पत्नी सुनारी देवी और बेटी सुनिता पर पत्थरों और ईंटों से हमला किया, जिससे वे घायल हो गए। पीड़ितों का कहना है कि यह सब पुलिस के साथ मिलकर विपक्षी ने किया। चौकीदार का कहना है कि पुलिस ने पहले दीवार बनवाने में मदद की और फिर उसी पुलिस की मदद से विपक्षियों ने दीवार गिरा दी।
थाना प्रभारी पर रिश्वत लेने का गंभीर आरोप
रामसुचित मौर्य ने आरोप लगाया कि अह्रौला पुलिस थाने के थाना प्रभारी मनीष पाल ने दीवार बनाने के लिए उनसे रिश्वत की मांग की थी। चौकीदार ने बताया कि थाना प्रभारी ने दीवार बनाने के लिए दो लाख रुपये की मांग की थी। इसके बाद, रामसुचित मौर्य ने किसी तरह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से एक लाख रुपये इकट्ठा किए और थाना प्रभारी को दिए। इसके बाद, थाना प्रभारी ने पुलिस बल के सामने भूमि की माप करवाई और दीवार बनाने की अनुमति दी। लेकिन बाद में थाना प्रभारी ने उनसे बाकी के एक लाख रुपये की मांग की, जिस पर रामसुचित मौर्य ने पैसे देने में असमर्थता जताई। इसके बाद, थाना प्रभारी ने विपक्षियों से मिलकर उनकी दीवार को तोड़वाया।
DIG ने जांच के आदेश दिए
रामसुचित मौर्य ने इस मामले की शिकायत DIG आजमगढ़ से की, जिसके बाद DIG ने एसपी ग्रामीण चिराग जैन को थाना प्रभारी मनीष पाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए। एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने मामले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मदना गांव में रामसुचित मौर्य और रamesh Gaur के बीच भूमि विवाद चल रहा था, और पहले भी राजस्व टीम द्वारा भूमि का माप किया गया था। 29 दिसंबर 2024 को जब दीवार का निर्माण हो रहा था, तो विपक्षी ने निर्माण कार्य को रोकने की कोशिश की थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ा था। इस पर पुलिस ने दोनों पक्षों पर चालान भी किया था। 3 जनवरी को अचानक विपक्षी ने बिना किसी की मौजूदगी में दीवार को तोड़ दिया और इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई की।
मामले की गंभीरता और आगे की कार्रवाई
एसपी ग्रामीण ने कहा कि रामसुचित मौर्य ने आरोप लगाया है कि थाना प्रभारी ने उनसे पैसे लेकर दीवार बनवायी और फिर पैसे न देने पर विपक्षियों के साथ मिलकर दीवार को तोड़वाया। DIG के आदेश पर मामले की जांच की जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने यह भी कहा कि चौकीदार द्वारा थाना प्रभारी को पैसे देने की बात गंभीर है और अगर जांच में यह तथ्य सही पाया जाता है, तो थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की भूमिका और कार्रवाई पर सवाल
इस मामले ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां पुलिस को निष्पक्ष और कानून के हिसाब से काम करने की जिम्मेदारी होती है, वहीं इस मामले में पुलिस पर पक्षपाती होने और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह पुलिस की छवि पर गंभीर असर डाल सकता है। पुलिस विभाग को चाहिए कि वह इस मामले की जांच कर इस पर कड़ी कार्रवाई करे ताकि जनता का विश्वास फिर से बहाल हो सके।
आजमगढ़ के मदना गांव में हो रहे भूमि विवाद और चौकीदार द्वारा थाना प्रभारी पर लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोप ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है। इस मामले में पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा जांच शुरू कर दी गई है, और अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो थाना प्रभारी मनीष पाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला पुलिस विभाग के भीतर भ्रष्टाचार और पक्षपाती रवैये पर सवाल उठाता है, और अब यह देखना होगा कि जांच के परिणामों के आधार पर क्या कार्रवाई की जाती है।