बच्ची की पुकार: शिवपुरी से सागर तक 10 घंटे का एक महा-अभियान

शिवपुरी से सागर तक 10 घंटे का यह नवजात बच्ची की, जिसकी जान पर बन आई थी, और पुलिस के उस अद्भुत समन्वय की, जिसने उसे मौत के मुंह से वापस खींच लिया। ग्वालियर जोन के पुलिस महानिरीक्षक अरविन्द कुमार सक्सेना और पुलिस उपमहानिरीक्षक अमित सांधी के कुशल मार्गदर्शन में, शिवपुरी और सागर पुलिस ने मिलकर एक ऐसी अपहृत बालिका को मात्र दस घंटे के भीतर सुरक्षित बरामद किया, जिसने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया था।
मातृत्व वार्ड का वह काला दिन
29 अक्टूबर 2025 की सुबह, शिवपुरी जिला अस्पताल के प्रसूति वार्ड में दहशत फैल गई। एक अज्ञात महिला ने बड़ी चालाकी से मात्र एक दिन की नवजात शिशु बालिका को गोद में उठाया और अंधेरे में गुम हो गई। बिलखती माँ, रोशनी (पत्नी सुनील आदिवासी, 23, निवासी बारमौरकला शिवपुरी), ने अपनी आपबीती सुनाई: सुबह करीब 5 बजे, एक अनजान महिला उसके पास आई, बातें की और फिर यह कहकर कि उसके पति गेट पर खड़े हैं, बच्ची को बाहर दिखा कर लाने का बहाना बनाया। पर वह लौटी नहीं। माँ के दिल को चीर देने वाली इस शिकायत को तुरंत दर्ज किया गया, और थाना कोतवाली में अपराध क्रमांक 675/25, धारा 372(2) भारतीय दंड संहिता के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया।
इनाम की घोषणा और शीर्ष अधिकारियों की बैठक
अपहरण की खबर बिजली की तरह फैली। अपराध की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस महानिरीक्षक अरविन्द कुमार सक्सेना तुरंत शिवपुरी अस्पताल पहुँचे और घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। वहाँ, उन्होंने पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव मुले, अनुभाग एसडीओपी संजय चतुर्वेदी और अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा सहित अन्य अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। बच्ची की सुरक्षित बरामदगी और अपराधी की गिरफ्तारी के लिए तत्काल और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए, साथ ही, जनता से सहयोग की अपील करते हुए 30,000/- रुपये (तीस हजार रुपये) के नकद इनाम की घोषणा की गई। उप पुलिस महानिरीक्षक अमित सांधी ने इस मामले को व्यक्तिगत रूप से अपनी निगरानी में रखा, लगातार महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए ताकि आरोपी महिला की पहचान हो और नवजात सुरक्षित लौट सके।
500 सीसीटीवी कैमरे और तकनीक का चक्रव्यूह
वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर, अज्ञात आरोपी और नवजात बालिका की तलाश के लिए विशेष टीमें बनाई गईं। यह एक बड़े स्तर का तकनीकी अभियान था। पुलिस टीमों ने शिवपुरी शहर के 500 से भी अधिक सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू किया। हर गली, हर कोने की फुटेज को ध्यान से देखा गया। आखिरकार, एक फुटेज में आरोपी महिला नवजात शिशु को हाथ में लिए पैदल जाती हुई दिखाई दी। इस फुटेज और सायबर सेल के सहयोग से जुटाए गए समस्त तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर, महिला की पहचान बड़गाँव थाना देहात शिवपुरी की शारदा आदिवासी के रूप में हुई।
झाँसी से सागर तक पीछा
पहचान होते ही, पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ ने पूरे शिवपुरी जिले के थानों को सक्रिय कर दिया। आवागमन के सभी साधनों की गहन जाँच के आदेश दिए गए और ‘बैंकिंग’ (जानकारी फैलाना) की रणनीति अपनाई गई। बस चालकों, परिचालकों, ऑटो चालकों और राहगीरों से पूछताछ में पता चला कि आरोपी महिला झाँसी की ओर गई थी। झाँसी के लिए तुरंत एक टीम रवाना की गई, जिसने झाँसी बस स्टैंड से सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए। इस फुटेज से खुलासा हुआ कि महिला अब सागर की तरफ बढ़ गई है।
सागर में नाकाबन्दी और सफल बरामदगी
बच्ची को सुरक्षित वापस लाने के लिए अब अंतर-जोन समन्वय आवश्यक था। ग्वालियर जोन के पुलिस महानिरीक्षक अरविन्द कुमार सक्सेना ने तत्काल सागर जोन की पुलिस महानिरीक्षक हिमानी खन्ना से दूरभाष पर संपर्क किया। पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ ने सागर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी से आरोपी महिला को रोकने के लिए अनुरोध किया।
सागर जोन के पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सिंह (सागर) और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव उईके (बीना) के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने तत्काल नाकाबन्दी कर दी। आरोपी महिला को सागर में अभिरक्षा में लिया गया। शिवपुरी पुलिस की टीम तेजी से सागर पहुँची, और अंततः, नवजात शिशु बालिका को सुरक्षित बरामद कर लिया गया। आरोपी महिला से गहन पूछताछ की जा रही है।
 
				




