राष्ट्रीय

Tirupati Laddu: लड्डू विवाद के बाद 34,000 मंदिरों के लिए नया आदेश, कर्नाटक सरकार ने लिया बड़ा निर्णय

Tirupati Laddu: तिरुपति मंदिर, जो कि भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, हाल ही में एक विवाद के केंद्र में रहा जब यह पता चला कि वहां मिलने वाले लड्डू प्रसाद में पशु वसा का उपयोग किया जा रहा था। यह जानकारी हिंदुओं की आस्था के लिए एक बड़ा धक्का मानी जा रही है। इस विवाद के बाद कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे राज्य के सभी 34,000 मंदिरों में केवल ‘नंदिनी’ ब्रांड का घी उपयोग करने का आदेश दिया गया है।

विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर में उपयोग होने वाले घी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। उनके अनुसार, लड्डू के नमूनों में चर्बी और अन्य पशु वसा की उपस्थिति पाई गई थी। इस समाचार ने न केवल भक्तों के बीच हड़कंप मचाया, बल्कि यह भी संकेत दिया कि धार्मिक मान्यताओं और आस्था पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है।

कर्नाटक सरकार का नया आदेश

कर्नाटक सरकार ने इस स्थिति का सामना करने के लिए तत्काल कार्रवाई की। सिद्धारमैया सरकार ने एक निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार सभी मंदिरों में नंदिनी ब्रांड के घी का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्देश राज्य के धार्मिक अनुदान विभाग के तहत आने वाले सभी मंदिरों के लिए लागू होगा।

आदेश की विशेषताएँ

इस आदेश के अंतर्गत, मंदिरों में निम्नलिखित कार्यों में नंदिनी घी का उपयोग किया जाएगा:

Tirupati Laddu: लड्डू विवाद के बाद 34,000 मंदिरों के लिए नया आदेश, कर्नाटक सरकार ने लिया बड़ा निर्णय

  1. दीप जलाना: सभी पूजा और आरती में केवल नंदिनी घी का उपयोग किया जाएगा।
  2. प्रसाद की तैयारी: सभी प्रकार के प्रसाद, जिसमें लड्डू, पूड़ी, और अन्य व्यंजन शामिल हैं, में नंदिनी घी का उपयोग अनिवार्य होगा।
  3. दसोहा भवन: जहां भक्तों को भोजन परोसा जाता है, वहां भी केवल नंदिनी घी का उपयोग किया जाएगा।

सरकार ने मंदिर कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि प्रसाद की गुणवत्ता कभी भी compromet नहीं होनी चाहिए। इस निर्णय का उद्देश्य न केवल भक्तों की आस्था को बनाए रखना है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और शुद्ध धार्मिक अनुभव प्रदान करना भी है।

लड्डू बनाने की प्रक्रिया

तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन लगभग 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। इसके लिए 1,400 किलोग्राम घी, काजू, किशमिश, इलायची, चने का आटा, और चीनी जैसी कई आवश्यक सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इस विशाल मात्रा में सामग्री का उपयोग एक साधारण प्रसाद को बनाने के लिए किया जाता है, जो भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

धार्मिक आस्था और घी का महत्व

घी का उपयोग भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल एक खाद्य सामग्री नहीं है, बल्कि इसे पवित्र और शुभ माना जाता है। पूजा-अर्चना में घी का उपयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह धार्मिक अनुष्ठानों की पवित्रता को बनाए रखता है।

भक्तों की प्रतिक्रिया

तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद के बाद भक्तों के बीच में काफी नाराजगी देखी गई। कई भक्तों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और मांग की कि मंदिर प्रबंधन इस मामले की जांच करे। अब कर्नाटक सरकार के नए आदेश ने भक्तों के विश्वास को फिर से मजबूत किया है, क्योंकि नंदिनी ब्रांड का घी स्थानीय और शुद्ध माना जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d