Sultanpur Encounter: अनूप प्रताप सिंह की हत्या पर परिवार की प्रतिक्रिया और राजनीति का नया दौर

Sultanpur Encounter: हाल ही में उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में हुई एक मुठभेड़ ने राजनीतिक हलचल को जन्म दिया है। इस मुठभेड़ में अनूप प्रताप सिंह, जो एक आरोपित था, की पुलिस द्वारा गोलीबारी में मौत हो गई। वह भारत ज्वेलर्स की दुकान में हुई लूट में शामिल था, जिसके लिए पुलिस ने उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। इस मुठभेड़ के बाद, अनूप के पिता ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा।
मुठभेड़ का घटनाक्रम
23 सितंबर 2024 की सुबह, अनूप प्रताप सिंह की पुलिस से मुठभेड़ हो गई। पुलिस के अनुसार, जब उन्हें पता चला कि अनूप वहां मौजूद है, तो उन्होंने उसे पकड़ने का प्रयास किया। अनूप ने पुलिस पर गोली चलाई, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की। इस मुठभेड़ में अनूप को गोली लगी और उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया कि यह मुठभेड़ एसटीएफ लखनऊ की टीम ने अचलगंज, उन्नाव में की थी। मुठभेड़ के दौरान एक अन्य अपराधी घायल हुआ, जबकि एक अन्य मौके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहा।
अनूप के पिता की प्रतिक्रिया
अनूप के पिता ने घटना के बाद कहा, “अखिलेश यादव की इच्छा पूरी हो गई है।” उन्होंने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि यादव ने पहले कहा था कि ठाकुरों का भी एनकाउंटर होना चाहिए। अनूप की बहन ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि उसका भाई सूरत में था और उसने कोई चोरी नहीं की। उन्होंने कहा कि हमें अपने भाई के एनकाउंटर की आशंका थी।
राजनीति का नया मोड़
इस मुठभेड़ ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे एक फर्जी मुठभेड़ बताया। उन्होंने कहा कि जब गैंग लीडर पकड़ा जा सकता है, तो लूट की रकम भी वापस मिल सकती है। यादव ने आरोप लगाया कि मंगेश यादव को उसके जाति के आधार पर मारा गया।
उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार जाति के आधार पर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने कहा कि सरकार कानून के अनुसार कार्य करती है और कोई भी अपराधी बच नहीं सकता।
सुलतानपुर की घटना का सामाजिक प्रभाव
यह मुठभेड़ केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश में अपराध और कानून व्यवस्था पर बढ़ते सवालों को भी उजागर करती है। पुलिस द्वारा एनकाउंटर की इस शैली पर बहस चल रही है, जिसमें यह प्रश्न उठता है कि क्या यह विधिक है और क्या यह सही तरीके से किया जा रहा है।
समाज में इस तरह की घटनाएं लोगों के मन में पुलिस और सरकार के प्रति अविश्वास को जन्म देती हैं। मुठभेड़ों के चलते जिन व्यक्तियों की मृत्यु होती है, उनके परिवारों को न्याय की तलाश होती है, जबकि समाज में कई बार यह समझा जाता है कि यह केवल एक सजा है, न कि न्याय का एक माध्यम।