मध्य प्रदेशरीवा

मनगवां थाना प्रभारी की लापरवाह कार्यप्रणाली उजागर! आदतन आरोपी का पुराना रिकॉर्ड छिपाया, जमानत पर छूटते ही गाँव में फिर फैली दहशत, ग्रामीणों में भारी नाराज़गी

रीवा। मनगवां थाना एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। थाना प्रभारी की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाते हुए ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक आदतन अपराधी को न्यायालय में पेश करते समय उसका पुराना आपराधिक रिकॉर्ड छिपा लिया। इससे आरोपी को आसानी से जमानत मिल गई और बाहर आते ही उसने पूरे गाँव में पुनः आतंक का माहौल बना दिया। यह घटना न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाती है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली गंभीर लापरवाही भी साबित होती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले गाँव में धार्मिक मूर्ति तोड़फोड़ का मामला सामने आया था। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में तनाव का वातावरण बना दिया था। पुलिस ने मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था जो पहले भी कई आपराधिक मामलों में संलिप्त रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि आरोपी का लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास है लेकिन जब उसे न्यायालय में पेश किया गया तब थाना प्रभारी ने उसकी पुरानी केस डायरी एफआईआर प्रतियां और अपराध सूची न्यायालय को उपलब्ध नहीं कराई।

न्यायालय को अधूरी जानकारी दिए जाने का सीधा परिणाम यह हुआ कि आरोपी को तुरंत जमानत मिल गई। ग्रामीणों का आरोप है कि जैसे ही आरोपी जेल से बाहर आया उसने दोबारा गाँव में आतंक का वातावरण बनाना शुरू कर दिया लोगों को डराना  गाली-गलौज विवाद करना और दहशत फैलाना। इससे गाँव के रहवासियों में भारी असंतोष और सुरक्षा को लेकर गहरा डर पैदा हो गया है।

थाना प्रभारी पर पहले भी लगे हैं सवाल:-ग्रामीणों और स्थानीय सूत्रों का कहना है कि मनगवां थाना प्रभारी पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। कभी वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश तो कभी आरोपियों को संरक्षण देने की बातें सामने आ चुकी हैं। कई मामलों में यह आरोप लगाया गया कि वे जानबूझकर पुराने केस रिकॉर्ड दबा देते हैं ताकि आरोपियों को लाभ मिल सके। यही कारण है कि मनगवां थाना लंबे समय से विवादों में बना हुआ है और इसकी छवि लगातार खराब होती जा रही है।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मनगवां थाना क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ लंबे समय से फल-फूल रही हैं। अवैध शराब सट्टा-पट्टी अवैध रेत परिवहन जैसे मामलों में पुलिस की भूमिका पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। वर्तमान थाना प्रभारी के कार्यकाल में इन गतिविधियों पर नियंत्रण करने की बजाय उल्टा संरक्षण देने की चर्चाएँ तेज़ हैं। मूर्ति तोड़फोड़ वाले मामले में जिस तरह आरोपी का पुराना रिकॉर्ड न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया उसने इन शंकाओं को और भी मजबूत किया है।

ग्रामीणों में आक्रोश उच्चस्तरीय जांच की मांग:- आरोपी के पुनः दहशत फैलाने के बाद अब ग्रामीणों में रोष चरम पर है। कई ग्रामीणों ने कहा कि जब पुलिस ही अपराधियों को बचाने लगे तो आम जनता कहाँ जाएगी? न्यायालय सही निर्णय तभी ले सकता है जब उसे पूरी और सच्ची जानकारी उपलब्ध कराई जाए। यदि पुलिस ही फाइलें दबाकर आरोपियों को लाभ पहुंचाएगी तो अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे।

ग्रामीणों ने इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि थाना प्रभारी द्वारा जानबूझकर आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि का तथ्य छिपाना गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है और इस पर तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। लोगों ने रीवा पुलिस अधीक्षक व आईजी से जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की गुहार लगाई है।


फिलहाल मनगवां क्षेत्र में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भारी अविश्वास का माहौल है। ग्रामीणों की एक ही मांग है अपराधियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो और क्षेत्र में कानून का राज स्थापित किया जाए।

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