मध्य प्रदेशरीवा

पत्थर और कंक्रीट की बढ़ती मांगों के साथ बढ़ी जन समस्याएं, कोई हुआ बीमार तो कोई हुआ प्रदूषण का शिकार,  मानक के विपरीत संचालित हो रही क्रेशर मशीनें 

 रीवा। जिले के बेला बनकुइयां के साथ ही कई अलग अलग क्षेत्रों में पत्थर की कई खदानें हैं जहां पत्थर की बढ़ती मांगों के साथ स्टोन क्रेशर भी अधिक संख्या में संचालित हो रहे हैं जिससे आसानी के साथ लोगों को घर बनाने की सामग्री मिल सके परंतु फिर भी यहां पर लोगों को हर रोज समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है तथा क्षेत्र में स्टोन क्रेशर होने की वजह से प्रदूषण में विस्तार होता दिखाई देता है जिसके कारण अक्सर लोग प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं परंतु जिला प्रशासन लोगों की समस्याओं को देखते हुए कोई भी कड़े कदम उठाने को तैयार नही है।

दरअसल पत्थर और कंक्रीट की मांगों के चलते स्टोन क्रेशर तथा उद्योग लगाए गए हैं जिससे लोगों को आसानी से पत्थर और गिट्टी तो मिल रही है परंतु लोगों की इन सुविधाओं के चलते कई जन समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है तथा आमजन  को इन समस्याओं से हर रोज दो चार होना पड़ रहा। पत्थर और कंक्रीट की आवश्यकताओं को देखते हुए जिस प्रकार से माइंस संचालित हैं उससे प्रदूषण में भी लगातार विस्तार हो रहा है और प्रदूषण के चलते लोगों को बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है जिससे क्षेत्र में अब हर घर से लोग बीमार होते जा रहे हैं मगर जिला प्रशासन इस ओर किसी भी प्रकार के ध्यान देने की बजाय पत्थर और कंक्रीट पर अपनी कमाई कर रहा है। 

बताया जा रहा है कि माइंस और स्टोन क्रेशर को संचालित करने के लिए कई प्रकार के मापदंड बनाए गए हैं परंतु उन नियमों को ताक पर रखकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में माइंस का काम किया जा रहा है पत्थर निकालने के लिए खुदाई पर अलग-अलग नियम बनाया गया है लेकिन खनन माफिया नियमों को दरकिनार करते हुए खुदाई करते जा रहे हैं और खुदी हुई जमीन का मापन करने में एतराज करते हैं।

सड़कों की दोनों ओर बनी खाई देती हैं हादसे को आमंत्रण

बता दें कि खनन माफिया इस पूरे क्षेत्र में इस कदर हावी है की सड़को के दोनो ही तरफ पत्थर निकलने के लिए ब्लास्टिंग का काम करते हैं जिससे दोनों ही ओर खाई नूमे गड्ढे बना दिए गए और अब यह गड्ढे हादसे का कारण बन रहे हैं कई बार लोग इन गड्ढों में गिरकर काल के गाल में समा जाते हैं परंतु क्रेशर संचालकों को इसकी कोई परवाह ही नहीं है वहीं ग्रामीणों को आवागवन में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। और इतना ही नही अब ये सड़के भी काफी कमजोर स्थिति में है कभी भी धराशाही हो सकती हैं..वही बेला और बनकुइयां में संचालित सैकड़ो स्टोन क्रेशरों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किसी भी प्रकार के कार्य नहीं किए जा रहे हैं इसके कारण आम लोगों का बीमार होना भी आम बात हो गई है। 

प्रदूषण विभाग भी झाड़ता है पल्ला

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो उनके द्वारा प्रदूषण के रोकथाम को लेकर हर रोज नई तकनीक के तहत काम किया जाता है तथा स्टोन क्रेशर वाले स्थानों पर पौधारोपण की व्यवस्था कराई जा रही है बावजूद इसके बीमारियां कम नहीं हो रही हैं ऐसे में खनिज विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही ही कहें कि माइंस और प्रदूषण पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। कहीं ना कहीं अधिकारियों की सांठगांठ के चलते खनिज माफिया सक्रिय है और इन माफियाओं द्वारा लगातार हैवी ब्लास्टिंग कर धरती को छलनी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है जिसकी वजह से इसका खामियाजा मासूम जनता को उठाना पड़ता है।

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